सेक्टर १० स्थित गोलोक धाम में प्रतेयक वर्ष की भांति इस वर्ष भी श्रधालुओं का तांता लगा हुआ है. उक्त मंदिर की प्रमुख सुश्री योगेश्वरी देवी ने अपने प्रवचन देते हुए कहा कि आज समाज में युवा पीढ़ी को विनाशकारी/हानिकारक प्रवति से रचनात्मक कार्यों की ओर रुख करवाने की जरुररत है भक्ति के द्वारा ही ये लक्ष्य प्राप्त हो सकता है. श्री कृष्ण भक्ति से सद्गुण स्वत: ही आ जाते हैं.
संसार में ईश्वर की उपस्थिति महसूस करोगे तो अपराध ही नहीं होंगे. जब मानव को यह लगने लगे कि भगवान उनके सभी कर्मों/गतिविधियों को देख रहा है तो वह कोई भी गलत कार्य करेगा ही नहीं और ऐसा हो जाए तो अपराध समाज से जड़ से जुदा हो जायेगा. ईश्वर क्या है भगवान को देखने के लिए दिव्य दृष्टि चाहिए और वो ईश्वर की शरण में जाकर ही हासिल हो सकती है. इसके लिए कोई सन्यास लेने की जरुरत नहीं है और न ही किसी जंगलों में भटकने की आवशयकता होती है ईश्वर के प्रति समर्पण ही आपकी आत्मा को परमात्मा से जोड़ देता है. संसार का आनंद क्षणभंगुर है
इसी तरह सैक्टर 13 स्थित इस्कॉन मंदिर में जन्माष्टमी महोत्सव में कृष्ण भक्तों को सम्भोधित करते हुए मंदिर के उपाध्यक्ष अमोघ लीला दास प्रभु के सानिध्य में कृष्ण कथा का वाचन किया गया, जिसमें भगवान कृष्ण द्वारा मथुरा नगरी में बिताए पलों का श्रधालुओं के समक्ष प्रस्तुत किया गया। कृष्ण कथा का अंत प्रसादम के साथ किया गया। रविवार के दिन कृष्ण कथा के अगले भाग में शाम को कृष्ण कथा हुई जिसमें द्वारका नगरी में कृष्ण की लीला का चित्रण किया गया. इसके बाद भगवान के अस्तित्व को दर्शाने के लिए ओ माय गॉड नामक नाटक का मंचन किया गया । अमोघ लीला दास प्रभु ने भक्तों को बताया कि जन-जन के अराध्य भगवान श्रीकृष्ण इस वर्ष जन्माष्टमी पर 5240 साल के होने जा रहे हैं। पुराणों में वर्णित युग की आयु और धरती पर भगवान श्रीकृष्ण की मौजूदगी के साक्ष्यों के अनुसार ये गणना पंचागों से की गई है। इस बार विलक्षण संयोग के बीच भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया । बताया जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर के अंत में जन्म लिया। पंचांगों के अनुसार कलयुग के गुजरे अनुमानित 5114 वर्ष और द्वापर के अंत में भगवान श्रीकृष्ण की धरती पर मौजूदगी125 वर्ष आंकी जाती है। ऐसे में इस बार भगवान श्रीकृष्ण 5239 वर्ष पूर्ण कर 5240 वें वर्ष में प्रवेश करेंगे। इस बार द्वापर में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय जिस तरह की नौ ग्रहों की स्थिति थी वैसे ही इस वर्ष छह ग्रहों का संयोग बना है। इसमें वर्षा ऋतु भाद्रपद कृष्ण पक्ष, वृष राशि का चंद्रमा, सिंह राशि का सूर्य, सिंह राशि का बुध, कर्क राशि में गुरु, राहु कन्या राशि के साथ केतु मीन राशि में मौजूद थे । इसके अलावा मध्य रात्रि वृषभ लग्न भी रहेगा। जो द्वापर में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म समय भी थी।
इसके आलावा यूथ क्लब द्वारका द्वारा डाबड़ी पालम रोड नजदीक बारात घर पर भी जन्माष्टमी को बड़ी श्रधापुर्वक मनाया गया. क्लब के अध्यक्ष श्री विनोद एवं अंकुश बत्रा ने बताया कि उनकी जन्माष्टमी में भगवान कृष्ण की सुन्दर झांकियां सहित अनेक रंगारंग कार्यक्रम तथा भजन कीर्तन के आयोजन में महावीर एन्क्लेव, दशरथ पूरी, विजय एन्क्लेव, सीतापुरी, डाबड़ी, नसीरपुर, वैशाली से अनेक श्रद्धालुयों ने कृष्ण जन्माष्टमी का आनंद लिया. इस मौके पर क्लब के पदाधकारी सन्नी, पंकज लाम्बा, तरुण अरोड़ा, वरुण, सोनू, परकाश, अरुण, सुमित, सौरव, प्रतीक आदि सहित क्षेत्र के कई गणमान्य लोग ने उक्त भव्य आयोजन में दिन रात लगकर सफल बनाया. जन्माष्टमी के अवसर पर क्षेत्रीय विधायक प्रदुमन राजपूत तथा प्रमुख समाज सेवी तसवीर सोलंकी ने उपस्थित होकर कार्यक्रम की शोभा बढाई.