आरजेएस की 130वीं सकारात्मक ‌ बैठक-नगरपालिका सभागार , मसूरी में संपन्न

देश के 25 राज्यों में आरजेएस और टीजेएपीएस केबीएसके द्वारा सकारात्मक भारत आंदोलन चलाया जा रहा है। उत्तराखंड, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में सकारात्मक यात्राओं और बैठकों से क्रांतिकारी बदलाव लाने की एक कोशिश है। 19फरवरी कोदिल्ली से रूड़की, हरिद्वार और देहरादून होते हुए 25 राज्यों का टीम आरजेएस प्रतिनिधिमंडल  प्रखर वार्ष्णेय, राजेंद्र सिंह यादव और प्रांजल श्रीवास्तव के साथ मसूरी पहुंचा।सायं माॅल रोड स्थित शहीद स्मृति स्थल को नमन-वंदन करने के बाद 22 फरवरी को नगरपालिका सभागार में उत्तराखंड संस्कृति व व्यंजन विषय पर आरजेएस की 130वीं सकारात्मक बैठक का आयोजन किया गया।

पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष स्व० हुकुम सिंह पंवार और साहित्यकार‌ सुरेंद्र सिंह पुंडीर को आरजेएस बैठक, मसूरी में दी गई श्रद्धांजलि.बैठक के मुख्य अतिथि नगरपालिका परिषद के अध्यक्ष अनुज गुप्ता का टीम आरजेएस द्वारा स्वागत किया गया। श्री गुप्ता ने कहा कि सरकारी नियमानुसार जो भी हो सकता है इस मुहिम का पूरा सहयोग करने का प्रयास किया जाएगा। टीम आरजेएस के पंकज अग्रवाल, देवभूमि रसोई का ये प्रयास एक दिन जरूररंग लाएगा।उत्तराखंड यानि देवभूमि और इसके व्यंजनों का जवाब नहीं। इसके प्रचार प्रसार के लिए उत्तराखंड में आरजेएस फैमिली से जुड़े श्रृंखला बैठक के आयोजक पंकज अग्रवाल ने कहा कि टीम आरजेएस इस मुहिम को तीव्र गति से अग्रसर कर रही है।हमारा सपना है कि पहाड़ी खाना सर्वसुलभ हो। उत्तराखंड में विशेष जगहों पर लोग अपनी कोई न कोई पहचान प्रदर्शित करें।होटल एसोसिएशन , मसूरी के संदीप साहनी ने इस प्रयास की सराहना की।आरजेएस प्रतिनिधि मंडल में वरिष्ठ पत्रकार दिल्ली से राजेंद्र सिंह यादव,प्रखर वार्ष्णेय ,प्रांजल श्रीवास्तव राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना के नेतृत्व में उत्तराखंड सप्ताह यात्रा पर 19 से 25 फरवरी तक हैं। कल 23फरवरी को ये यात्रा रोतुली की बेली ,जबरखेत, धनौल्टी जाएगी।आज की बैठक क़ो संजय गुप्ता, जगजीत कुकरेजा,आशु गोयल, कमांडर प्रकाश मल्होत्रा आदि ने संबोधित किया।

सबने इस मुहिम की सराहना की।‌  बैठक के आयोजक पंकज अग्रवाल ने आमंत्रित सभी पत्रकारों और समाज सेवियों का  स्वागत करते हुए कहा कि देवभूमि रसोई यानी पहाड़ी खाना दुनिया के सामने आना चाहिए।  श्री पंकजअग्रवाल ने कहा कि पहाड़ी अन्न और सब्जियों की उपज चुंकि ऊंचाई पर तैयार होती है और अनाज में कोई प्रदूषण नहीं होता। इसलिए पहाड़ी भोजन स्वास्थ्य के लिए सेहतमंद होता है।उत्तराखंड का भोजन सबसे सादा और बनाने में आसान होता है।ये कांसा ,तांबा,पीतल और जस्ता के बर्तनों में परोसा जाए तो आनेवाले पर्यटकों को पर्यटन की दृष्टि से ये संदेश भी दिया जा सकता‌है कि पहाड़ी भोजन की सार्थकता और प्रामाणिकता आज के प्रदूषित वातावरण में बहुत ज्यादा है।हरिद्वार देवभूमि रसोई की एक और कड़ी मंसूरी में इसी मंतव्य से की गई है कि उत्तराखंड आनेवाले ‌ पर्यटकों को पहाड़ी संस्कृति से रूबरू कराया जा सके।  पहाड़ी खाना में मंडुवे की आटे में गहद भरी हुई भरया रोटी , पहाड़ी मट्ठा पल्लर, पहाड़ी झंगोरे का दलिया ,खीर आदि बनाए जा सकते हैं।मिष्ठान में बाल मिठाई,मीठू बात,खोई पेड़ा और लोई‌ पेड़ा , सिंगोड़ी आदि प्रमुख पसंदीदा व्यंजन हैं जिन्हें सर्व सुलभ किया जा सकता है। आरजेएस‌ के राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना ने कहा कि अन्य राज्यों की संस्कृति की तरह पहली बार आरजेएस फैमिली और पॉजिटिव मीडिया ने उत्तराखंड संस्कृति व व्यंजन को समर्थन देने‌के लिए 19 फरवरी से 25 फरवरी तक यात्रा कर समर्थन दिया। हरिद्वार, देहरादून, मंसूरी, रोतुली की बेली ,धनौल्टी, टेहरी, ऋषिकेश आदि क्षेत्रों में रहने वाले भाई बहनों से मिलकर आरजेएस प्रतिनिधिमंडल हाल-चाल पूछ रहे हैं और पहाड़ी खाना को प्रमोट कर रहे हैं।