स्वामी दयानंद सरस्वती की 198 वी जयंती पर रामजानकी संस्थान,आरजेएस नई दिल्ली द्वारा नजफगढ़ मेट्रो कार्यालय में आरजेएस की 135वीं सकारात्मक बैठक का आयोजन किया गया ।इस अवसर पर वक्ताओं और अतिथियों ने आर्य समाज के संस्थापक और सत्यार्थ प्रकाश के लेखक स्वामी दयानंद सरस्वती और स्थानीय समाजसेवी, आर्य समाज के अनुयायी स्वर्गीय रघुनाथ सिंह आर्य प्रधान को पुष्पांजलि अर्पित की।
बैठक के सह-आयोजक नजफगढ़ मेट्रो समाचार पत्र के संपादक शिवकुमार यादव व भावना शर्मा ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत और धन्यवाद ज्ञापन किया। शिवकुमार यादव ने स्व०रघुनाथ सिंह आर्य प्रधान की स्मृति में स्वामी दयानंद सरस्वती के नाम आरजेएस का राष्ट्रीय सम्मान 2021घोषित किया।मंच संचालन आरजेएस के राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना ने किया और कहा कि आरजेएस ऑब्जर्वर दीप माथुर के अनुसार 16 फरवरी 2021से देशभर में नये प्रारूप की आरजेएस सकारात्मक बैठकें आयोजित की जाएंगी ।आरजेएस फैमिली को महापुरुषों के आदर्शों को जीवन में उतारने करने के लिए प्रेरित किया जाएगा और अलग-अलग राज्यों के महापुरुषों के नाम राष्ट्रीय सम्मान2021 घोषित किया जाएगा।
बैठक में बहन-शक्तियां सुदेश, दिव्या, सुनिता, सविताऔर नजफगढ़ तथा द्वारका से गणमान्य अतिथि पूर्व शिक्षा अधिकारी (एमसीडी)विनोद बंसल, संपादक सुरेश त्रेहण, समाजसेवी बीरेंद्र कुमार सोनी, पत्रकार सुनील कुमार व अनुज मिश्रा आदि ने अपने विचार व्यक्त किये। साथ ही नेहरू युवा केंद्र द.पश्चिम दिल्ली के धनपत सिंह व सुरेन्द्र बोकन,चंचल,शबनम आदि ने भी शामिल होकर सकारात्मक बैठक का समर्थन किया। एमसीडी के पूर्व शिक्षा अधिकारी विनोद बंसल ने कहा कि सकारात्मक सोच जीवन में तरक्की देती है। पहले की तरह किताबों को भी साथ रखें और पुस्तकें पढ़नी चाहिए। मोबाइल के साथ-साथ किताबें भी जरूरी है। स्वर्गीय रघुनाथ सिंह आर्य प्रधान जी लाइब्रेरी को बहुत पसंद करते थे। सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र नजफगढ़ का यादव भवन , नजफगढ़ उनकी सेवाओं का जीता जागता उदाहरण है। संपादक सुरेश त्रेहण ने कहा कि आरजेएस की यह बहुत ही अनूठी पहल है कि प्रधान जी की स्मृति में महर्षि दयानंद सरस्वती जैसे समाज सुधारक के नाम का आरजेएस राष्ट्रीय सम्मान को शिवकुमार यादव ने घोषित किया।समाजसेवी वीरेंद्र सोनी ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक ने स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है का नारा दिया था। इस स्वराज शब्द को देशवासियों तक सबसे पहले दयानंद सरस्वती ने ही पहुंचाया था ।स्व० रघुनाथ सिंह आर्य प्रधान की धेवती दिव्या ने अपने नाना जी(प्रधान जी) की समाजसेवा को करीब से देखा था ,जो जरूरतमंदों के लिए हमेशा तैयार रहते थे। दिव्या का कहना था कि महापुरुषों का नाम जानना ही काफी नहीं है ,बल्कि हमें उन्हें समझना पड़ेगा ।
आरजेएस की बैठकों से हम महापुरुषों को समझने का प्रयास किये ,ये मुझे बहुत अच्छा लगा। नई पीढ़ी को ऐसी बैठकों से प्रेरणा मिल रही है कि हम भी समाज के लिए कुछ सोचें और करें।पत्रकार अनुज मिश्रा ने कहा कि इतिहास में आर्य शब्द की महत्ता है जो आज भी प्रासंगिक है।बैठक के अंत में विश्व में शांति रहे का दो प्रतीक-चिन्ह प्रतिभागियों को सम्मान पूर्वक प्रदान किया गया। इस बीच सह-आयोजक ने नाॅन वायलेंस फाउंडेशन के बैनर तले जल्दी ही अगली आरजेएस की सकारात्मक बैठक करने की घोषणा की।