द्वारका सैक्टर-19 के पास अमरेही गाँव की हैं। इस समय गुरु अपार्टमेंट, सैक्टर-6, द्वारका में रहती है। शुरू से ही इनका परिवार भाजपा के समर्थक रहें। इनके पिता गाँव के प्रधान तथा समाज सेवा से जुड़े रहें है। कमलजीतसेहरावत बचपन से ही समाज सेवा व राजनीति के माहौल में पली-बढ़ी।
नौकरी:
1997-99 के दौरान आर. के. पुरम सैक्टर-8 केन्द्रीय विधालया में बतौर पी. जी.टी.(कोमर्स) शिक्षक के रूप मे कार्य किया।
व्यवसाय:
पिछले कुछ वर्षों से, वे विदेशों में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए विध्यार्थियों को विदेशी युनिवेर्सिटी में दाखिला दिलाने में सलाहकार का कार्य कर रहीं हैं। इस दौरान उन्होने विभिन्न देशों के दौरे भी किए।
राजनैतिक केरियर:
सन 2003 में राजनीति में कदम रखा। भाजपा के लिए, जिला उपाध्यक्ष नजफ़गढ़ भी रही। भारतीय जनता पार्टी के लिए एक कर्मठ कार्यकर्ता के रूप में बखूबी काम किया। मेरी पार्टी ने मुझ में विश्वास दिखाया और सन 2008 में दिल्ली की मटियाला विधानसभा क्षेत्र से चुनाव के लिए टिकिट मिला। पहली बार चुनाव लड़ते हुए मैंने 45,742 वोट भी प्राप्त किए। मटियाला विधानसभा क्षेत्र के बारे में उनका मानना है कि यह पूरी दिल्ली का सबसे बड़ा क्षेत्र है जहां 300 सोसायटी, 35 गाँव, 102 कालोनी, 5 जे.जे.क्लस्टर तथा कुल 2,65,000 वोट है।
वर्तमान में व्यस्तता:
आजकल भाजपा में योगदान दे रहीं हूँ। यह मेरा सौभाग्य है कि मेरी पार्टी ने वर्तमान समय में मुझे उत्तर-पूर्वी जिला का मन्त्री पदभार सौंपा हुआ है। जिसके अंतर्गत पाँच विधायक तथा 20 निगम पार्षद आते हैं। इन जन-प्रतिनिधियों के कार्यो को योजनबद्ध तरीके से करने की ज़िम्मेदारी के साथ साथ पार्टी के बड़े-बड़े नेताओं के संग काम करने का अनुभव मिलता है। इसके अलावा पिछले दिनों हिमाचल विधानसभा चुनाव के दौरान 15 दिन हिमाचल में तथा 17 दिनों तक गुजरात विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार दिल लगाकर काम किया।
प्राथमिकता:
मुझे मौका मिलेगा तो मैं अपने क्षेत्र में पानी, यातायात व्यवस्था, स्वास्थ्य तथा शिक्षा जैसे अहम विषयों पर अवशय काम करूंगी। जिससे मेरे क्षेत्र का सर्वांगीण विकास हो सके।
यू.पी.ए. सरकार की खामियां
यू.पी.ए. सरकार महंगाई पर लगाम लगाने में नाकामयाब रही है। यह सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त है और सबसे बड़ी बात, जनता के प्रति उदार रवैया नहीं है।
दिल्ली सरकार:
गत पाँच वर्षो में शराब की दुकानों के संख्या में खूब बढ़ावा किया है। बार लाएसेंस धड़ल्ले से बांटे गए। यदि गुजरात में शराब पर रोक लग सकती है तो दिल्ली में क्यों नहीं। नौकरी में आयु सीमा 21 वर्ष से घटकर 18करना। आम महिला कितनी सुरक्षित है सबको पता है। फिल्मों, टीवी व विज्ञापन के माध्यम से परोशी जा रही अशलीलता। इन सब मुददों पर कोई रोक-टोक नहीं है। युवाओं में संस्कारों की कमी के लिए कौन जिम्मेदार है? इन सभी मामलों में दिल्ली सरकार विफल रही है। इन विषयों पर गंभीरता से काम करने की जरूरत है। तभी स्वच्छ समाज व देश का निर्माण होगा।