लोग एहन वक़्त पे साथ छोड़ जाएँगे, तुम शिकवा न करना ,
कुछ दिल भी तोड़ जाएँगे , तुम शिकवा न करना !
लंबा है जिन्दगी का सफ़र, और इस सफ़र के दौरान ,
परेशान करने वाले मोड़ भी आएंगे, तुम शिकवा न करना !
ज़माने का दस्तूर है ख़ता करके खुद , वह हर ख़ता से ,
तुम्हारा नाम जोड़ जाएंगे , तुम शिकवा न करना !
तोड़ने का प्रयास भी गर करे कोई , तुम्हारे सपनों का महल ,
मग़र तोड़ ना पाएंगे वह तुम्हारा जुनून , तुम शिकवा ना करना !
बस खुद पे और खुदा पे रखना हमेशा अपना भरोसा क़ायम ,
वह तुम्हारे मनसूबे ना डगमगा पाएंगे, तुम शिकवा न करना !
हो सकता है कुछ लोग मुश्किलों में तुम्हें तनहा छोड़ जाएं ,
अपनी नाराजगियाँ दिल में ही रखना, तुम शिकवा जाहिर न करना !
याद रखना मंज़िल उनको नहीं मिलती, जो मुसीबतों से हार के बैठ जाते हैं ,
सफ़र की डगर पर नज़र टिकाये रखना, रास्ते के पत्थरों पे शिकवा ना करना !
वैसे सफ़र तो अभी भी ख़तम नहीं हुआ है नूरपुरी, थोड़े मील पत्थर अभी भी बाकी हैं ,
जब तक चलते रहें स्वास, चलते जाना, आने वाली रुकावटों पे शिकवा न करना !!
आर डी भारद्वाज ” नूरपुरी “