कानूनी प्रावधानों को सही तरीके से लागू करना महत्वपूर्ण: आमोद कंठ


समाज के सर्वांगीण विकास के प्रति समर्पित समाजसेवी गैर-सरकारी संस्था सम्पूर्णा ने अपनी स्थापना की वर्षगांठ पर एक क्रान्तिकारी आन्दोलन की शुरुआत की है। सम्पूर्णा लगातार 6 माह तक दिल्ली के करीब 500 क्षेत्रों में महिला सुरक्षा अभियान चलाएगी। इस सम्बन्ध में संस्था ने अपने महाराणा प्रताप सामुदायिक भवन केंद्र में एक कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम में दिल्ली प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष श्री विजेन्द्र गुप्ता, समाजसेवी संस्था प्रयास के संस्थापक एवं पूर्व आईपीएस अधिकारी श्री आमोद कंठ, राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित प्रबुद्ध शिक्षाविद एवं सामाजिक कार्यकर्ता श्री राजकुमार जैन, सम्पूर्णा की अध्यक्षा श्रीमति तरुणा कटारिया, अवकाश प्राप्त प्रिंसिपल एवं सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमति रीता नैयर, जस्टिस फाउंडेशन की कन्वीनर सुश्री सुरभि सहित बड़ी संख्या में अन्य सामाजिक संस्थाओं से जुड़े पुरुषवर्ग एवं महिलाएं शामिल हुईं। 

इस अवसर पर अपने संबोधन में पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि आज महिलाएं हरेक क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। ऐसा इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि उन्हें आगे बढने का मौका मिला। परन्तु अफसोस की बात है कि सामाजिक रूप से आज भी बड़ी संख्या में महिलाओं को समानुभूति एवं आगे बढने का समान अवसर नहीं मिलता। इसके विपरीत उनके साथ तरह-तरह के अत्याचार किये जाते हैं। वसंत विहार गैंग रेप की घटना के बाद भी सरकार की ओर से कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया। आगे भी उम्मीद कम ही है। ऐसे में महिलाओं में जागृति लाने एवं उन्हें सशक्त करके ही महिला विरोधी हिंसा से बचा जा सकता है। यह प्रयास तब और अधिक सार्थक होगा जब सभी संस्थाएं मिलकर कार्य करें। उम्मीद है की सम्पूर्णा का यह प्रयास अवश्य रंग लाएगा।

पूर्व आईपीएस अधिकारी श्री आमोद कंठ ने कहा कि महिला हितों की रक्षा एवं उनके संरक्षण के लिहाज से अपने देश में कानूनी प्रावधानों की कमी नहीं है। शर्मनाक बात है कि इसके बावजूद महिला विरोधी हिंसा में कोई कमी नहीं आयी। यहाँ कानून के होने या न होने का सवाल नहीं है बल्कि कानूनी प्रावधानों के सही तरीके से लागू होने की बात है। आमतौर पर पूरे देश के तंत्र का इस्तेमाल सिर्फ ताकतवर लोग ही कर पाते हैं। बच्चों के खरीद-फरोख्त एवं घरेलू हिंसा के मामले में भी कमोबेश यही स्थिति है। इनसे सम्बंधित जितने मामले सामने आते हैं वास्तविकता उससे कहीं अधिक भयावह है। घरेलू हिंसा से पीड़ित महिला डरवश अथवा कानूनी प्रावधानों की जानकारी न होने के चलते कोई शिकायत नहीं करती। यह सही है कि पुरुष महिलाओं से शारीरिक रूप से बलशाली माना जाता है लेकिन महिलाओं में सहनशक्ति ज्यादा होती है जबकि पुरुष जल्दी टूट जाता है। सहनशक्ति सबसे बड़ी शक्ति होती है। महिलाओं को कानूनी प्रावधानों की जानकारी हासिल कर अपनी शक्ति को और बढ़ानी चाहिए।

प्रबुद्ध शिक्षाविद एवं सामाजिक कार्यकर्ता श्री राजकुमार जैन ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ जारी हिंसा की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए समाज को भी अपनी सोच बदलनी होगी। महिलाओं को प्रशासन एवं परिवार की ओर से सुरक्षा एवं संरक्षण मिले। साथ ही समाज भी उन्हें पूरा मान-सम्मान प्रदान कर उनमें समानुभूति का भाव जगाए। सामाजिक मानसिकता में परिवर्तन एवं महिलाओं को समान अवसर उपलब्ध कराकर ही महिला विरोधी हिंसा से निबटा जा सकता है। सम्पूर्णा का यह प्रयास सराहनीय है । सबको साथ लेकर चलने से ही सफलता मिलेगी। भारत विकास परिषद्, जस्टिस फाउंडेशन एवं अपार इंडिया कालेज की ओर से मैं हर संभव सहयोग प्रदान करूंगा।

उल्लेखनीय है कि सम्पूर्णा विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से 9 सितम्बर तक लगातार पूरी दिल्ली में करीब 500 स्थानों पर पुत्री जन्मोत्सव , बालिका आत्म रक्षा प्रशिक्षण ,विचार गोष्ठी ,चित्रकला प्रतियोगिता ,नुक्कड़ नाटक एवं नृत्य-संगीत प्रतियोगिता ,कवि सम्मलेन ,पुलिस जनता संवाद ,महिला पंचायत ,सन्देश वाहिका प्रशिक्षण कार्यक्रम ,कन्या सम्मान समारोह ,खेल-कूद प्रतियोगिता ,स्वास्थ्य जांच शिविर ,बुजुर्ग महिलाओं का सम्मान ,पदयात्राओं द्वारा जन जागरण एवं कानूनी परामर्श आदि कार्यक्रम आयोजित करेगी।