पाँव बड़ों के छुए जाते हैं आनंदी, हमारा रिश्ता बराबरी का है.
ये तब पूरा होगा जब आप मुझे खुद से बढ़कर नहीं, खुद के साथ पायेगी.
जी हाँ उपरोक्त डायलोग कलर टीवी पर प्रसारित लोकप्रिय सीरियल बालिका वधु का है और इसकी रचियता है श्रुति वैद जिन्होंने रघुवीर शेखावत जैसे सरीखे डायलोग राइटर को असिस्ट किया. हाल ही में हमारे प्रबंधक संपादक श्री एस.एस. डोगरा को श्रुति से रूबरू होने के मौका मिला. प्रस्तुत है आपके समक्ष बातचीत के प्रमुख अंश:
Shruti Vaidya with S S Dogra |
मैं बचपन से ही निबंध आदि लिखने में खूब दिलचस्पी लेती थी.
आपने पढाई किस विषय में और कहाँ की ?
मैंने दर्शनशास्त्र (Philosophy) में स्नातक की डिग्री रुपारेल कॉलेज, मतुन्गा, मुंबई से की.
थिएटर से जुड़ने का खुलासा करें?
मैं I.P.T.A.,मुंबई, पृथ्वी थिएटर आदि से भी जुडी हूँ.
नृत्य कौशल में भी कुछ कर रही हैं?
जी, मुझे प्रसिद्ध कत्थक गुरु बिरजू महाराज जी की वरिष्ठतम शिष्या सुश्री रेनू शर्मा से कत्थक सीखने का सौभाग्य मिला.
आपने कहाँ-कहाँ शो किए हैं?
मुंबई, नासिक, के आलावा हाल ही में देहरादून में शो किए हैं. आगामी महीनों में अमेरिका में शो करने की तैयारी चल रही है.
आप संवाद को बेहतर लिखने का श्रेय किसे देती हैं?
मैं अपने आसपास अपनी दादी, नानी, तथा अन्य रिश्तेदार व् फ्रेन्ड्स आदि से वार्तालाप कर संवाद को बेहतर लिखने में अत्यंत महत्तवपूर्ण योगदान समझती हूँ.
अच्छे संवाद का क्या गुण होता है?
देखिये एक अच्छे संवाद का सर्वोपरि गुण यही होता है कि आप एक सन्देश को स्वाभाविक व् दिलचस्प अंदाज में श्रोताओं के समक्ष पेश कर सकें.
अपने काम के बारे में बताएं?
मैंने बालिका वधु, लाडो, सरस्वती चन्द्र, गणेश लीला आदि जैसे टीवी पर प्रसारित लोकप्रिय सीरियल के लिए डायलोग लेखन किया है. और मेरे काम को लोगों ने खूब सराहा भी है.
Shruti Vaidya with Ruskin Bond |
अभी पिछले ही दिनों, मशहूर अंग्रेज लेखक रस्किन बांड के साथ मसूरी में हुई मुलाकात, मेरे जीवन के यादगार लम्हें है. मैं बांड साहेब के सरल व् सहज व्यक्तित्त्व से बहुत प्रभावित भी हुई.
भविष्य की क्या योजनाएं हैं?
मैं एक फिल्म के लिए स्क्रीन प्ले (पटकथा) लिख रही हूँ जो की एक लड़की के चरित्र पर आधारित होगी. यह पटकथा बालिका की अपरिपक्वता से लेकर परिपक्वता तक की जीवन यात्रा पर केन्द्रित होगी.