भाग – २ भाग – ३
रीता झा
बिहार उत्तरी भारत की पवित्र गंगा घाटी में स्थित प्राचीन भारतीय इतिहास का एक गौरवशाली प्रदेश है जिसकी अपनी एक विशिष्टता रही है -विशिष्ट संस्कृति, विशिष्ट भाषा, विशिष्ट कला और विशिष्ट सोच भी । ऐसा कहा जाता है कि सृश्टि का आरंभ भी यहीं से हुआ था-बांका जिला स्थित मंथन गिरी मंदार इसका जीता जागता प्रमाण है – जहाँ पर भगवान विष्णु से उत्पन्न मधु एवं कैटभ को भगवान ने अपने हाथों से मारा तथा भगवान मधुसूदन नाम से विख्यात होकर बौंसी में स्थित हैं । बाद में इस मंदार पर्वत को मथानी कार्य में उपयोग कर सृश्टि का विस्तार किया गया । यह राज्य महात्मा बुद्ध और 24 जैंन तीर्थंकरों की कर्मभूमि भी रही है । कभी यहाँ पर गूँजा था बौद्धों का ‘‘अहिंसा परमों धर्मः’ अप्प दीपो भव’ का मंत्र, तो कभी मंडन मिश्र तथा आदि शंकर का शाषास्त्रार्थ – ‘ब्रहं सत्यम् जगन्मिथ्या जीवों ब्रहैव नापराः’ के अलौकिक उद्देश्य के साथ-ही-साथ ‘‘या देवी सर्वभूतेशु शक्ति रूपेण संस्थिता…….’’ के रूप में लौकिकता को वरण करने के लिए शक्ति प्राप्ति का भी आग्रह । कभी गौरवशाली वैशाली का गणतंत्र सबको साथ लेकर चलने का, सभी जीवों का विकास करने का, सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न होने का संदेश, तो कभी महात्मा चाणक्य की भीषण प्रतिज्ञा-अन्याय, अत्याचार को जड़ से उखाड़कर छोटे-छोटे राजवंषों को मिटाकर अखंड भारत का निर्माण कर उसकी सत्ता जमीन से जुड़े तबकों को प्रदान करने की, गांधी का आततायी अंग्रेजों के विरूद्ध प्रथम शंखनाद, तो कभी हुआ था लोकनायक जय प्रकाश का ‘सम्पूर्ण क्रांति’ का सूत्रपात ।
यह भूमि क्रांति की भूमि भी है, तो शांति की भी । निर्माण के साथ-साथ निर्वाण की स्थली भी रही है बिहार । समय रूकता नहीं-सत्तायें आती हैं, जाती हैं । उत्थान तथा पतन होता रहता है – ज्ञान तथा अज्ञान, रौशनी तथा अंधकार का नर्तन होता रहता है – इस विश्व पटल पर । बिहार भी इससे अछूता नहीं रहा । पुरानी गलतियों से सीख लेकर हमें अपने ही हाथों से, अपने ज्ञान से बिहार का नव निर्माण करना है । अब बिहार के वर्तमान परिदृष्य का जरा अवलोकन करें –
भाजपा सदृश कथित मुस्लिम विरोधी पहचान वाली पार्टी से गठजोड़ के बावजूद उन मुस्लिम बहुल 43 विधान सभा क्षेत्र में भाजपा को 17, जद(यू) को 14 सीटें मिली। सबसे आश्चर्यचकित करने वाली बात रही अमौर (74.30), बायसी (69.04), प्राणपुर (49.27) इत्यादि क्षेत्रों में जहां पर मुस्लिम मतदाता के सहयोग के बिना जीतना मुशकिल ही नहीं असम्भव भी है, वहाँ पर भी भाजपा जीती है। ये जीत सम्पूर्ण हिन्दुस्तान की राजनैतिक परिदृष्य को बदलकर रख देगी। अब विकास चाहिए, काम चाहिए – मात्र नारेबाजी नहीं। ये हुआ – अल्पसख्यंक मुस्लिम बालिकाओं के लिए व्यावसायिक उन्मुखीकरण तथा आर्थिक निर्भरता हेतु ‘हुनर’ योजना के क्रियान्वयन के कारण, इनके बच्चों के लिए ‘उत्थान केंन्द्र’ तथा ‘तालीमी मरकज’ के कारण, बालिकाओं के मध्याह्न भोजन, साइकिल तथा उचित शिक्षा दीक्षा की प्राथमिकता के कारण। जनता एहसान फरामोस नहीं होती – काम को पुरस्कार जरूर देती है – अच्छे काम का अच्छा तथा बुरे काम का बुरा। सब कुछ समझती है, सबकुछ जानती है।
