-प्रेमबाबू शर्मा
वहीं, महामना मालवीय मिशन के वित्त समिति के सह-संयोजक श्री धनंजय गिरि जी ने कहा कि सौ वर्षों में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने अखिल विश्व में अपना परचम लहराया। महामना ने जिसका बीज रोपा था, आज वह वृक्ष लहलहा रहा है। पुनर्जागरण काल में शिक्षा में होने वाले बदलाव में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय का विशेष योगदान रहा है। उन्होंने शिक्षा में प्राचीन भारतीय मूल्यों एवं मानदंडों के साथ आधुनिक ज्ञान व विज्ञान का बेहतरीन समन्वय किया। महामना के शिक्षा दर्शन का अनुसरण कर देश की शिक्षा को नई दिशा दी जा सकती है
महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी के कीर्तिकलश काशी हिंदू विश्वविद्यालय अपने स्थापना का शताब्दी वर्ष समापन समारोह 25 दिसंबर को मना रहा है। इस उपलक्ष्य में विज्ञान भवन में दो दिवसीय समारोह का आयोजन किया जाएगा। महामना मालवीय मिशन के राष्ट्रीय महामंत्री हरी शंकर सिंह ने कहा कि 25 और 26 दिसंबर, 2016 को अंतर्राष्ट्रीय काशी हिंदू विश्वविद्यालय पुरा छात्र सम्मेलन और अभ्युदय भारत संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा। उद्घाटन 25 दिंसबर, 2016 को सुबह 10 बजे किया जाएगा। इस दो दिवसीय समारोह में कई केंद्रीय मंत्री और राष्ट्ीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक अपने-अपने विचार रखेंगे। उन्होंने कहा कि 25 दिसंबर, 2016 को सायं साढे पांच बजे सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाएगा। जिसमेें पद्मभूषण पंडित छन्नू लाल मिश्रा जी एवं काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र सांस्कतिक की प्रस्तुति देंगें।
डाॅ वेद प्रकाश सिंह ने कहा कि महामना मालवीय मिशन अपने स्थापना काल से ही महामना के विचारों के व्यापक प्रचार-प्रसार में लगा हुआ है। उन्होंने कहा कि महामना के कीर्तिकलश काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के बारे में उनकी दृष्टि, प्रत्येक भारतीय के लिए वैज्ञानिक ज्ञान की उपलब्धता कराने की दिशा में एक ठोस पहल थी। वैज्ञानिक, मानव संसाधन और क्षमता का आधार तैयार करना विश्वविद्यालय का केंद्रीय उद्देश्य रहा है। जब औपनिवेशिक सत्ता भारतीयों की तकनीकी शिक्षा पर ध्यान नहीं दे रही थी, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने ही इस दिशा में पहल की थी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना के मूल उद्देश्यों में से एक था कि विज्ञान तथा तकनीकी ज्ञान का उन्नयन। आज हमारी सरकार और प्रधानमंत्री भी इस पर जोर दे रहे हैं।
वहीं, महामना मालवीय मिशन के वित्त समिति के सह-संयोजक श्री धनंजय गिरि जी ने कहा कि सौ वर्षों में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने अखिल विश्व में अपना परचम लहराया। महामना ने जिसका बीज रोपा था, आज वह वृक्ष लहलहा रहा है। पुनर्जागरण काल में शिक्षा में होने वाले बदलाव में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय का विशेष योगदान रहा है। उन्होंने शिक्षा में प्राचीन भारतीय मूल्यों एवं मानदंडों के साथ आधुनिक ज्ञान व विज्ञान का बेहतरीन समन्वय किया। महामना के शिक्षा दर्शन का अनुसरण कर देश की शिक्षा को नई दिशा दी जा सकती है