आरजेएस पीबीएच के सकारात्मक भारत-उदय आंदोलन की रविवारीय श्रृंखला में 17 मार्च 2024 को एआई पर गहन चर्चा के बाद 24 मार्च को होली उत्सव कवि सम्मेलन और 31 मार्च को मतदाता जागरूकता पर कार्यक्रम की घोषणा हुई।
आज आरजेएस पीबीएच-द अवेयर कंज्यूमर के अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार में मुख्य अतिथि अंतर्राष्ट्रीय उपभोक्ता नीति विशेषज्ञ प्रोफेसर बिजोन कुमार मिश्रा ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अपने अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कहा कि एआई का इस्तेमाल जीवन के हर क्षेत्र में होने जा रहा है, इसलिए भविष्य की इस तकनीक के सही तरीके से सकारात्मक इस्तेमाल को सुनिश्चित करना जरूरी है। इसीलिए इस विषय पर द अवेयर कंज्यूमर पत्रिका के प्रधान संपादक प्रो.मिश्रा ने कहा कि इसका नवीनतम संस्करण एआई पर प्रकाशित किया गया है। मुख्य वक्ता गोइंग डिजिटल के संस्थापक और सीईओ संदीप रावत के सारगर्भित वक्तव्य को प्रतिभागियों ने सराहा। आरजेएस पीबीएच के सकारात्मक गीत और माॅडरेटर डा.ज्योति तिवारी असिस्टेंट प्रोफेसर आर्मी इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन के गीता श्लोक से “उपभोक्ताओं के लिए निष्पक्ष और जिम्मेदार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस” पर वेबिनार प्रारंभ हुआ।
पेशेंट सेफ्टी एंड ऐक्सेस इनिशिएटिव ऑफ इंडिया फाउंडेशन के उपाध्यक्ष प्रफुल्ल डी. शेठ ने पिछले एक साल में मीडिया में एआई के बारे में आई कई रिपोर्टों का हवाला दिया, जिसमें परिणामों के बारे में चेतावनी भी दी गई थी। उन्होंने एआई के बारे में सवाल उठाए कि क्या एआई हमारे जीवन को बेहतर बनाएगा या बदतर।
अतिथियों ने आरजेएस पीबीएच के संस्थापक उदय मन्ना द्वारा शुरू नौ सालों से चल रहे पाॅजिटिव मीडिया आंदोलन को निरंतर आगे चलाने का समर्थन किया ताकि ग्रामीण स्तर तक जागरूकता बढ़े।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता संदीप रावत ने कहा कि एआई आज सबसे अधिक परिवर्तनकारी तकनीक है, जो अगली औद्योगिक व तकनीकी क्रांति के लिए तैयार है। एआई का सही तरीके से उपयोग किया जाना चाहिए। चैटजीपीटी जैसे एआई के कुछ ऐप, जो सभी प्रकार के सवालों के जवाब देते हैं, छात्रों की रचनात्मकता को बाधित कर सकते हैं। कोविड महामारी जैसी संकट की स्थिति में उपयुक्त वैक्सीन पर शोध की आवश्यकता होती है, एआई का उपयोग शोध को काफी तेज कर सकता है। क्लाउड कम्प्यूटेशन और विशाल डेटा के साथ, एआई आवश्यक जानकारी बहुत तेजी से दे सकता है। हालांकि, मशीनें से दी गई जानकारी और एल्गोरिदम पर जो परिणाम देंगे वो त्रुटि या पूर्वाग्रह ग्रसित भी हो सकते हैं। कार्यक्रम में इंटरैक्टिव सेशन भी हुआ जिसमें आरजेएस ऑब्जर्वर दीपचंद माथुर, बीना जैन ,अमेरिका से जुड़े रमैया व राजन वर्मा, पार्थो राय, पूर्णिमा गैटोंड,डा बी आर जागा शेट्टी,निशीत कुमार, सुदीप साहू,डा शिशिर एस,रामजी भाई मवानी, यामिनी त्रिपाठी , पायल अग्रवाल,इशहाक खान , मुन्नी कुमारी ,विनोद विप्लव, सत्येंद्र सुमन त्यागी, दुर्गा दास आजाद, अविनाश त्रिपाठी आदि लगभग साठ प्रतिभागी शामिल रहे जबकि अशोक कुमार मलिक आदि आरजेएस पाॅजिटिव मीडिया यूट्यूब पर लाईव अवलोकन किए।
मुख्य वक्ता ने शंकाओं का सकारात्मक समाधान प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि रोबोट प्रोग्राम के अनुसार काम करने में अथक रूप से कुशल हो सकते हैं, लेकिन उनमें अभी तक मानवीय भावनाएं नहीं हैं और इस संबंध में वे शुरुआती चरण में हैं। एआई कितना सुरक्षित है, इस संदर्भ में यह कहा जा सकता है कि जब तक रोबोट भावनाओं को महसूस नहीं करते, तब तक हम सुरक्षित हैं। जैसे-जैसे एआई आगे विकसित होता है, इसलिए रोबोट के अनियंत्रित होने के खतरे को रोकने के लिए नियंत्रण होना चाहिए। उभरते हुए एआई से एल्गोरिदम संबंधी पूर्वाग्रह और डेटा पूर्वाग्रह और अन्य चुनौतियाँ हो सकती हैं। समाज को नुकसान से बचाने के लिए एआई के डेवलपर को पर्याप्त विनियमन के तहत कवर किया जाना चाहिए। चूंकि आम लोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और विभिन्न एल्गोरिदम की पेचीदगियों से परिचित नहीं हैं, इसलिए उन्हें सरल भाषा में समझाना उनका कर्तव्य है। यूएसए के प्रोफेसर रामैया ने कहा कि एआई प्राकृतिक बुद्धिमत्ता की बेटी है। जिस तरह हम अपने बच्चों को अच्छे नागरिक बनाने के लिए सिखाते हैं, उसी तरह हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि रोबोट की प्रोग्रामिंग समाज की बेहतरी के लिए और नैतिक हो। उपभोक्ताओं से संबंधित डेटा की पारदर्शिता का सवाल सुनिश्चित किया जाना चाहिए। विशाल डेटा को कुछ लोगों के लिए धन बनाने के लिए विपणन करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। जिस तरह डिजिटल विभाजन नहीं होना चाहिए, उसी तरह आर्थिक विभाजन भी नहीं होना चाहिए। लोगों से प्राप्त डेटा उनके लिए आर्थिक रूप से लाभकारी होना चाहिए। बिना किसी पक्षपात के उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने के लिए एआई का उपयोग किया जाना चाहिए। एआई नीति उद्योग-संचालित नहीं होनी चाहिए बल्कि प्रौद्योगिकी के उपयोगकर्ताओं और उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखना चाहिए। इस वेबिनार के दौरान उभरे कुछ बिंदुओं पर भविष्य के कुछ वेबिनार में चर्चा करने का निर्णय लिया गया ताकि एआई लोगों को सशक्त बनाए और जवाबदेही, पारदर्शिता हो और समाज की सुरक्षा से समझौता न हो। श्री उदय मन्ना ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए ग्रामीणों को अत्याधुनिक तकनीकी विकास के बारे में जागरूक करने की बात कही और उन्होंने एआई के जनक अमेरिका के प्रसिद्ध वैज्ञानिक जॉन मैकार्थी को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस” शब्द को गढ़ा था। उन्होंने प्रतिभागियों को आरजेएस पीबीएच के आगामी रविवारीय ज़ूम वेबिनार 24 मार्च और 31 मार्च में सुबह 11 बजे शामिल होने के लिए आमंत्रित किया।