राष्ट्रीयता की भावना का संचार करते हैं देशभक्ति गीत : राजकुमार जैन


भारत विकास परिषद् दिल्ली प्रदेश उत्तर द्वारा जसपाल कौर पब्लिक स्कूल ,बी.जे.वेस्ट शालीमार बाग में प्रदेश स्तरीय राष्ट्रीय समूहगान प्रतियोगिता का आयोजन किया गया | राष्ट्रपति पदक से सम्मानित ख्यातिलब्ध शिक्षाविद एवं भा.वि.प. दिल्ली प्रदेश उत्तर के अध्यक्ष श्री राजकुमार जैन की अध्यक्षता में आयोजित इस प्रतियोगिता में विभिन्न स्कूलों के प्रतिभागी बच्चों ने एक से बढ़कर एक देश भक्ति गीत प्रस्तुत कर बड़ी संख्या में उपस्थित लोगों में राष्ट्रीय चेतना का नव संचार किया | 


प्रतियोगिता का शुभारम्भ मणीदीप प्रज्ज्वलन एवं भारत मां की वंदना से हुआ | तत्पश्चात विभिन्न स्कूलों के बच्चों ने सुमधुर कंठ से राष्ट्रीयता की भावना से ओत-प्रोत हिंदी , संस्कृत एवं विभिन्न भारतीय भाषाओँ में समूहगान प्रस्तुत कर राष्ट्रप्रेम एवं अनेकता में एकता की भावना प्रदर्शित की | प्रतियोगिता में प्रथम , द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाली टीमों का चयन राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लिए किया गया | प्रतियोगिता आयोजन के औचित्य एवं प्रक्रिया के संबंध में विस्तृत प्रकाश डालते हुए अध्यक्ष श्री राजकुमार जैन ने कहा कि किसी भी देश के युवाओं में राष्ट्रप्रेम की भावना कूट-कूट कर भरने में निः संदेह देशभक्ति से ओत-प्रोत गीतों का अत्यधिक महत्व है | स्वतंत्रता संग्राममें भारतीय क्रांतिवीरों ने ” मेरा रंग दे बसंती चोला “जैसे गीतों का मुक्तकंठ से गान करते हुए अपने प्राण भारत माँ के चरणों में न्यौछावर कर दिए | सन 1962 में स्वर- साम्राज्ञी लता मंगेशकरद्वारा गाए गए गीत ” ऐ मेरे वतन के लोगों ” ने देश के मानस को झकझोर दिया | इस गीत ने जनमानस की आँखों में आंसू ला दिए तथा युवाओं को मुठ्ठियाँ तानकर देश के शत्रुओं पर टूट पड़ने के लिए प्रेरित किया | संभवतः यह इसी का परिणाम था कि 1965 में पाकिस्तान के दूसरे आक्रमण का उत्तर देने में हम सक्षम सिद्ध हुए | श्री जैन ने कहा कि देशभक्ति गीतों के इस प्रभाव को पहचान कर भारत विकास परिषद् ने सन 1967 में दिल्ली के विद्यालय – महाविद्यालयों के छात्र-छात्राओंको ऐसे गीत सामूहिक रूप से गाने के लिए प्रेरित किया | इस संबंध में एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें तत्कालीन राष्ट्रपति महामहिम जाकिर हुसैन साहब भी उपस्थित हुए | उन्होंने कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए परिषद् को इस कार्यक्रम को देशव्यापी बनाने के लिए प्रोत्साहित किया | 
दिल्ली में तो यह कार्यक्रम हर वर्ष चलता ही रहा परन्तु वर्षों के आत्ममंथन के बाद सन 1975 में राष्ट्रीय स्तर की समूहगान प्रतियोगिता का जन्म हुआ | इसके लिए सरलता से स्वरबद्ध किये जा सकने वाले राष्ट्रभक्ति के ओजस्वी हिंदी गीतों की पुस्तिका ” चेतना के स्वर ” का प्रकाशनपहले ही किया जा चुका था, संस्कृत भाषा में भी समूहगान प्रतियोगिता के लिए ” राष्ट्र्गीतिका “के नाम से 32 गीतों का संकलन तैयार किया गया | प्रतिभागियों को इन्ही पुस्तिकाओं में से किन्ही गीतों का चुनाव करना होता है | प्रतियोगिता तीन चरणों -शाखा स्तर , प्रान्त स्तर एवं तत्पश्चात राष्ट्रीय स्तर पर संपन्न होती है | शाखा स्तर के विजेताओं को प्रान्त स्तर , प्रान्त स्तर के विजेताओं को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में शामिल होने का अवसर प्राप्त होता है | विभिन्न स्तरों पर आयोजित इस प्रतियोगिता में प्रथम , द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाली टोली ” ग्रुप ” को पुरस्कृत करने के साथ ही साथ सभी प्रतिभागियों को प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान किया जाता है | 

भारत विकास परिषद् दिल्ली प्रदेश उत्तर द्वारा आयोजित इस प्रदेशस्तरीय ” राष्ट्रीय समूहगान प्रतियोगिता ” का समापन राष्ट्रगान से हुआ | प्रतियोगिता के दौरान मुख्य संरक्षक श्री महेश चन्द्र शर्मा , मुख्यसलाहकार श्री भूपेंद्र मोहन भंडारी , महासचिव श्री संजीव मिगलानी सहित अन्य पदाधिकारी एवं गणमान्य लोग उपस्थित रहे |