प्रोफेसर पदों पर आरक्षण है तो प्रिंसिपल पदों पर क्यों नहीं ?

दिल्ली यूनिवर्सिटी एससी, एसटी ओबीसी टीचर्स फोरम  के चेयरमैन डॉ. कैलास प्रकाश सिंह यादव ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, एससी/एसटी के कल्याणार्थ संसदीय समिति को पत्र लिखकर याद दिलाया है कि समिति दिल्ली विश्वविद्यालय में छह साल पहले शिक्षा मंत्रालय, यूजीसी व डीओपीटी के अधिकारियों की टीम के साथ 9 जुलाई 2015 को दिल्ली विश्वविद्यालय में आरक्षण की समीक्षा करने, प्रोफेसर के पदों पर आरक्षण लागू कराने और प्रिंसिपल के पदों पर आरक्षण लागू करने का आश्वासन देकर गयी थी। डॉ. यादव का कहना है कि पिछले छह साल से संसदीय समिति की रिपोर्ट पर धूल पड़ रही है, विश्वविद्यालय द्वारा उस पर कोई कार्यवाही नहीं करने पर उन्होंने गहरा रोष व्यक्त किया है और इसकी जांच समिति के उच्चाधिकारियों से कराने की मांग की है ।

                    डॉ. यादव ने बताया है कि संसदीय समिति ने  दिल्ली विश्वविद्यालय में पाया है कि यहांँ प्रोफेसर के पदों में आरक्षण नहीं दिया जा रहा है और न ही प्रिंसिपल के पदों में किसी तरह का आरक्षण है। साथ ही पोस्ट बेस रोस्टर को भी यूजीसी व डीओपीटी के निर्देशानुसार लागू नहीं किया जा रहा है। समिति ने इस पर गहरी चिंता जताई। उनका कहना था कि प्रिंसिपल के पदों को क्लब करके रोस्टर रजिस्टर तैयार कर इन पदों पर आरक्षण लागू करते हुए पदों को विज्ञापित किया जाए तथा विशेष भर्ती अभियान के तहत एससी/एसटी के अभ्यर्थियों से इन पदों को भरा जाए, लेकिन फोरम ने खेद व्यक्त करते हुए कहा है कि पिछले छह साल से संसदीय समिति की रिपोर्ट को आज तक दिल्ली विश्वविद्यालय ने लागू नहीं किया है, ना ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने आज तक प्रिंसिपल के पदों का रोस्टर ही तैयार किया ।

                   प्रिंसिपल पदों पर हो आरक्षण— कॉलेजों में प्रिंसिपल के पदों पर आरक्षण देने के लिए एससी, एसटी की कल्याणार्थ संसदीय समिति ने 9 जुलाई 2015 को और 18 दिसम्बर 2015 को दिल्ली विश्वविद्यालय में अपनी टीम के साथ आई थी। समिति ने एक रिपोर्ट लोकसभा में प्रस्तुत की थी, जिसमें कहा गया था कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों के प्रिंसिपल पदों को क्लब करके रोस्टर रजिस्टर बनाया जाये। इस तरह से दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रिंसिपल पदों पर आरक्षण लागू होने पर एससी—12, एसटी—06 और ओबीसी कोटे के —22 पद बनते हैं, लेकिन आज तक डीयू ने प्रिंसिपल पदों का रोस्टर रजिस्टर तक नहीं बनाया। इस मुद्दे को विश्वविद्यालय की एकेडेमिक काउंसिल के सदस्यों ने एकेडेमिक काउंसिल में कई बार उठाया लेकिन इस पर विश्वविद्यालय प्रशासन पूरी तरह मौन है।
             डॉ. यादव ने बताया है कि जब यूजीसी गाइडलाइंस—2006 के अनुसार प्रोफेसर के पदों पर आरक्षण है तो प्रिंसिपल के पदों पर आरक्षण क्यों नहीं दिया जा रहा है ? उन्होंने यह भी मांग की है कि जिन कॉलेज के ऑफिसिएटिंग प्रिंसिपल बने पांच साल से ज्यादा हो चुके हैं उन्हें हटाकर रोस्टर के अनुसार प्रिंसिपलों की नियुक्ति की जाए। उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल से मांग की है कि वह अपने दिल्ली सरकार के वित्त पोषित 28 कॉलेजों में आरक्षण लागू करते हुए एससी/एसटी/ओबीसी कोटे के अभ्यर्थियों  की नियुक्ति प्रिंसिपल पदों पर करें। उन्होंने बताया है कि दिल्ली सरकार के कॉलेजों में 20 से अधिक प्रिंसिपलों के पदों पर स्थायी नियुक्ति होनी है, इन पदों पर ऑफिसिएटिंग प्रिंसिपल लगे हुए है। उनका कहना है कि वह पांच साल से अधिक हो चुके प्रिंसिपलों को हटाकर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की नियुक्ति करें और दिल्ली सरकार सामाजिक न्याय की पक्षधर है यह संदेश दे।

डॉ. कैलास प्रकाश सिंह यादव
चेयरमैन–दिल्ली यूनिवर्सिटी एससी, एसटी, ओबीसी टीचर्स फोरम
फोन–9868606210