अशोक कुमार निर्भय
पत्रकारों के उत्पीड़न और गैर क़ानूनी रूप से हिरासत में रखने पर विभिन्न पत्रकार संगठनों के सरकार के गैर जिम्मेदाराना रवैये की आलोचना और इस कृत्य की भर्त्सना की है। प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ पत्रकार राजघाट कवरेज के लिये गये थे। जिनमें टेलीग्राफ से संजय झा, नवज्योति से शिवेश गर्ग एम यूएनआई के पूर्व पत्रकार राजेश वर्मा और पार्थिव शामिल थे। दिल्ली पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार किया।
पीआइबी कार्ड दिखाने और पत्रकार बताने के बावजूद हाथापाई की गयी। उसके बाद इन्हें हरिनगर के श्याम खाटू स्टेडियम में ले जाया गया। हालांकि सूचना के मुताबिक इनको छोड़ दिया गया है। दिल्ली जर्नलिस्ट एसोसिएशन के महासचिव के पी मलिक ने इस हिरासत में लिए जाने की घोर निंदा करते हुए कहा है पत्रकारों को इस प्रकार पकड़ना कहां तक उचित है। ये सभी प्रेस एशोसिएशन के सदस्य भी हैं। पुलिस द्वारा अवैध रूप से हिरासत में रखने का यह मामला पत्रकारों के लिए एक गंभीर मसला है। प्रदर्शनो, रैलियों व आंदोलनों को कवर कर रहे पत्रकारों के साथ लगातार दुर्व्यवहार और उत्पीड़न होना दुर्भाग्यपूर्ण है। इस मामले पर तत्काल पत्रकार संगठनों को विचार करना चाहिए। नेशनल यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट और दिल्ली जर्नलिस्ट एसोसिएशन देशभर के पुलिस बलों को यह याद दिलाता है कि प्रदर्शन स्थलों पर विभिन्न परिसरों में मौजूद पत्रकार सूचना एकत्र करने और अपने मीडिया मंचों के जरिए लोगों तक उन्हें पहुंचाने का अपना कर्तव्य पूरा कर रहे हैं। ऐसे करने का अधिकार उन्हें संविधान से मिला है। अपना काम कर रहे पत्रकारों के खिलाफ बल प्रयोग या हिंसा लोकतंत्र की आवाज और मीडिया की स्वतंत्रता का गला घोंटती है। यह प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला है। उन्होंने कहा कि हम सभी को एकजुट होकर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और सूचना प्रसारण मंत्री को ज्ञापन देकर अपनी मांग रखनी होगी कि पत्रकारों की सुरक्षा और हितों की जा सके।