मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिवस पर कार्यक्रम में छत्रपति शिवाजी और गोपाल कृष्ण गोखले को श्रद्धांजलि

भारत की मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना दिवस के परिवर्तनकारी प्रभाव के दस वर्ष पूरे होने के अवसर पर, राम जानकी संस्थान पॉजिटिव ब्रॉडकास्टिंग हाउस (आरजेएस पीबीएच) और आरजेएस पाॅजिटिव मीडिया के संस्थापक व राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना के द्वारा संयोजन व संचालन में हितकारी वेलफेयर फाउण्डेशन के सहयोग से एक कार्यक्रम आयोजित किया गया।मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना 19 फरवरी, 2015 को भारत सरकार द्वारा शुरू की गई थी।

 इसमें आकांक्षा मन्ना ने इतिहास की महान विभूतियों छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती और गोपाल कृष्ण गोखले की पुण्यतिथि 19 फरवरी के अवसर पर श्रद्धांजलि दी। मुख्य अतिथि आईसीएआर- आईएआरआई पूसा संस्थान, दिल्ली व बिहार के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक और भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के पूर्व संयुक्त निदेशक डॉ. चंद्रभान सिंह ने कहा कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड जैविक और टिकाऊ कृषि से किसानों को सशक्त बनाता है। उन्होंने इसे एक ऐसी प्रणाली के रूप में परिभाषित किया जो अच्छी गुणवत्ता और उच्च उपज सुनिश्चित करती है, जबकि मिट्टी और पारिस्थितिकी तंत्र पर पर्यावरणीय प्रभाव को कम करती है, अंततः किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार करती है। सरकार ने पंजीकरण के लिए एक पोर्टल भी बनाया है।

उन्होंने अच्छी क्रोपिंग सिस्टम और इंटेग्रेटेड फार्मिंग पर जोर दिया। उन्होंने स्कूली पाठ्यक्रम में कृषि शिक्षा को शामिल करने की वकालत की और किसानों को औषधीय पौधों की खेती पर बल दिया।

मुख्य वक्ता आईसीएआर-आईएआरआई पूसा संस्थान के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक डॉ. जे.पी.एस. डबास ने किसानों के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड के व्यावहारिक लाभों का विस्तृत विवरण दिया। डॉ. डबास ने कि जब तक किसान अपनी मिट्टी के बारे में नहीं जानेगा, तब तक उसे पता नहीं चलेगा कि कौन सी फसल लगानी है, कितना उर्वरक उपयोग करना है, कैसे उपयोग करना है और उत्पादन कैसे लेना है।” स्वास्थ्य कार्ड से किसानों को मिट्टी की पोषक संरचना, पीएच स्तर और अन्य प्रमुख मापदंडों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। यह ज्ञान उन्हें उर्वरक अनुप्रयोग, फसल विविधीकरण और उचित मृदा प्रबंधन तकनीकों के बारे में सूचित व निर्णय लेने में सक्षम बनाता है। 

 डॉ. डबास ने 22 से 24 फरवरी 2025 तक आयोजित कृषि मेला को किसानों के लिए ऑन-साइट मृदा परीक्षण सुविधाओं तक पहुंचने, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की गहरी समझ प्राप्त करने और टिकाऊ कृषि प्रौद्योगिकियों में नवीनतम प्रगति के बारे में जानने के लिए एक अमूल्य अवसर प्रदान करता है । 

मृदा परीक्षण सेवाओं तक पहुंच के मुद्दे को संबोधित करते हुए, डॉ. डबास ने प्रत्येक जिले में कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) में सुविधाओं की व्यापक उपलब्धता के बारे में प्रतिभागियों को जानकारी दी। उन्होंने सभी किसानों को अपनी मिट्टी का परीक्षण कराने और व्यक्तिगत मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्राप्त करने के लिए इन आसानी से सुलभ केंद्रों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया। 

 भारत की कृषि भूमि के दीर्घकालिक स्वास्थ्य और उत्पादकता को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। उत्तर प्रदेश के शहीदों की नगरी के नाम से विख्यात जनपद शाहजहांपुर की तहसील जलालाबाद के गांव फुलहा-ककराला से कृषि और किसानों के सहयोग और पर्यावरण संरक्षण हेतु सेवारत हेम सिंह कुशवाहा और शिक्षाविद् डीपी सिंह कुशवाहा ने मृदा संरक्षण पर ड्रोन से खेती का प्रदर्शन किया।

कार्यक्रम का समापन करते हुए, विशेषज्ञों ने दोहराया कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना भारत की अधिक टिकाऊ, लचीले और समृद्ध कृषि क्षेत्र की दिशा में यात्रा का एक आधारशिला बनी हुई है, जो किसानों को सशक्त बनाने और भारतीय कृषि के स्वस्थ भविष्य की खेती में निरंतर प्रगति का वादा करती है। 

कार्यक्रम में सुरजीत सिंह दीदेवार,ओमप्रकाश झुनझुनवाला,अशोक कुमार मलिक, सुदीप साहू,डा.रंजू सिंह, महेंद्र सिंह, राजीव कुमार सिंह, इशहाक खान,अवधेश चौहान,दिलिप कुमार शर्मा आदि ने विशेषज्ञों से संवाद किया।