P.hD (Psychology )
Associate Professor (Retd)
Deptt. Of Psychology, NCERT
एक समय था जब लोग बहुत ही सीधे साधे होते थे । उनकी आवश्यकताएं , आकांक्षाए बहुत ही सीमित थीं | जीवन का एक मात्र उद्देश्य अपना और अपने परिवार का जीवन यापन करना था। लेकिन आज जीवन के सभी समीरकरण बदल गए हैं। महत्वपूर्ण दिखने की भूख लालसा दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है । इस चक्र में न हम अपने को देखते हैं और न ही अपने मित्रों , अवं एवं परिवार को ही देख पाते हैं. प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन को अपनी तरह से जीना चाहता है । अभिमान और आडम्बर का पर्दा आँखों पर पड़ा रहता है जिससे वह वही देखता है जो उसे देखना है । हमारे मूल्य पूर्णत: समाप्त हो गए है । हमारा व्यक्तित्व (Personality )पूरी तरह बदल गया है । जो हम हैं वैसे दिखाई नहीं देते । सार्वजानिक जीवन में हम कुछ और होते हैं जबकि निजी जीवन और गोपनीय जीवन इससे नितांत भिन्न होता है । सार्वजानिक जीवन में मनुष्य अपने आप को ऐसे प्रस्तुत करता है मानो उसके बराबर का कोई दूसरा हो ही नहीं सकता । दूसरो के बीच अपनी छवि हमेशा बनाए रखने में कोई कसर नहीं छोड़ता । पर सत्य यह है कि वो जैसा दिखाई देता है असल जिंदगी में वैसा वह नहीं होता । निजी जिंदगी घर -परिवार की होती है जिसमे वह कुछ परिवर्तन करने से हिचकिचाता है जबकि गोपनीय जिंदगी के क्रिया कलाप तो वह पारिवारिक जीवन में भी नहीं प्रकट होने देता । प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक सिगमंड फ्राइड ने इस महत्वकांछा का विश्लेषण बहुत ही मनोवैज्ञानिक तरीके से किया है .
मानव जीवन ,में कोई भी कार्य करने के पीछे दो मूल प्रति क्रियाएँ अथवा आकांछायें या अपेक्छाए —- सेक्स तथा दूसरों के सामने महान बनने —-की होती हैं | यह सत्य है कि मनुष्य अपने जीवन काल में खाना, , सोना ,सेक्स ,धन दौलत आदि की पूर्ति किसी भी सीमा तक कर सकता है लेकिन महान बनने की आकांछा को पूरा करने के लिए वह हमेशा वैचैन रहता है और यहाँ तक कि वह कभी -कभी ऐसे काम कर बैठता है जिसकी कि कभी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। अक्सर लोग ऐसे व्यक्ति को “पागल” कह कर पुकारते हैं । लेकिन ये पागलपन नहीं है ये एक प्रकार की “मनोविकृति ” (Psychosis ) है जो व्यक्ति में अपने जीवन के प्रारंभिक काल में ही जन्म ले लेतीं है ।
जब व्यक्ति को किसी भी कारणवश परिवार अथवा समाज में प्यार अथवा स्नेह नहीं मिल पता , केवल निंदा या आलोचना मिलती है इससे उसमे असुरक्छा की भावना जाग्रत हो जाती है और फिर वह ऐसे जीवन को जीने के लिए मजबूर हो जाता है जहाँ उसे सब जाने ,उसे मान्यता मिले (Recognition ) ,,पहचान मिले और सम्मान मिले । अपने आप को लोगो की नज़रो में बनाये रखने के लिए अनेक प्रकार की हरकते करने लगता है ताकि उनका ध्यान उसकी ओर आर्कर्षित हो सके. । ऐसा व्यक्ति महत्वपूर्ण बनने और दिखने की लालसा से प्यार करता है । शोहरत की भूख और दिखने की लालसा का जीवन यापन करने और ऐसे भ्रम का जीवन जीने बाले हर गली में, हर मोहल्ले में , हर शहर में और हर प्रान्त में मिल जायेगे ।