निशा जैन
अशोक कुमार निर्भय
मुक्तधारा सभागार में नाटय कला मंच द्वारा एक दिवसीय नाटय समारोह का आयोजन किया जिसमें सुनील कुमार सिंह कृत हिन्दी नाटक अन्धेरे के राही रमेश मेहता कृत हिन्दी में हास्य नाटक बोनी बाबू एल डी सी का आयोजन किया गया । हिन्दी नाटक अन्धेरे के राही युवा समस्याओं पर आधारित था जिसमें ये बताने की कोशिश की गई कि किस प्रकार आज का युवा उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी उन्हें रोजगार प्राप्त नही आज वो बेरोजगार है नशे की गर्त में जा रहा है चोरी डकैती कर रहा हे । ये किस कारण से ये सिस्टम की वजह से । आज सिस्टम की रग रग मे भ्रष्टाचार भरा हुआ है । अमीर अमीर हो ता जा रहा है ओैर युवा अन्धेरे की राह पर जा रहा हैं। उन्हें सही रोशनी दिखाने वाला न सरकार में है न सिस्टम में है।आज युवाओ को सही मार्गदर्शन की जरूरत है।ऐसे ही एक युवा विकास की कहानी है जो पढलिख कर भी बेरोजगार है उसकी बहन ज्योति घर का सारा खर्च उठा रही है उसके कुछ कालेज के देास्त जो नशेडी है उसे भी अपने रास्ते मे डाल देते है नशेडी बना देते बरबाद कर देते है।उसके पिता आर्थिक तंगी के कारण बीमारी की वजह से दम तोड देते है । विकास यह बरबादी सह नही पाता ।एक सुत्रधार की सहायता से बताने की कोशिश की गई । अंत में सुत्रधार के माध्यम से इस जटिल समस्या के प्रति जागरूक करने की कोशिश की गई सूत्रधार इस भ्रष्ट व्यवस्था को उतार फैंकनें के लिए अहवान करता है ।
हिन्दी नाटक बोनी बाबू एल डी सी भी एक ऐसे युवक बोनी की कहानी है जिसने एक विधवा से झूठ बोलकर कि वो शादी शुदा है कहकर मकान किराये पर ले लिया हेै।इस काम मे उसका साथी नारायण सिंह उसका पूरा पूरा साथ देता हेै। लेकिन मकान मालकिन कोे पक्का यकीन हे कि बोनी कुआरा है वो अपनी बेटी लाडो की शादी उससे करना चाहती है । इधर बोनी ने लोगो का पैसा चुकाना हे कयोकि उसने खाना जूती चप्पल कपडा सब उधार लिआ है । बकायदार उसके पीछे पडे है।इधर मकान मालकिन उसे अपनी बीवी को लाने को जोर डाल रही है। इतेफाक से एक दिन उसके दोस्त प्राण की पत्नी उसके घर मे रहने के लिए आ जाती है । और वो उसे नही बताती की वो उसके दोस्त प्राण की पत्नी है। इधर बोनी मकान मालकिन के सामने उसे अपनी पत्नी साबित कर देता है। कुछ देर बाद उसका दोस्त प्राण वो भी आ जाता है। दरअसल मे प्राण और शकुन्तला ने प्रेम विवाह किया होता है प्राण बीमा ऐजेन्ट है। एक दिन बोनी के पिता प्रभुदयाल भी उसकी सगाई के सिलसिले मे आ जाते है। बस क्या था ? पोल खुल गई । नाटक के घटनाक्रम को देखकर दर्शक हॅसे बिना नही रह पाते दोनो नाटको मंच व्यवस्था सुन्दर एवॅ जरूरत कें हिसाब से थी । प्रकाश एवॅ ध्वनि व्यस्था अच्छी थी । वरिष्ठ रंगकर्मी राजेश दुआ के निर्देशन में दोनो नाटको का सफल मंचन हुआ । भाग लेने वाले कलाकार ओ पी शर्मा, फातिमा रमेश कथूरिया, आदित्य कुमार, पुनित शर्मा, राहुल, प्रिया, खुशी, सतेन्द्र सिंह रिंकु हितेश, सिद्वार्थ, जतिन एवं भुपेन्द्र । हमारा मिशन रंगमंच को प्रोत्साहित करना एवॅ दिल्ली की जनता केा जनसमस्याओं के प्रति जागरूक करना है।