(एस.एस.डोगरा)
एशिया की सबसे बड़ी उप नगरी में रहने वाले द्वारकावासियों की रात की नींद हराम हो रही और संबधित मंत्रालय एवं विभाग इस गंभीर विषय पर चुप्पी साधे बैठा है. द्वारका फोरम के पूर्व अध्यक्ष सी.के.रेजिमोन ने इस बाबत सेंट्रल पोल्लूसन कंट्रोल बोर्ड (केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण संघ) तथा डायरेक्टरेट ऑफ़ सिविल एविएशन को अनेकों बार संपर्क एवं पत्र व्यवहार किया मगर स्थिति बद बदतर होती जा रही है. आज तक इस विषय पर किसी भी विभाग एवं अधिकारी ने कोई भी जवाब देने का साहस नहीं दिखाया है.
एशिया की सबसे बड़ी उप नगरी में रहने वाले द्वारकावासियों की रात की नींद हराम हो रही और संबधित मंत्रालय एवं विभाग इस गंभीर विषय पर चुप्पी साधे बैठा है. द्वारका फोरम के पूर्व अध्यक्ष सी.के.रेजिमोन ने इस बाबत सेंट्रल पोल्लूसन कंट्रोल बोर्ड (केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण संघ) तथा डायरेक्टरेट ऑफ़ सिविल एविएशन को अनेकों बार संपर्क एवं पत्र व्यवहार किया मगर स्थिति बद बदतर होती जा रही है. आज तक इस विषय पर किसी भी विभाग एवं अधिकारी ने कोई भी जवाब देने का साहस नहीं दिखाया है.
गौरतलब है कि द्वारका के सेक्टर 8,9, 19, 22, 23 में रहने वाले निवासियों को शहर की भागदौड़ भरे जीवन में रात की मात्र 6-8 घंटे की चैन भरी नींद से वंचित रहना पड़ रहा है. जबकि रेजिमोन ने नारजगी जताते हुए बताया कि अंतरार्ष्ट्रीय हवाई अड्डे को बने हुए लगभग 5 वर्ष भी ज्यादा हो गए लेकिन यहाँ ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम के लिए कोई मापदण्ड विकसित नहीं किए गए हैं. जब एक तरफ रात को 10 बजे के बाद पटाखे फोड़ने अथवा पार्टी में जोर से संगीत बजाने के लिए कानून बनाए गए हैं तो फिर रात को उड़ने वाली फ्लाइट पर भी इस ध्वनि प्रदूषण से निज़ात दिलाने हेतु क्यों नहीं प्रयास किए जा रहें हैं.
रात को एयरपोर्ट के आसपास द्वारका के इलाके में हवाई जहाज से होने वाले असहनीय शोर से छोटे बच्चों, बुजुर्गों व दिल के मरीजों का जीवन अत्याधिक प्रभावित हो रहा है लेकिन इस समस्या का पुख्ता समाधान के लिए कोई भी प्रशासन/विभाग/मंत्रालय/जनप्रीतिनिधि पहल नहीं दिखा रहा है जिसकी वजह से स्थानीय द्वारकावासियों का जीवन नरक के समान होता जा रहा है. क्षेत्र के बुद्धिजीवियों का सुझाव है कि जब अंतरार्ष्ट्रीय स्तर का हवाई अड्डा स्थापित किया था तभी कुछ आवशयक तकनीक एवं उपकरणों को स्थापित कर ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण करना का प्रयास किया जा सकता था. एक दिलचस्प तथ्य भी सामने आया है कि इंदिरा गाँधी हवाई अड्डे पर रात्रि 10 बजे से लेकर सुबह 7 बजे के दौरान उड़ने वाली फ्लाइट का आकड़ा उपलब्ध ही नहीं है तो ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण पर विभाग कैसे काबू कर पाएगा. जबकि अन्य देशों में फ्लाइट उड़ने एवं उतरने के लिए हवाई अड्डे के आसपास रह्शी इलाके एवं रात्रि के समय में फ्लाइट के आवागमन पर कई महत्वपूर्ण मापदण्ड बनाए गए हैं जिनके रहते वहां के स्थानीय निवासियों की रात की चैन भरी नींद में किसी भी तरह की कोई बाधा उत्पन्न न हो. भारतीय सरकार विशेषतौर पर उड्डयन मंत्रालय एवं केन्द्रीय ध्वनि प्रदूषण बोर्ड को भी इस दिशा में मजबूत कदम उठाने होंगे तभी हवाई अड्डे के आसपास के लोगों को इन गैर-अनुशाषित एवं असहनीय शोर शराबे से छुटकारा मिल पाएगा.