क्यों चुप हो ?


मधुरिता

संसार कार्यकारिणी के कार्य का विश्लेषण कर सकते है और कार्य परिणाम भी सकारात्मक व नकारात्मक दृश्यमान होते है | शिकायत भी कर सकते है ,हम उनके पास गुहार भी लगा सकते है |

परमात्मा की शासन प्रणाली बड़ी ही विचित्रता लिए हुए है- वो तो समझ से भी बाहर है | इसे हम अपनी आँखों से देख नहीं सकते उनकी सत्ता का केवल अनुभव मात्र कर सकते है |

यह विषय अति विचारणीय है जो चेतन तत्व है सभी प्रणियों में समान रूप से विद्यमान है | ठीक उसी तरह जिस तरह बिजली का (करंट ) सभी उपकरणों में समान रूप से कार्य करता व चलायमान होता है | इसके कार्य का आकलन आसानी से हो जाता है परन्तु हमारे अंदर जो चेतनता है, उसको समझने के लिए हमें विचार करना होगा |

कुछ आवाजे टेप करना है तो टेपरिकॉर्डर का दो बटन दबाना पड़ता है , सुनना है तो एक बटन दबाया जाता है | मन का बटन नहीं दबेगा ह्रदय नहीं पिघलेगा तब तक भक्ति भाव नहीं आता है (अथार्त वो दिव्य शक्ति का संचार नहीं होता जिससे हम उस चेतन को समझ सकें) |

इसी तरह सिक्के के दो पहलू ही प्रचलित है , जब की सिक्के का तीसरा पहलू किनारे का है (जो चेतन का दर्शन कराने वाला है ), जिस पर खड़े हो कर हेड टेल व बीच में का भी भाग आसानी से देखा जा सकता है (वह है ब्रह्मानन्द,परमानंद, ईश्वर, अल्लाह,गॉड) |

ईश्वर यदि चुप होता तो जड़ से चेतन सभी निष्क्रिय जान पड़ते व् भाव शून्य सृष्टी होती | जिसने भी संसय व दद्वंद रहित हो कर इस रहस्य को समझने का प्रत्यत्न किया उसे अवश्य दर्शन भी हुए और सत् चित् आनंद उसे मिला |

कृपा का भंडार सर्वथा खुला है |