बाढ़ तथा सुखाड़ का डटकर सामना किया । नहीं कुछ से तो कुछ करना अच्छा है। आगे और भी बहुत कुछ करना है। सड़कों, कानून व्यवस्था तथा स्वास्थ्य के भी क्षेत्रों में सुधार हुआ है। मुख्यमंत्री महादलित पोशक योजना, शोचालय निर्माण योजना तथा जीवन दृष्टि योजना से महादलितों तथा वचिंतो के लिये भी कार्य हुए। लक्ष्मीबाई विधवा पेंशन योजना जैसी मानवीय योजनाऐं भी आई।
परन्तु, यह गम्भीरता से आकलन करने की बात है कि महादलितों, दलितों, मुस्लिमों इत्यादि वोटों के मिलने के साथ ही व्यापारियों, नौकरशाहों, सभी जातिया, धर्मों का वोट मिलने के वाबजूद मात्र दो से तीन प्रतिशत वोट ही सत्तारूढ़ गठबंधन को विपक्षी दलों से अधिक मिले हैं। तो इस सरकार के लिए इतराने की भी बातें नही हैं। अगर इस सरकार ने जरा भी जनता की आकांक्षाओं और विश्वास के साथ छल या विशवस्घात किया तो इसे भी जनता नहीं छोडेगी और छोड़नी भी नहीं चाहिए। सरकार के कार्यां का कच्चा चिट्ठा विपक्षियों के पास, टी0वी0 चैनलों, अखबारों, रेडियो के पास नहीं होती है यह होती है – जनता के पास । इतिहास गवाह है जो सरकार जनता के साथ छल करती है, समय आने पर जनता उसे दण्डित करने से नहीं हिचकती है।
ऐसा भी सज्ञांन में आया है कि पिछली सरकार ने शराब के ठेके काफी खुलवाये है । परन्तु इसका असर अभी हुआ नहीं है इसीलिए इस चुनाव में तो महिलाओं ने 55 प्रतिशत वोट देकर नीतीश सरकार को बहुमत दिलवाई है । ये ही महिलाऐं इस नीतीश सरकार को आगे के चुनाव में दण्डित कर सकती है जब इनके पति, भाई और अन्य संबंधी शराब पीकर इन्हें तथा इनके बच्चों को प्रताड़ित करेंगे। आन्ध्र-प्रदेश इसका उदाहरण रहा है। राजस्व आय तो इससे सरकार को अधिक मिला परन्तु सरकार को इतना विवेक तो आवश्य होना चाहिए कि किस मद से राजस्व कमाना विवेकसंगत होता है और किस से नहीं । ये सरकार आखें बंदकर एक गरीब आदमी का ध्यान करे और अपने आप से पूछे कि शराब ठेके से उस आदमी को फायदा होगा या नहीं । उत्तर स्वयं मिल जायेगा । सरकार शराब के ठेकों पर प्रतिबंध और वो भी पूरा प्रतिबंध लगायें । इससे महिलाओं तथा बच्चों का पूर्ण आशीर्वाद इन्हें मिलेगा । तथा शराब मिलकर ही विकास की गति को रोकती है । अभी फैसला सरकार के हाथों में है, आगे का फैसला जनता कर देगी ।
इसी तरह, जो पार्टियाँ मुस्लिम समुदाय को पहले भाजपा का डर दिखाकर उनके वोट लेने में कामयाब हो जाते थे उनका समय अब लद गया है । यदि ये सरकार अल्पसंख्यक समुदायों को साथ लेकर चलती है और इनके आर्थिक उत्थान तथा सुरक्षा के लिये ईमानदारी तथा निश्ठापूर्वक कार्य करती है तो सब कुछ ठीक ठाक रहेगा और इनका भरपूर समर्थन भी सरकार को मिलेगा अन्यथा इसके लिये सरकार ही दोषी होगी, जनता नहीं । अल्पसंख्यक केवल मुस्लिम ही नही बल्कि बौद्ध, सिख, जैन, ईसाई इत्यादि समुदाय भी बिहार में रहते हैं, इनके लिए भी अल्पसंख्यक योजनाऐं होनी चाहिए।
भ्रष्टचारी नौकरशाहों, जनप्रतिनिधियों, कर चोरी करने वालों को भी सरकार को पूरी तरह दंडित करना ही होगा। दंडित करने के दिखावे मात्र से काम नहीं चलेगा । सब कुछ जमीन पर होते देखना चाहती है, यहाँ की जनता । इतना ही नहीं आपके हर एक कार्यां का दूसरे प्रदेश की जनता भी आकलन कर रही है । जनता पुराने सरकारों की कलाबाजियों से पूरी तरह परिचित है । अतः इस वर्तमान सरकार पर अभी पूरी तरह विशवास नहीं किया जा सकता । शुरू में पिछली सरकार ने भी ऐसा ही किया था — जगह-2 छापामारी की थी पर बाद में क्या हुआ सभी जानते हैं । परन्तु इस सरकार में थोड़ी बहुत संजीदगी दिखाई देती है । अब आगे आने वाला समय ही बतायेगा ।