युवाओं के लिए प्रेरणादायक है ‘मकडजाल ए पालिटिकल ट्रैप’

प्रेमबाबू शर्मा

स्माॅल स्क्रीन और सिल्वर स्क्रीन के बीच का फासला अब सिमट रह गया है। प्रतिभाओं को अपना पटुत्तव कौशल दिखाने के लिए स्ट्रगल नही करना पडता। जो प्रतिभाऐं निपूर्ण होती है वो अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर ही जाती है। अब चाहे वो स्माल स्क्रीन हो या बडी। दिनेश सिंह साहू ऐसे ही प्रबु़द्व ,उर्जावान,प्रतिभावान और कर्मठ फिल्मकार है जिन्होने छोटे परदे के नामचीन धारावहिक बालिका वधु,के मुख्य सहयोगी,, से अपने केरियर की शुरूआत की। कैसे बदलते है रिश्तें, शाका लाका बूम बूम, विक्की और बेताल,ये दिल चाहे मोर,एक्स जाॅन रिश्तें शासा कोई है,गुलाल,रूह और लेफ्ट राईट आदि धारावाहिकों में सक्रिय रहे । हाल में उन्होेंने सामाजिक सदर्भों पर आधारित फिल्म बतौर निर्माता निर्देशक ‘मकडजाल ए पाॅलीटिकल ट्रैप’ कम्पीलिट की है। इस फिल्म का आइटम नंबर हाल में ही फिल्मांया गया। इसी दौरान इनसे मिलने का मौका मिला प्रस्तुत है,चुनिंदा अंश:



बतौर निर्देशक जब आपने बालीवुड को चुना तो सिनेमेटिक एप्रेाच किस विषय को लेकर की ?
बालीवुड का विशालकाय स्वरूप मेरे दिलों दिमाग में उस समय भी रहा ,जब मैं धारावाहिको से जुडा था। इसलिए मैेने अपनी पहली फिल्म का आधार यूथ और पाॅलिटिकल पर रखा। मैं यूथ आॅडिनस के ऊपर अपनी फिल्म का फोकस रखना चाहता था। मेरी फिल्म मनोरंजन से भरपूर और बामकसद है। यह फिल्म युवाओं का मार्गदर्शन करती है।

आपने अपनी फिल्म में कलाकारों से लेकर तकनीकी टीम भी नए लोगों की है। क्या यह रिस्क फैक्टर नही है। आॅडियंस को सिनेमाघर तक ले जाने के लिए कौन सा फंडा आपके पास है?
मैं अपनी फिल्म के सब्जेक्ट और ट्रीटमेंट को लेकर काफी कॉंफिडेंट हॅू। इसलिए मार्किटिंग वॅल्युज को लेकर ज्यादा चिंता नही है। यूं भी अब आॅडिंयस के फिल्म देखने में जो बदलाव आया है। उसने हम जैसे नये फिल्ममेकर को इनकरेज किया । हाल में देखनें में आया है कि नामचीन कलाकारों की फिल्में बाक्स आफिस में दम तोड रही है। जबकि नवोदित कलाकारों की फिल्मों ने सफलता का अच्छा खासा इतिहास रचा है। अब दर्शक सब्जटीक और नए तेवर वाली फिल्में देखना पंसद करते है। इस लिहाज से मेरी फिल्म मकडजाल ए पाॅलीटिकल ट्रैप सभी वर्गो को पंसद आएगी। 
 
‘मकडजाल ए पाॅलीटिकल ट्रैप’ के द्वारा आप दर्शकों के लिए क्या परोस रहे है?
मेरी फिल्म में कालेज के दो ग्रुप राणा और विक्की के बीच के टकराव की कहानी है। दो दोस्तों के इस ग्रुप्स को असाजिक तत्वों का करेप्ट नेता राजनैतिक पृष्ठभूमि के मकडजाल में इतनी बुरी तरह से फंसा देता है कि वे असहाय महसूस करते है और उनके टीचर्स किस तरह से दलदल से बाहर निकालते है,यही फिल्म का मर्म है।



नवोदित कलाकरों को लेकर जो भी फिल्में बनती है। उनका म्युजिक बहुत हाई लिटेªट होता है। आपने अपनी फिल्म में इस दिशा में क्या कदम उठाया है ?
मेरी फिल्म भी संगीत प्रधान है। सिचुऐशनल साॅग के अलावा आइटम नंबर पर युवा संगीतकार राहुल तिवारी ने जी तोड मेहनत की है। मुझे यकीन है कि फिल्म के गीत सबको पंसद आएंगे।


आपकी फिल्म में मुख्य कलाकार कौन कौन है ?
रवि खानविलकर,चन्द्रकांत तनेजा,मुश्ताक खान,अशोक बनथिया, श्याम लाल के अलावा अमित पुधिर,जीत कंवल,अनन्या,अस्मिता,विनय यादव और मीनू साही की मुख्य भूमिका है।

बतौर निर्देशक आपका रोड माॅडल कौन है ?
मुझे शुरू से ही मनमोहन देसाई की फिल्में पंसद आती थी, बाद में मेरा झुकाव डेविड धवन की फिल्मों पर की हो गया।