उपभोक्ता अधिकार आंदोलन को पुनर्जीवित करने के लिए युवाओं की आवश्यकता- आरजेएस पीबीएच वेबिनार

अंतर्राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस 15 मार्च 2025 के अवसर पर रविवार को आयोजित एक कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने कहा कि भारत का उपभोक्ता अधिकार आंदोलन एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, और इसकी जीवन शक्ति और प्रभावशीलता को पुनः प्राप्त करने के लिए युवा समर्थकों की एक नई लहर की आवश्यकता है। राम-जानकी संस्थान पाॅजिटिव ब्राॅडकास्टिंग हाउस (आरजेएस पीबीएस) आरजेएस पॉजिटिव मीडिया के संस्थापक व राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना द्वारा आयोजित व संचालित इस कार्यक्रम में, उपभोक्ता अधिकार आंदोलन में ख्याति प्राप्त स्व०किशन सिंह परमार और धर्मपत्नी स्व० मोहिनी परमार  को श्रद्धांजलि अर्पित की गई ।

आरजेएस पीबीएच के कार्यक्रमों से जुड़कर स्व० किशन सिंह परमार बेबाकी से अपने विचार रखते थे। स्टेट कंज्यूमर कमीशन राजस्थान और नेशनल प्रेसिडेंट कंज्यूमर कोऑर्डिनेशन काउंसिल के सदस्य लियाकत अली ने स्व०किशन सिंह परमार की उपभोक्ता आंदोलन की विरासत को सम्मानित करते हुए कहा कि उपभोक्ता आयोग में संसाधनों की भारी कमी है। उन्होंने धोखाधड़ी, व्यापक डिजिटल निरक्षरता और लगातार खाद्य मिलावट की समस्याओं पर भी प्रकाश डाला और जागरूक किया।।

श्री अली ने बाज़ार में नेविगेट करने में उपभोक्ता जिम्मेदारी और सतर्कता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने मूल्य निर्धारण के संबंध में कहा कि अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) सभी करों सहित है, और खुदरा विक्रेता मुद्रित MRP के ऊपर माल और सेवा कर (GST) या कोई अन्य कर कानूनी रूप से नहीं लगा सकते हैं।

डिग्निटी रेस्टोरेशन और ग्रीवेंस सेटलमेंट एसोसिएशन , नई दिल्ली के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार, जो स्व०किशन परमार के करीबी सहयोगी थे, ने उपभोक्ता जागरूकता की चिंताजनक वास्तविकता को रेखांकित किया। डॉ.अरूण कुमार ने एक चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा, “हमारे देश में अस्सी प्रतिशत लोग… उपभोक्ता शिकायत दर्ज कराने का तरीका नहीं जानते हैं,”  खरीद के लिए रसीदें प्राप्त न करने की आम प्रथा और ऑनलाइन शिकायत प्रणालियों को नेविगेट करने की जटिलता जैसे कारकों को बताया।

डॉ. कुमार ने उपभोक्ता अदालतों के भीतर न्याय की पीड़ादायक धीमी गति पर दुख व्यक्त करते हुए उन्होंने विवाद समाधान के लिए कुशल और उपभोक्ता-अनुकूल दृष्टिकोण के लिए दुबई के “उपभोक्ता खुशी केंद्रों” की सराहना की, और भारत के लिए एक समान सरलीकृत प्रणाली का सुझाव दिया।

यूपी कंज्यूमर वेलफेयर काउंसिल के समन्वयक एडवोकेट जोहेब रसूल ने भी स्व० किशन  सिंह परमार को श्रद्धांजलि अर्पित की, उपभोक्ता अधिकार आंदोलन पर उनके गहरे प्रभाव को स्वीकार किया। एडवोकेट रसूल ने कानूनी पेशे के बारे में ज्ञान की कमी पर एक महत्वपूर्ण चिंता जताई।

एडवोकेट रसूल ने अनुबंधों और नीतियों और बीमा शर्तों की  ओर उपभोक्ता ध्यान नहीं देते जिससे उन्हें नुकसान होता है। श्री अली ने प्रतिभागियों को आश्वासन दिया कि “कच्चे बिल” या अनौपचारिक रसीदें भी उपभोक्ता शिकायतें दर्ज करने के लिए वैध दस्तावेज हैं, जिससे औपचारिक चालान के बिना भी निवारण चाहने के लिए सशक्त बनाया गया है। उन्होंने व्यवसायों की जीएसटी पंजीकरण स्थिति की जांच के लिए उपलब्ध ऑनलाइन सत्यापन प्रणाली के बारे में उपभोक्ताओं को सूचित किया, जिससे उन्हें धोखाधड़ी कर संग्रह के उदाहरणों की पहचान करने और रिपोर्ट करने में सक्षम बनाया गया।

कार्यक्रम के  प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान, दीप माथुर ,डा. प्रदीप कुमार जोशी , सुरजीत सिंह दीदेवार,राजेंद्र सिंह कुशवाहा, बिन्दा मन्ना ,सुदीप साहू, सोनू कुमार, मयंक, आकांक्षा , इशहाक खान, दुर्गादास आजाद अनिल चौधरी आदि शामिल हुए।

विशेषज्ञों ने सौहार्दपूर्ण समाधान को प्राथमिकता देने और बेहतर निर्माता-उपभोक्ता संबंधों को बढ़ावा देने की वकालत की। उन्होंने सुझाव दिया कि खुले संवाद और आपसी समझ अक्सर औपचारिक कानूनी कार्यवाही का सहारा लेने की तुलना में शिकायतों को अधिक प्रभावी ढंग से और कुशलता से हल कर सकती है।