दिल्ली में दुर्घटनाओं को निमंत्रण देती डी टी सी बसें


अशोक कुमार निर्भय

राजधानी दिल्ली की सड़कों पर मौत का दूसरा नाम डी टी सी बसें बन चुकी है। बसों में आग लगाना तो एक आम बात हो गयी है,किन्तु बसों को गलत तरीके से चलाना और स्टैण्ड पर बेतरीब ढंग से लगाना और इंजिन का बोनट खोल कर चलने में डी टी सी के ड्राइवर सबसे आगे है। डी टी सी के बेड़े में जितनी बसें सड़कों पर दौड़ रही है उनमे से अधिकतर बसे फिट नहीं है। किसी का भी जी पी एस सिस्टम ख़राब है। सेफ्टी अग्निशामक यंत्र नहीं है। बस में फर्स्ट एड बॉक्स तक मुहैय्या नहीं है और एक आध में है भी तो उनमे एक्सपायरी डेट का सामान मिलता है। बस के भीतर सिंग्नल इलेक्ट्रॉनिक एल इ डी बोर्ड भी ख़राब है और सूचना भी गलत देते है। गौरतलब है कि बसें बोनट खोलकर दुर्घटना को खुला निमंत्रण देती चल रही है। डीटीसी के आलाअफसरों को भी इसकी सुध नहीं है। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस भी आँखे बंद करके बैठी है। ट्रांसपोर्ट विभाग भी इन बे लगाम बसों पर कोई लगाम नहीं लगा रहा है। यहाँ यह सवाल लाजमी है की इन बसों पर आखिर परिवहन मंत्री गोपाल राय इनपर क्या करवाई करते है। बहराल डीटीसी बस बगैर किसी रोकटोक के दिल्ली के नागरिकों के लिए खतरा बनी है।