चन्द्रकांत शर्मा
‘जिस तरह चट्टानों को देखकर सागर की लहरें पीछे नहीं हटती, बल्कि पूरी हिम्मत के साथ चट्टानों का बार-बार मुकाबला करती हैं, कुछ ऐसा ही जज़्बा सभी के भीतर होना चाहिए।’ संगीतकार विक्रम नागी भी कुछ ऐसा ही जज़्बा लेकर बॉलीवुड से जुड़ी संगीत की दुनिया में उतरे थे। एक से बढ़कर एक हैवीवेट हस्तियों के साथ आमना-सामना हुआ, पर खुद को छोटा नहीं पड़ने दिया। मकसद था संगीतकार बनने का, पर सामने दिग्गज़ संगीतकारों का लंबा कारवां था। विक्रम भी उन्हीं के बीच में शामिल थे, पर म्यूज़िक वर्ल्ड में वो सिर्फ इसलिए नहीं आए कि भीड़ का हिस्सा बनना है। वह तो छोटी रेखा के मुकाबले बड़ी रेखा खींचना चाहते हैं, न कि छोटी रेखा को मिटाना। मतलब ये है कि स्थापित संगीतकारों से मुकाबला करने की बजाय वह म्यूज़िक में बैस्ट देना चाहते हैं और इस मामले में उन्हें सक्सेस भी मिली है। थियेटर में उन्होंने जब फिल्म ‘द शौकीन्स’ देखी, तो उस समय हैरान रह गए जब उन्हें अपने कंपोज़ किए गीतों पर तालियों की गूंज सुनाई दी। विक्रम की यह उपलब्धि रही कि हनी सिंह और हार्डकौर जैसे म्यूज़िक कंपोजर्स के बीच खुद उनके द्वारा रची गई संगीत की धुनों ने श्रोताओं पर जादू-सा कर दिया। यकीनन फिल्म की सफलता का फायदा विक्रम को भी मिला है क्योंकि इससे पहले उन्होंने अज्ञात, रक्तचरित्र, रण, डिपार्टमेंट जैसी फिल्मों में संगीत दिया था, पर फिल्मों की नाकामयाबी ने विक्रम के कंपोज़ किए गए चमकदार गीतों को भी दबा दिया।
संगीत में आ रहे बदलाव के संदर्भ में विक्रम कहते हैं कि बदलाव प्रकृति का नियम है। नए संगीतकार के लिए यह बदलाव सकारात्मक है। उन्हें प्रेजेंटेशन के मौके मिल रहे हैं जबकि पहले प्रतिस्पर्धा ज्यादा थी और नए व प्रतिभाशाली संगीतकार सामने नहीं आ पा रहे थे। एक फिल्म में दो-तीन संगीतकारों की मौजूदगी का चलन भी न्यू कंपोजर्स के फेवर में गया है। विक्रम रिएलिटी शोज़ को भी सही ठहराते हैं। उनका मानना है कि इससे नए टैलेंट को प्लेटफार्म मिल रहा है। विक्रम कहते हैं कि संगीत एक समंदर की तरह है, जिसे घरानों अथवा गायन शैली की आड़ में बांटा नहीं जा सकता। शास्त्रीय हो या आधुनिक, संगीत तो मन को केंद्रित करने का उपयुक्त साधन है। विक्रम कहते हैं कि मैं ऐसा संगीत तैयार करना चाहता हूं, जो श्रोताओं को माधुर्य का अहसास कराए।