अशोक कुमार निर्भय
पहाड़,प्रकृति और संस्कृति के प्रति हर मनुष्य का रुझान हमेशा बना रहता है। संस्कृति जहाँ जोड़ने का काम करती है वही पहाड़ अपनी मनोरम सुंदरता और जलवायु को संतुलित रखने में जीवन देते हैं। इन्ही पहाड़ों से जीवनदायिनी नदियां मनुष्य की प्यास और खेती करने के लिए जल देती हैं। प्रकृति को देखने देश ही नहीं विदेश से भी पर्यटक भारत आते हैं। इतना होने के बाद आज पहाड़ों में कई समस्याऐं भी उत्पन्न हो चुकी हैं। सरकारी उदानसीनता इसका सबसे बड़ा कारक है वही बढ़ता प्रदूषण पर्यावण और वहां के पहाड़ी जीवन के लिए खतरा बना है। इसी चिंता को व्यक्त करने के लिए पहाड़ों को बचाने के लिए समर्पित गैर सरकारी संस्था अभिव्यक्ति ने इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर लोधी रोड पर दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया। इस अवसर पर एयर इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबन्ध निदेशक अश्वनी कुमार लोहनी मुख्य अतिथि थे। अश्वनी कुमार लोहनी ने अपने आतिथ्य सम्बोधन में बहुत सार गर्भित वक्तव्य दिया कि रोजगार के अवसर किस प्रकार बढ़ाये जा सकते हैं। प्राकृतिक संसाधनों को उपयोग सही प्रकार सुरक्षित तरीके से कैसे किया जा सकता है। सरकार द्वारा काम बजट में पर्यटन योजनाओं को बना कर कैसे पर्यटन को बढ़ाया जा सकता है, विज्ञापनों से कैसे देश विदेश के सैलानियों को आकर्षित किया जा सकता है। उन्होंने पर्यटन विकास पर अपने अनुभव भी साझा किये। इस सेमिनार के पहले सत्र में संस्कृति,थयेटर,फिल्म और टीवी पर पहाड़ी लोकगीत संस्कृति के विलुप्त होने की परिचर्चा हुई जिसमें विभिन्न क्षेत्रों से आये वक्ताओं ने अपने अनुभव और परिक्लपना को साझा किया। दूसरे सत्र में पहाड़ से पलायन और संस्कृति व रोजगार को लेकर अपने अपने क्षेत्रों के विशेषज्ञ वक्ताओं ने अपने अभिव्यक्ति में विचार रखे। उत्तरकाशी विश्वनाथ मंदिर के महंत एवं उत्तरकाशी होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय पुरी ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि हमने सबसे पहले पलायन को रोकना है इसके लिए संस्कृति को बचाना होगा पहाड़ों पर्यटन के माध्यम से युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने होंगे इसके लिए कई वर्षों से उनके द्वारा किये जा रहे प्रयासों को उन्होंने साझा किया। उन्होंने पर्यटकों के लिए सिंगल विंडों सिस्टम और सरकार द्वारा पर्यटन एवं सरकार को राजस्व के नुक्सान के प्रति बरती जा रही उदनसीनता को तोड़ कर राफ्टिंग और कैम्पिंग पर लगाई रोक पर सरकार की और से सही और सपष्ट पक्ष रखकर इस कारोबार से जुड़े हज़ारों युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के पक्ष को जोरदार ढंग से रखा। उन्होंने अपने उद्बोधन में अणडूढ़ी दूध मक्खन की होली,मंगशीर बग्वाल मार्गशीष अमावस्या,महाशिवरात्रि महोत्सव,फाल्गुन त्रयोदशी सांस्कृतिक यात्रा,नीलांग और जाडुंग वैली तिब्बत भारत सीमा पर मनाया जाने वाला भोटिया और जाड़ समुदाय का पारम्परिक नृत्य के अंतर्गत खोज ले हिमालय नामक आयोजनों की आवशयकता पर बल दिया।