पूर्व राष्ट्रपति डाॅ. कलाम की पुण्यतिथि पर आरजेएस फैमिली द्वारा डॉ. कलाम के नाम पर राष्ट्रीय सम्मान की घोषणा

अक्सर बुजुर्गों को शिकायत रहती है कि नए बच्चे महापुरुषों और वरिष्ठ नागरिकों का सम्मान नहीं करते। इसके समाधान की कोशिश में रामजानकी संस्थान, आरजेएस-नई दिल्ली ने एक अनूठी पहल शुरू की है ।आरजेएस के राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना ने बताया कि परिवार के दिवंगत बुजुर्गों/ पूर्वजों की स्मृति में महापुरुषों का सम्मान करने की परंपरा प्रारंभ की जा रही है।

इस कड़ी में डाॅ. नरेंद्र टटेसर निदेशक पूर्ति फूड विजन, दिल्ली की ओर से अपने‌ फौजी पिताजी स्व० चौधरी बलवंत सिंह नंबरदार  और विश्व ब्राह्मण महापरिषद ,तिरोड़ी, बालाघाट मध्यप्रदेश की रा.उपाध्यक्ष नम्रता उपाध्याय अपने पिताजी स्वर्गीय चिमनलाल लाभशंकर रावल और माता जी स्वर्गीय श्रीमती रामागौरी चिमनलाल रावल की स्मृति में आरजेएस भारत-उदय डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रीय सम्मान नई दिल्ली में भेंट करेंगे। समाजसेवी नम्रता उपाध्याय ने अपने पिताजी स्व०चिमनलाल लाभशंकर रावल के बारे में बताया कि वो उस जमाने में विश्व हिन्दू परिषद के पदाधिकारी हुआ करते थे ।और समाज के पहले अध्यक्ष बने थे।इन्होंने अपने कार्य काल मे अनेकों स्मरणीय कार्य किए । इसके साथ साथ माइनिंग क्षेत्र मे प्रवेश कर ठेकेदार बनकर सेकडों परिवारों को रोजगार मुहैया कराया ।साथ ही जाम माइन के मालिक बने । पिताजी ने मुझे शिक्षा के साथ संस्कार भी दिए।  अपने पिता की विरासत को संभालते हुए आज मैं जाम मांइन का संचालन कर कई परिवारो को रोजगार उपलब्ध करा रही हूं। यहां तक की समाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों में भी विशेष सहयोग प्रदान करती हूं। 

विश्व ब्राह्मण महापरिषद अंतरराष्ट्रीय संगठन की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनकर  समाज के उत्थान विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हूं। कोविड-19 लाॅकडाउन में किए गए कार्यों की सराहना करते हुए अनेकों सामाजिक संगठनों द्वारा  पुरस्कृत भी किया गया और माइनिंग क्षेत्र में भी इन्हें सम्मान प्राप्त हुआ है। दिल्ली के उद्यमी टटेसर गांव में रहने वाले पूर्ति फूड विजन के निदेशक डॉ. नरेंद्र टटेसर ने अपने फौजी पिताजी स्व० बलवंत सिंह नंबरदार को याद करते हुए बताते हैं कि आजादी के दो साल भी नहीं बीते थे और कश्मीर में दुश्मन अशांति फैलाना चाह  रहा था। इससे निपटने के लिए 1949 में भारतीय सैनिकों के साथ कश्मीर घाटी में मेरे पिताजी मोर्चा लेते रहे। एक बार तो उनकी गोलियां भी खत्म हो गई थी। तबभी वह दुश्मन पर तब तक पत्थर बरसाते रहे ,जब तक भारतीय फौज की टुकड़ी नहीं आ गई ।भारतीय फौज को देखकर दुश्मन मौसम का फायदा उठाकर भाग खड़े हुए। इसी तरह 1962 में चीन के साथ हुई जंग में भी मेरे पिताजी बलवंत सिंह ने अपना रण कौशल दिखाया था। उनके राष्ट्रप्रेम का संस्कार मैं भी महसूस करता हूं। श्री मन्ना ने बताया कि 25 राज्यों से जुड़े आरजेएस फैमिली और पाॅजिटिव मीडिया की  इस नई पहल से नई पीढ़ी को भारत के 11वें पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन भारतरत्न डॉ कलाम के बारे में और अपने परिवार के जो पूर्वज व पुरखे हैं ,उनके बारे में जानने समझने का मौका मिलेगा। साथ ही वो उनके आदर्शों को अपनाएंगे। इससे परिवार में राष्ट्र प्रथम की भावना आएगी और पूर्वजों के नाम पर परिवार में एकजुटता, मेलजोल और भाईचारा बढ़ेगा। पूरा देश एक सूत्र में बंधेगा और विभिन्नता में राष्ट्रीय एकता मजबूत होगी।