बैंगलोर
दे दी हमें आजादी बिना खड्ग बिना ढाल!!
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल।।
भारत का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है भारत रत्न! इस सम्मान से बड़ा किसी सम्मान को नहीं माना जाता है. लेकिन भारत में एक ऐसे शख्स भी थे जिनके लिए इस सबसे बड़े सम्मान की गरिमा भी कम नजर आती है और वह थे मोहनदास करमचंद गांधी। भारत विश्व का एक अनोखा और अनूठा देश है. इस देश की सांस्कृतिक विरासत से लेकर यहां का पूरा इतिहास ही गौरवशाली है. हमारे इतिहास की तरह हमारी आजादी की लड़ाई भी एक मिसाल ही है. यूं तो विश्व के अधिकतर गुलाम देशों को आजादी हिंसा के बाद ही मिली लेकिन इस देश को आजादी वास्तविक तौर पर अहिंसा के मार्ग पर चलने की वजह से मिली और इस मार्ग पर हमें चलने का साहस प्रदान किया मोहनदास करमचंद गांधी ने। माता-पिता द्वारा दिया यह वास्तविक नाम भले ही कम सुनने में आता हो परन्तु उन्होने अपने कर्म और व्यवहार से जो नाम कमाया वह था राष्ट्रपिता, बापू और महात्मा, इस सम्मान के पीछे गांधी की महान कार्यशैली और समर्पण छुपा हुआ है. अपने घर-परिवार को भूल गांधीजी ने खुद को देश के लिए न्यौछावर कर दिया, इसी वजह से लोग गांधी जी को मात्र एक शख्स के तौर पर नहीं अपितु एक भगवान के समान देखते हैं. आज उसी महात्मा गांधी की जयंती है…
स्वयं को पाने का सर्वोत्तम तरीका है
स्वयं को अन्य लोगों की सेवा में समर्पित कर देना
उनके यह वचन उनकी मानसिकता को प्रदर्शित करते हैं. गांधीजी ने जिंदगी भर दूसरों की सहायता के लिए काम किया. तमाम वैभव होने के बाद भी गांधीजी ने सादा जीवन व्यतीत किया और लोगों के सामने उदाहरण पेश किया. छुआछूत को दूर भगाने के लिए ही उन्होंने ‘हरिजन’ को गले लगाकर दूसरों के सामने एक उदाहरण पेश किया।समाज की बुराइयों के प्रति गांधी जी के सिद्धांतों ने उनके राजनैतिक आंदोलनों को उपनिवेशराज से आजादी के लिए मजबूती से बांध दिया जैसे कि असहयोग आंदोलन, नागरिक अवज्ञा आंदोलन, दाण्डी मार्च और भारत छोड़ो आंदोलन. गांधी जी के प्रयासों से अंततः भारत को 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त हुई.। स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे बड़े योद्धा को जिसने बिना हिंसा किए देश को आजादी दिलाई उसके लिए महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाईन ने कहा था कि आने वाली सदियों में लोग यह विश्वास नहीं कर पाएंगे कि गांधी जैसा महान व्यक्ति भी इस धरती पर कभी पैदा हुआ था. दरअसल, महात्मा गांधी जी ने अपने जीवन में कई ऐसे कार्य या प्रयोग किए, जो कोई महापुरुष ही कर सकता है! सच तो यह है कि गांधी जी ने न केवल दूसरों का मार्गदर्शन किया, बल्कि उपदेशों का पहले स्वयं पर प्रयोग भी किया।
गांधीजी क¨ अहिंसा का पुजारी और भारत के राश्ट्रपिता के रूप में संब¨धित किया जाना सर्वथा उचित है। और इस बात से तो सभी भलीभाँति परिचित हैं कि जिन चीजों से मिलकर हमारा भारत बना है, उनमें महात्मा गांधी भी शामिल है। अगर मैं यह कहूँ कि-महात्मा गांधी के बिना भारत की कल्पना ही नहीं की जा सकती- तो अतिश्योक्ति नहीं है। गांधीजी के जन्मदिवस पर उन्हें याद करके उनके सत्य, अहिंसा और सोहार्द्य के संदेश पर हमें फिर से विचार करना होगा साथ ही यह स्वीकारना होगा कि उनके द्वारा बताए गए रास्ते को अपनाकर ही असत्य, और दायित्वहीनता पर विजय प्राप्त की जा सकती है। ऐसा नहीं है कि सत्याग्रह और अहिंसा सिर्फ भारत में ही प्रचलित हैं बल्कि सत्याग्रह और अहिंसा की विचारधारा को वैश्विक समुदाय में भी उच्च प्रतिष्ठा प्राप्त है और इसीलिए संयुक्त राष्ट्र में गांधी जी के जन्म दिवस, 2 अक्तूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में अपनाया गया है.।
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