हमें अपने बच्चों को अच्छा और जिम्मेदार इन्सान बनाना है

(एस.एस.डोगरा)


पत्रकार-लेखक मीडिया शिक्षाविद्द होने नाते मेरा व्यक्तिगत विचार है कि हमें रचनात्मक एवं सकारात्मक सोच के साथ प्रत्येक दिन कुछ न कुछ अवश्य करते रहना चाहिए | वैसे भी मेरा टैग लाइन है कि मानवता किसी भी धर्म या सभ्यता से बड़ी है और यदि हम इस पर गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए सभी एकजुट होकर कार्य करना आरम्भ कर दें तो हमारा समाज, देश और पूरा विश्व स्वत: ही खुशहाल हो जाएगा | देखिए गत वर्ष में करोना और अब ओमनीक्रोन ने पूरी मानव जाति को हिलाकर रख दिया है | इन महामारी के रहते सबसे बड़ा नुकसान शिक्षा क्षेत्र को हो रहा है |

हालाँकि ऑनलाइन शिक्षा पद्दति ने पढाई को बरक़रार रखने में तो मदद की है लेकिन जो रूबरू होकर ज्ञान एवं उर्जा संचार होता है उसमें कहीं न कहीं खामियां रहीं है | और इस अभाव में हमें बच्चों एवं युवाओं में शिक्षा-दीक्षा को प्रसारित एवं प्रचारित करने के लिए अपने-अपने स्तर पर बहुत मेहनत करनी होगी | टेक्नोलॉजी में तो ये बच्चे सच में हमसे कहीं अधिक जानकर हैं परन्तु व्यावहारिक रूप में ये दिलोदिमाग से रोबोट जैसे प्रतीत होते हैं | चूँकि ये वर्ग ही कल को हमारे समाज एवं देश की बागडौर संभालेगा और यदि ये शारीरिक, मानसिक रूप से कमजोर रह गए, तो आप समझ ही सकते हैं कि आने वाला भविष्य कितना अंधकारमय हो सकता है |

इन्ही विषयों को ध्यान रखते हुए मैंने राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्कूली-कालेज विद्यार्थियों के लिए ओवरआल व्यक्तित्व निखारने हेतु साप्ताहिक/मासिक कार्यशालाएं का नया तथा अन्यंत उपयोगी फार्मूला विकसित किया है| इसके तहत सबसे पहले तो हिंदी अंग्रेजी भाषा पर कैसे पकड़ बनाई जाए, कम्युनिकेशन स्किल कैसे बढाएं जाएँ, अपनी जीवन-शैली को आत्मनिर्भर कैसे बनाया जाए, इंडोर एवं आउटडोर खेलों में रूचि कैसे पैदा की जाए, सर्जनात्मक गतिविधियों को कैसे अपनाया जाए, जीव जंतु, मानव-कल्याण, नैतिक-आध्यात्मिक मूल्यों, पर्यावरण-सुरक्षा, असहाय एवं वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल चेतना तथा पुस्तकों-समाचार-पत्र-पत्रिकाओं को नियमित रुप से पढना, रेडियो सुनना, नियमित शोध को अपने जीवन का अहम हिस्सा कैसे बनाया जाए आदि शामिल होंगे | एक बात और बताता चलूँ कि ये बातें सोचना बड़ा आसान सा प्रतीत होता है लेकिन इन्हें नियमित रूप से व्यावारिक रूप जीवन में अनुसरण कर अनुसाशित होना एक कड़ी परीक्षा है | वैसे मैं अपने कॉलेज के विधार्थियों, सेमीनार अथवा वेबिनार में उपरोक्त अति महत्वपूर्ण पहलुओं पर अक्सर समय रहते अवश्य चर्चा करता रहता हूँ | क्योंकि आज हमारे बच्चे एकल परिवार तथा इन्टरनेट की दुनिया के दुष्प्रभाव से ग्रस्त हैं | यदि हमें अपने बच्चों को अच्छा और जिम्मेदार इन्सान बनाना है तो भावी पीढ़ी को हरफनमौला बनाना होगा और यही वक्त की मांग है| मेरा व्यक्तिगत मत है कि उपरोक्त प्रयासों से राष्ट्र, समाज और मानवीयता प्रेमभाव जाग्रत करने में अवश्य सफलता मिलेगी |
जय हिन्द-जय भारत
(एस.एस.डोगरा-असिस्टेंट प्रोफ़ेसर-पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, एफआईएमटी कॉलेज, आई पी यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली-110037 ,मोबाइल न.9811369585| www.ssdogra.com