श्री कबीर साहेब का प्राकट्योत्सव पर आरजेएस पीबीएच के 373वें कार्यक्रम में सकारात्मक जगत का आह्वान

राम जानकी संस्थान पॉजिटिव ब्रॉडकास्टिंग हाउस (आरजेएस पीबीएच) और आरजेएस पॉजिटिव मीडिया के संस्थापक व राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव को विस्तार देते हुए अमृत काल का सकारात्मक भारत-उदय के 373 वें कार्यक्रम का आयोजन 13जून 2025 को संत कबीर की 627वां प्राकट्योत्सव (जयंती) के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया।

इसमें अहमदाबाद में विमान दुर्घटना में दिवंगत आत्माओं को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम के सह-आयोजक सुनील कुमार सिंह कार्यक्रम निदेशक भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) विदेश मंत्रालय, भारत सरकार ने मुख्य अतिथि पद्मश्री से सम्मानित भेरू सिंह चौहान, निर्गुण कबीर गायक, विशिष्ट अतिथि साधु प्रेमसागर दास,श्री कबीर आश्रम पोरबंदर,मुख्य वक्ता प्रो.शैलेंद्र कुमार शर्मा , आचार्य व विभागाध्यक्ष विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन  और आरजेएस पीबीएच राष्ट्रीय ऑब्जर्वर दीप माथुर और प्रतिभागियों का हार्दिक स्वागत और धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होंने कहा कि संत कबीर कर्म और भक्ति के नायक हैं। उन्होंने अंधविश्वास, आडम्बर और पाखंड का अपने दोहों और सकारात्मक विचारों के माध्यम से प्रतिकार किया। उन्होंने ये कार्यक्रम अपनें ‌पिताजी स्व० बलबीर सिंह को समर्पित किया जिनकी पुण्यतिथि 25 जून को है।श्री सिंह ने कबीर के प्रसिद्ध दोहे, “कबीरा खड़ा बाजार में, सबकी मांगे खैर, ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर” का उद्धरण दिया, जो संत कबीर के समावेशी और परोपकारी दृष्टिकोण को रेखांकित करता है। 

मुख्य अतिथि पद्म श्री से सम्मानित भैरू सिंह चौहान, इंदौर, मध्य प्रदेश के एक प्रसिद्ध निर्गुण कबीर गायक, ने कबीर को “पूर्ण ब्रह्म” के रूप में प्रतिपादित किया, जो सभी चार युगों में विद्यमान हैं। उन्होंने मूर्ति पूजा और बाहरी धार्मिक पाखंड के प्रति कबीर के प्रबल विरोध को दोहराया, यह कहते हुए कि सच्ची भक्ति भीतर निवास करती है। उन्होंने उद्धृत किया, “पत्थर पूजे हरि मिले, तो मैं पूजू पहाड़, तासे तो चाकी भली, पीस खावे संसार” ।श्री चौहान ने कबीर के निर्गुण  पदों को गाने के लिए अपने जीवन भर के समर्पण को साझा किया।

दर्शकों के अनुरोध पर, उन्होंने एक भावपूर्ण कबीर भजन, “झर झर गाड़ी हाको मेरे राम गाड़ी” प्रस्तुत किया, जिसने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

श्री कबीर आश्रम, पोरबंदर, गुजरात से जुड़े विशिष्ट अतिथि साधु प्रेम सागर ने सत्य के सर्वोपरि महत्व पर जोर दिया, उद्धृत करते हुए कहा, “सांच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप, जाके हिरदय सांच है, ताके हिरदय आप” । उन्होंने मानवता के कल्याण और समानता को बढ़ावा देने के लिए सभी चार युगों में कबीर की कालातीत उपस्थिति पर जोर दिया। उनका कहना है कि समाज की सेवा के लिए अपने जीवन और शरीर को समर्पित करना कार्य को पूजा का एक रूप बना देता है।

विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन, मध्य प्रदेश के आचार्य (प्रोफेसर), हिंदी विभाग के अध्यक्ष और कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कबीर के दर्शन में गहन अकादमिक अंतर्दृष्टि प्रदान की। उन्होंने कबीर के पद “पंजर प्रेम प्रकासिया”  पर विस्तार से बताया, समझाते हुए कहा कि जब प्रेम तत्व शरीर को प्रकाशित करता है, तो आंतरिक प्रकाश उत्पन्न होता है, वाणी सुगंधित हो जाती है, और एक सकारात्मक प्रभाव फैलता है।

उन्होंने कबीर की शिक्षा को दोहराया कि मानव शरीर और हृदय ही सच्चा “राम मंदिर” है, बाहरी तीर्थयात्राओं और सतही प्रथाओं के बजाय आंतरिक परिवर्तन की वकालत की।”कबीरा खड़ा बाजार में, लिए लुकाठी हाथ, जो घर जाले आपना, चले हमारे साथ” कबीर हाथ में मशाल लिए बाजार में खड़े हैं, उन लोगों को आमंत्रित करते हैं जो अपने सांसारिक मोह और अहंकार को त्यागने के इच्छुक हैं। 

यूके से “इंस्पायरिंग इंडियन विमेन” का प्रतिनिधित्व करने वाली अंतरा राकेश तल्लम ने 14 जून को शाम 6 बजे के वेबिनार के बारे में बताया कि ये यूके में महिलाओं के योगदान पर केंद्रित होगा।आरजेएस टीफा 25 टीम की सदस्या सरिता कपूर ने अपने माता-पिता की स्मृति में 15 जून को विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस पर वेबिनार करने की घोषणा की।