अन्ना हजारे की बायोपिक पर फिल्म निर्माण में सफलता मुझे मिली: शशांक उदापुरकर


प्रेमबाबू शर्मा

इस बार किसी बायोपिक फिल्म के लिये वयोवृद्ध नेता अन्ना हजारे को को चुना गया। ‘अन्ना’ नामक इस फिल्म को बनाया है मराठी लेखक, डायरेक्टर और एक्टर शशांक उदापुरकर ने। शशांक ने कुछ मराठी फिल्मों में समानांतर भूमिकायें निभायी, लेकिन वे कुछ ऐसा करना चाहते थे जो कुछ अलग, नया तथा यूनिक हो। एक दिन उनके दिमाग में आया कि क्यों न अन्ना हजारे को लेकर कुछ किया जाये, बस इसके बाद उन्होंने अन्ना को लेकर रिसर्च करना शुरू कर दिया। करीब साल भर की अथक मेहनत के बाद उन्होंने अन्ना के जीवन की बारीक
से बारीक चीज को भी अपनी स्क्रिप्ट में कैद कर लिया।

जब स्क्रिप्ट तैयार हो गई तो वे अन्ना से मिलने उनके गांव जा पहुंचे। वहां उन्होंने अन्ना के मैनेजर से अन्ना से मिलने के लिये सिर्फ पांच मिनिट का समय मांगा। वहां शशांक को ये भी पता चला कि इससे पहले कई बड़े बड़े फिल्म मेकर्स अन्ना को लेकर फिल्म बनाने की कोशिश कर चुके हैं लेकिन अन्ना के मना करने पर वे सभी पीछे हट गये थे। मैं पांच मिनिट के वक्त के साथ अन्ना से मिला और उन्हें अपने आने का मकसद बताया तो उन्होंने मुस्कराते हुये कहा कि फिल्म बनानी हैं तो गांधी जी पर बनाओ। मुझे कोई क्यों देखना चाहेगा। इस पर मैने कहा सर, गांधी जी जैसे महान लोग तो भगवान के करीब के संत हैं। उन पर फिल्म बनाना मेरी औकात से बाहर की बात है।

लेकिन आप की बात की जाये तो आपके बारे में मैं इतना कह सकता हूं कि एक महज सातवी तक पढ़ा लगभग अनपढ शख्स जब दिल्ली के मंच से भारत माता जिन्दा बाद कहता है तो उसके पीछे लाखों करोड़ों स्वर एक साथ गूजंते हैं। बड़े बड़े आलिम उनसे और उनके विचारो से बुरी तरह प्रभावित हैं। उनकी हर बात पर विश्वास करते हुए युवा उनके पीछे खड़े हैं। लिहाजा उन्हें और उनके विचारों से पूरे देश क्या पूरे विश्व को परिचित करवाना चाहिये। इसके लिये मेरे पास एक माध्यम है फिल्म। अन्ना ने इतना सुन मुझसे पूछा कि तुम मेरे बारे क्या जानते हो तो मैने उन्हें कहा कि आप मुझे थोड़ा और वक्त दें। उनकी सहमति के बाद मैने उन्हें अपनी कहानी नरेट की तो उन्होंने आश्चर्य प्रकट करते हुये कहा, तुम्हारी रिसर्च सुनने के बाद ऐसा लगता है कि बचपन से अभी तक तुम मेरे साथ रहे हो। इसके बाद उन्होंने मुझे फिल्म बनाने के लिये हरी झंटी दे दी। अब मेरे सामने अगला काम था फिल्म के लिये प्रोड्यूसर ढूंढना। 

जब ये सब्जेक्ट स्व. रविन्द्र जैन ने सुना तो वे बहुत प्रभावित हुए। बाद में उन्होंने अपने भाई मनिन्द्र जैन से कहा कि तुम ये फिल्म प्रोड्यूस कर सकते हो। जहां तक अन्ना के किरदार की बात है तो वो मैने शुरू से ही निश्चय कर लिया था कि ये भूमिका तो मुझे ही करनी है। बाकी कास्टिंग के तहत किशन बाबूराव हजारे यानि अन्ना की मां की भूमिका में अश्विनी गिरी को साइन किया गया, साहूकार को अभिनीत किया गोविंद नामदेव ने, रमैया के किरदार में दया शकर पांडे दिखाई देने वाले हैं। मिलीट्री ऑफिसर बने हैं शरत सक्सेना, शिखा की भूमिका में तनिषा मुखर्जी है तथा सूत्रधार हैं रजित कपूर और किशोर कदम भी एक अहम किरदार में दिखाई देंगे।

फिल्म की शूटिंग मनाली,दिल्ली तथा महाराष्ट्र की विभिन्न लोकेशनों पर की गई। हाल में जब अन्ना को फिल्म का फस्ट ट्रेलर दिखाया गया तो उन्होंने अपनी भूमिका निभाने के लिये मेरी पीठ ठौंकते हुए मुझे मेरे काम की सराहना की।