दस दिवसीय कार्यशाला के दौरान अनंतपथ की साधिका सुश्री सुरभि ने बताया कि ध्यान-साधना से आत्मबोध होता है जो हमें उत्कृष्टता की ओर ले जाती है। अनवरत साधना से अकल्पनीय और दुरूह कार्य में भी सफलता प्राप्त होती है। उन्होंने ध्यान साधना के विभिन्न चरणों के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। साधक आचार्य हरानंद एवं साधिका चिन्मयी आदि ने कुण्डलिनी साधना के नौ चक्रों में प्रत्येक से सबंधित विकार एवं उसे जाग्रत करने की विधि भी बतलायी। कार्यशाला के समापन पर सफल प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किया गया।
उल्लेखनीय है कि अपार इंडिया ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूशंस अपने यहां अध्ययनरत छात्रों के सर्वांगीण विकास पर विशेष ध्यान देती है। इसके लिए वह समय-समय पर विभिन्न सेमिनार, वर्कशॉप, इंडस्ट्रियल विजिट आदि का आयोजन करती रहती है। मुद्रा विज्ञान कार्यशाला उसी की एक कड़ी है। आध्यात्मिक, समाजसेवी संस्था ‘अनंतपथ’ भी पिछले 12 वर्षों से राष्ट्र उत्थान एवं जन कल्याण कार्य में जुटी है। यह श्री श्री साईं प्रेम बाबा के स्वयं सिद्धि,साधना एवं सेवा के विचार पद्धति पर कार्य करती है।
संस्था जन सामान्य को ध्यान-साधना सिखाने के साथ ही साथ अपने कादीपुर आश्रम स्थित स्कूल में पांचवीं तक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा, निः शुल्क डिस्पेंसरी आदि सुविधा उपलब्ध कराती है। इसके अलावा अलग-अलग क्षेत्रों में रक्तदान शिविर, स्वास्थ्य शिविर एवं जागरूकता शिविर आदि का आयोजन करती रहती है।