विश्व हिंदी दिवस पर सकारात्मक भारत प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन

 सकारात्मक भारत के लिए दो दिवसीय RJS प्रशिक्षण कार्यशाला का  विश्व हिंदी दिवस 10जनवरी 2021को समापन हो गया।सकारात्मक सोच का भारत बनाने के लिए राम-जानकी संस्थान नई दिल्ली द्वारातपसिल जाति आदिवासी प्रकटन्न सैनिक कृषि बिकाश शिल्पा केंद्र(टीजेएपीएस केबीएसके) हुगली,पश्चिम बंगाल के सहयोग से उदयकुमार मन्ना के संयोजन में वर्चुअल कांफ्रेंस आयोजित हुआ।

इसका शुभारंभ आरजेएस ऑब्जर्वर दीप माथुर के स्वागत भाषण से हुआ और समापन  आरजेएस राष्ट्रीय सम्मान2021 के भेंटकर्ता ओमप्रकाश झुनझुनवाला ने किया।  दीप माथुर ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द के नाम का आरजेएस राष्ट्रीय सम्मान 2021 मेरे सहित तीन अन्य लोगों डा.ए.के. झिंगन ,श्रीमती विनय वार्ष्णेय और आशीष पाण्डेय ने किया है। बेविनार में तकनीकी सहयोग डेली डायरी न्यूज़ का रहा।उन्होंने प्रखर वक्ता और रेडियो ब्राॅडकास्टर पार्थ सारथि थपलियाल की प्रशंसा की ,कहा मैं उनके सकारात्मक व्यक्तित्व से प्रभावित हूं। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी ने 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाने की घोषणा की थी सबसे पहले 10 जनवरी 2006 को विश्व हिंदी दिवस मनाया गया जबकि 10 जनवरी 1975 को नागपुर में पहला विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित किया गया था और कई देशों के प्रतिनिधि उसमें भाग लिए.  9 जनवरी के मुख्य अतिथि आरजेएस के प्रेरणास्रोत रामजग सिंह ने कहा कि साढ़े पांच साल से चल रहे सकारात्मक भारत महा-आंदोलन की प्रासंगिकता बढ़ती जा रही है।

स्वामी विवेकानंद की जयंती, राष्ट्रीय युवा दिवस 12 जनवरी और विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी पर प्रकाश डालते हुए दोनों दिनके मुख्य प्रेरक वक्ता , चिंतक और लेखक पार्थ सारथि थपलियाल जी थे। उन्होंने जीवन में सफलता के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण पर बल दिया और कहा कि “बाधाओं की दीवार में समाधान का द्वार भी मौजूद होता है। इसलिए निराश और हताश होने की जरूरत नहीं है।” कई राज्यों से जुड़ी आरजेएस फैमिली और खासकर युवाओं को  संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि महापुरूषों और पूर्वजों के सम्मान से नई पीढ़ी को नई सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी ,और वो जीवन में जल्दी सफल हो जाएंगे। विवेकानन्द जी के बताए मार्ग पर चलने वाला खुद को कभी कमजोर नहीं मानता और तब तक रूकता नहीं है जब तक लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो जाती।

आरजेएस राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना ने बताया कि श्री थपलियाल ने प्रतिभागियों के साथ इंटरैक्टिव सेशन और अभ्यास सत्र का आयोजन किया और उनके मन में उठने वाले संशय कि पात्र-कुपात्र की क्या पहचान है ?  राजनीतिक धर्म और मानव धर्म की पहचान क्या है? परिवार में स्त्री-पुरुष के बीच रिश्तों में  प्रगाढ़ प्रेम और सहिष्णुता कैसे कायम रह सकते हैं ? नकारात्मक व्यक्तियों की पहचान कैसे करें ? उन्होंने कहा कि जिंदगी छोटी है लेकिन बड़ी सकारात्मक सोच से अलौकिक शक्ति और आनन्दानुभूति का अहसास बना रहेगा।दीप माथुर ने कहा कि नवजागरण के अग्रदूत और हिंदी साहित्य के पितामह भारतेंदु हरिश्चंद्र की कविता है निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल बिन निज भाषा ज्ञान के मिटे न हिय को सूल  अंग्रेजी से भी इसका कोई बैर नहीं है उसको भी अपनेपन से लुभाती है यह हिंदी यूं तो देश में कई भाषाएं और हैं पर राष्ट्र के माथे की बिंदी है हिंदी संस्कृत की एक लाडली बेटी है यह हिंदी बहनों को साथ लेकर चलती है यह हिंदीडा.नरेंद्र टटेसर,प्रखर वार्ष्णेय, हरीश शर्मा, कुसुम प्रसाद , संतोष झा, डा.मीना, सुप्रिया छिकारा ,शिखा डबास,सुमन झुनझुनवाला,वैभव‌ भारद्वाज,ऋचा चतुर्वेदी, रोहित कुमार,बीके किरण, संजय कुमार,सिराज अब्बासी, और अतुल ने उत्साहपूर्वक  भाग लेकर अपनी समस्याओं का समाधान पाया। जल्द ही सभी इस संबंध में अपनी प्रतिक्रिया से प्रतिभागी संस्थान को परिचित करायेंगे।।वेबिनार का समापन आरजेएस के राष्ट्रीय गीत से हुआ। आरजेएस सकारात्मक भारत महा आंदोलन भारतीय नववर्ष नवसंवत्सर 2021 तक चलेगा।