फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह जी से मेरी पहली मुलाकात एक अंग्रेजी खेल मैगजीन के लॉन्चिंग पार्टी में 2011 के दौरान हुई थी | जहां वे बतौर मुख्यतिथि आए हुए थे लेकिन जब मैंने अपना संक्षिप्त परिचय दिया तो बड़े गर्मजोशी से मिले परन्तु उनकी व्यस्तता एवं उस लघु मुलाकात में साक्षात्कार नहीं कर पाया |
उसके बाद 24 दिसम्बर, 2016 को श्रीवेंकटेश्वर इंटरनेशनल स्कूल में प्रधानाचार्या सुश्री नीता अरोड़ा जी के निमंत्रण पर वार्षिक खेल दिवस पर उनसे पुन: मुलाकात हुई (जिसके कुछ फोटो एवं लाइव विडियो मेरे फेसबुक पेज पर भी मिल जाएंगे)| नीता मैम ने जब उनसे स्टेज पर ही मेरा परिचय कराया उन्होंने अपने चिरपरिचित अंदाज में मुझे नाम लेकर पुकारा उस समय मेरे मित्र संजय तथा मोहसिन भाई भी साथ ही थे| परन्तु इस बार भी उनका इंटरव्यू करने का अवसर नहीं मिला | फिर सितम्बर माह में 15-17 सितम्बर, 2017 को पांचवे एशियाई लिटरेचर फेस्टिवल के सानिध्य में चिल्ड्रन फिल्म फेस्टिवल चंडीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित करने गया हुआ था | मुझे पता था कि मिल्खा सिंह चंडीगढ़ में ही रहते हैं शायद उनसे रूबरू होने का अवसर मिल जाए इसी जद्दोजहद में थोड़ी मशक्कत के बाद अपने वरिष्ठ पत्रकार मित्र माध्यम से उनका व्यक्तिगत फोन न. मिल गया और जब फोन पर उनसे बात हुई तो उन्होंने मुझे अगले दिन सुबह सुखना झील पर मिलने का वादा किया | मैं सुबह-सुबह वहां पहुंच गया थोड़ी ही देर में मेरे फोन की घंटी बजी फोन उठाते ही आवाज आई
“आप पत्रकार डोगरा जी बोल रहे हैं?
मैंने जवाब दिया जी, बोलिए आप कौन बोल रहे हैं ?
“जी मैं चंदरपाल बोल रहा हूँ साहब आपसे बात करना चाहते हैं.
मैंने कहा करवाइए इतने में भारी आवाज में फोन पर सुनाई दिया
“Dogra ji, Milkha Singh this side, Sorry I can’t meet you today actually, कल रात कुछ मित्र-रिश्तेदार घर पर आ गए थे और आज शाम तक वे सब वापिस चले जाएँगे So see you tomorrow the same time and venue at 7 a.m.
अगले दिन मेरी चिटकारा यूनिवर्सिटी, पटियाला में राजकपूर जी द्वारा मीडिया स्टूडेंट्स के साथ मीडिया कार्यशाला का कार्यक्रम फिक्स कर दिया गया था और अंतत इस बार मेरी व्यस्तता के कारण मिल्खा सिंह जी मिलना संभव नहीं हो पाया जिसकी मैंने उन्हें पूर्व सूचना दे दी थी | उसके बाद से उनसे मोबाइल पर कभी-2 बातचीत हो जाया करती थी| उनकी स्मरण शक्ति कमाल की थी, पिछले जन्मदिवस पर 20 नवम्बर,2020 को जब मैंने उन्हें फोन पर बधाई दी तो तुरंत बोले कब मिलना होगा डोगरा जी.
मैंने कहा सर लॉकडाउन खुल जाए या मेरा हिमाचल जाना हुआ तो आपके घर होकर ही जाऊंगा | लेकिन जब से उन्हें और उनकी पत्नी को करोना हुआ तो फोन पर चाह कर भी बात नहीं कर पाए और पहले पत्नी फिर स्वयं भी करोना से जंग हार कर विदा होंगे ऐसा तो कभी सोचा ही नहीं था | मुझे मलाल रहेगा कि दो बार मुलाकात के बाद भी मिल्खा जी का व्यक्तिगत इंटरव्यू नहीं कर पाया | लेकिन उनके निधन की खबर सुनने के बाद उनके वही शब्द गूंजते महसूस होते हैं “Dogra ji, Milkha Singh this side.”
Sir we all miss you a lot. You and your whole family contribution towards sports will remain alive forever. You are an inspiration for millions of sports lovers and I am also one of them.
May his soul rest in Peace.