आजादी की अमृत गाथा के 143 वीं वेबीनार हर रविवार राष्ट्र प्रथम, भारत एक घर, विश्व एक परिवार के मिशन के साथ श्री अन्न : मिलेट्स यानि मोटा अनाज पर परिचर्चा हुई । रामजानकी संस्थान आरजेएस के राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना ने आरजेएस फैमिली की ओर से गणेश शंकर विद्यार्थी और साहित्यकार महादेवी वर्मा की स्मृति को नमन् किया। उन्होंने 26 मार्च को दिल्ली व गुजरात से ब्रह्मकुमारीज आश्रम,माउंट आबू की यात्रा व वापसी पर 2 अप्रैल की बैठक और पटना में 4 अप्रैल को प्रिंसीपल डा पूर्ण नाथ कुमार द्वारा आरजेएस की बैठक कराने और 14 अप्रैल से चिन्मय मिशन पटियाला पंजाब यात्रा की सूचना दी।
वेबीनार में ओपन हाउस सेशन की अध्यक्षता और संचालन कंज्यूमर ऑनलाइन फाउंडेशन के संस्थापक निदेशक प्रोफेसर बिजॉन कुमार मिश्रा ने बेहद शानदार ढंग से किया और 6अगस्त 2023 को 150वें आजादी की अमृत गाथा कार्यक्रम में आगामी स्मारिका में मिलेट्स विषय को शामिल कर प्रकाशित करने की सलाह दी।
ओपनिंग रिमार्क्स में PSAIIF के उपाध्यक्ष प्रफुल्ल डी सेठ ने श्री अन्न :मिलेट्स आहार को जन जन तक पहुंचाने के लिए तीन मंत्र बताए। उन्होंने आरजेसिएन्स की अलग अलग राज्यों में जा रही सांस्कृतिक व आध्यात्मिक यात्रा में भी मिलेट्स आहार को प्रोत्साहन देने का विचार व्यक्त किया।
एफ एस एस ए आई के सुभाषिस मलिक ने बताया कि हम अपनी परम्परा को भूल गये और कहानी सुनाई कि कैसे लोगों ने भारतीय भोजन के प्रति खराब नजरिया प्रकट किया । मोटा अनाज को सभ्य लोगों का भोजन नहीं मानने का भ्रम पैदा किया गया । जय प्रकाश सिंह डबास प्रिंसिपल एवं इंचार्ज पूसा इंस्टीट्यूट ने बताया मिलेट की खेती में पानी कम लगता है । फसल रक्षा के लिये जहरीली दवा का प्रयोग नहीं होता है । इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के डा. डी. आर.राय ने मिलेट के संबंध में भ्रामक विज्ञापन पर रोक लगाने और स्कूलों की कक्षाओं में बच्चों को बताने की जरूरत है । एपिडा के मन प्रकाश ने बताया कि नौ तरह का मिलेट उपलब्ध है ।मिलेट को मिड डे मील में बांटने की जरूरत है । सरदार गुरुमुख सिंह खेती विरासत मिशन ने बताया कि मोटा अनाज की खेती ग्राउंड वाटर को बचाता है । धान की खेती गाउंड वाटर को नीचे ले जा रहा । मिलेट की खेती में पेस्टीसाइड का इस्तेमाल नहीं है । खट्टी लस्सी और मिर्च से कीटाणुनाशक बना कर उसका प्रयोग करके दिखा रहे हैं । डा.एस. पी. सिंह प्रधान वैज्ञानिक जेनेटिक विभाग , पूसा इंस्टीट्यूट ने हरित क्रांति 1970 को जरूरी बताया क्योंकि अन्न की उस समय कमी थी, लेकिन मिलेट के महत्व को नकारा नहीं । आज बीमारी दूर करने तथा आवश्यक तत्वों की कमी दूर करने में मोटे अनाज का सेवन जरूरी बताया । मिलेट पर वेबीनार देखने के बाद अनेक लोग मिलेट खरीदने स्थानीय चक्की व दुकानों पर गये । खेती विरासत मिशन की मिलेट विशेषज्ञ ने श्री अन्न का स्वास्थ्य पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव की चर्चा की और कहा कि शुद्ध रूप में मिलेट्स उत्पादों का आहार ज्यादा फायदेमंद है। देवभूमि रसोई, मंसूरी से जुड़े प्रोपराइटर पंकज अग्रवाल ने उत्तराखंड व्यंजनों के बनाने की विधि और जानकारी दी।
धन्यवाद ज्ञापन एडवोकेट सुदीप साहू ने किया। वेबीनार में डॉ पुष्कर वाला डॉ ओम प्रकाश झुनझुनवाला डॉ मुन्नी कुमारी, पूनम शर्मा, मधुसूदन शर्मा, इसहाक खान, नीरू जैन आदि के सवालों का विशेषज्ञों ने संतोषजनक जवाब दिया।