माँ की मधुर स्मृतियाँ में ब्रह्म तथा शक्ति दो रूपों में हमारे सामने व्यक्त होकर भी वस्तुतः एक और अभिन्न है । माँ स्वयं ही शक्ति है —–पूर्ण ब्रह्म श्री रामकृष्ण कि शक्ति है ।
जगदम्बा ही श्री माँ के रूप में जीवों के उद्धार हेतु आविर्भूत हुई है ………………. हमारी शारदा माँ !!!!
कृपामयी माँ कि कृपा का अंत नहीं । एक भक्त ने माँ से कहा ————– ध्यान के समय मैं मन को ठीक से लगा नहीं पाता । मेरा मन बड़ा चंचल है ।
माँ ने हंस कर कहा —————- वह सब कुछ नहीं है । मन का स्वाभाव ही ऐसा होता है , आँख और कान कि तरह । नियमित रूप से ध्यान -जप करते जाओ । भगवान के नाम का आकर्षण की अपेक्षा बहुत अधिक शक्तिशाली है । नियमित अभ्यास करने से समय पर सब ठीक हो जाएगा । सर्वदा ठाकुर कि बातें सोचना, वे तुमें हमेशा देख रहे हैं | अपनी त्रुटियों के बारे में जरा भी चिंता मत करना ।
माँ ने सौम्य मुस्कान के साथ कहा ———- अपनी बातें , क्रिया कलाप और अभ्यास ठीक रखना तब अनुभव करोगे कि तुम कितने धन्य हो । ठाकुर जी का आशीर्वाद जीव पर हमेशा बरस रहा है , उसे माँगने कि जरुरत नहीं पड़ती है । व्याकुल होकर ध्यान जप करो , तो उनकी असीम कृपा समझोगे । भगवान अनन्यता , सत्यवादिता तथा प्रेम के भूखे हैं । बाह्य भावोच्छास उनके पास नहीं पहुंचते हैं ।
नियमित रूप से निर्दिष्ट समय पर जप करना । यदि अन्य सभी विचारों को हटाकर हृदय कि परम व्याकुलता के साथ तुम प्रभु को पुकार सको तो वे जरुर उत्तर देंगें ही । वे करुणामय हैं तुम्हारी प्रार्थना पूर्ण करेंगें ।
आनंद स्वरूपा दयामयी शारदा माँ को कोटि कोटि नमन !!!!
– मधुरिता झा