गुलदस्ता

जैसे ही इलाके के लोगो को मालूम हुआ कि चुनावों के लिये मुख्यमंत्री उनके क्षेत्र में आ रहे है तो हर कोई उन्हें करीब से मिलने के लिये जोश  में आ गया। अलग-अलग मत होने के कारण हर कोई मुख्यमंत्री के ऊपर अपना प्रभाव बनाने के लिये अलग तरीके से सोचने लगा था। कालोनी के प्रधान ने शुक्ला जी को भी फोन करके बताया कि आज शाम  मुख्यमंत्री हमारी कालोनी में पधार रहे है। उनके स्वागत के लिये बहुत सारी तैयारियां करनी है! आप जल्दी से मेरे घर चले जाओ। शुक्ला जी  ने कहा कि ऐसे नेता का क्या स्वागत करना जो पांच साल में एक बार शक्ल दिखाते हो। आम आदमी के भले का कोई काम करना तो दूर उनके दुख-दर्द में भी कभी शमिल होते भी नही देखा। प्रधान जी ने कहा कि आप को जरूर कुछ गलती लग रही है। हमारे मुख्यमंत्री जी तो बड़े ही गांधीवादी सोच के नेता है। शुक्ला जी ने उनकी बात को काटते हुए कहा कि मैं अच्छे से जानता हॅू कि वो कितने गांधीवादी किस्म के नेता है। आप षायद नही जानते कि इनकी गांधीवादी सोच तो सिर्फ इतनी है कि जनता के किसी काम को मत देखो, जनता की किसी बात को मत सुनो और जनता चाहे कितना भी चिल्लाती रहे  परंतु आप कुछ मत बोलो। आज नही तो कल बोल-बोल कर अपने आप चुप कर जायेगी। प्रधान साहब ने फिर भी हार न मानते हुए शुक्ला जी को मुख्यमंत्री के स्वागत समारोह की तैयारिया करने के लिये किसी न किसी तरह से मना ही लिया।

जब सभी लोग स्वागत समारोह के प्रबन्ध करने हेतू पार्क में इक्ट्ठे हुए तो सबसे पहले इस मुद्दे पर बहस शुरू हो गई कि नेता जी का स्वागत किस प्रकार के फूलों से किया जाये। हर कोई अपनी पंसद के फूलो को लेकर इस जिद्द पर अड़ा हुआ था कि उसकी पंसद के फूलो से ही स्वागत होगा। इसी दौरान मुख्यमंत्री के सुरक्षा कर्मचारी का फोन आ गया। सुरक्षा कर्मचारी ने प्रधान जी से मुख्यमंत्री के मिलने-मिलाने से लेकर उनके बेठने की व्यवस्था के बारे में सारी जानकारी अच्छे से ली। कुछ देर चर्चा करने के बाद उस अफसर ने कहा कि सुरक्षा कारणों से आपके इलाके से केवल एक ही व्यक्ति नेता जी का स्वागत कर सकता है। इतनी बात सुनते ही मोहला समिति में विवाद और बढ़ गया। इस सारी घटना को दूर से देखते हुए पार्क के माली ने कहा कि आप लोगो के बीच मुझे बोलने का कोई हक तो नही है। परंतु मैने अपनी उम्र का एक बड़ा हिस्सा इन फूलों के साथ गुजारा है! इसलिये आपकी समस्या का बहुत ही आसान समाधान बता सकता हॅू। कुछ लोगो के मना करने पर शुक्ला  जी ने कहा कि आप एक बार उसकी बात सुन लो अच्छी लगे तो मान लेना वरना जो मन में आये वैसा कर लेना। जब सभी लोगो ने सहमति जताई तो माली ने कहा कि मुझे इस बात की ख़ुशी है कि आप लोगो को फूलों से इतना प्यार है। अब यदि आप लोग इजाजत दे तो मैं आपके लाये हुए फूलों में से एक-एक फूल लेकर इसका गुलदस्ता बना देता हॅू। अगर आप को वो अच्छा लगे तो प्रधान जी सभी की तरफ से मुख्यमंत्री का स्वागत उस गुलदस्ते से कर देगे।

माली का यह सुझाव सभी लोगो को काफी पंसद आया। हर किसी ने अपने लाये हुए फूलों में से कुछ फूल माली को दे दिये। कुछ ही देर में माली ने एक बहुत ही शानदार और महकता हुआ गुलदस्ता लाकर प्रधान साहब को पकड़ाया। गुलदस्ते की खूबसूरती देख कर हर कोई हैरान था कि क्या यह वोहि फूल है जो हम लोग लेकर आये थे। माली ने उन सभी फूलों को उनके रंगो और आकार के हिसाब से इस तरह से संजोया कि वहां बैठा हर व्यक्ति माली की सोच और उसके हुनर की तारीफ किये बिना नही रह पाया। कुछ लोग तो इतने हैरान थे कि अलग-अलग किस्म के फूलों को मिला कर क्या सच में इतना हसीन गुलदस्ता बनाया जा सकता है। शुक्ला जी के इलाके में हर धर्म-जाति और अलग-अलग महजब और सोच रखने वाले लोगो के चलते सभी नेताओ ने अपनी सीट पर कब्जा जमाने के लिये पूरी ताकत झोंक दी थी। हर कोई मतदताओं को रिझाने का प्रयास करने में जुटे हुए थे। इस बार चुनावों को लेकर सबसे अधिक मुख्यमंत्री तनाव में थे। वो अच्छे से जानते है कि हमारे राज्य का इतिहास येही बताता है कि जनता ने किसी भी एक मुख्यमंत्री के सिर पर दुबारा ताज नही पहनाया। ऐसे में यहा अनेक वर्ग के लोगो को एक साथ कैसे खुश किया जा सकता है। मन में यही घबराहट लिये जब मुख्यमंत्री जी स्टेज पर आये तो कालोनी के प्रधान ने उनका स्वागत उस माली द्वारा बनाऐ हुए गुलदस्ते से किया। जितनी देर प्रधान जी मंत्री के आदर-सत्कार में बोलते रहे! मुख्यमंत्री जी लगातार उस गुलदस्ते की सुंदरता को निहारते रहे।

इसके बाद मुख्यमंत्री ने अपनी बात शुरू करते हुए कहा कि बरसों से लगातार राजनीति करने के बावजूद जो बात मैं नही समझ सका! वो बात आज आप लोगो द्वारा दिये गये इस गुलदस्ते ने एक पल में समझा दी है। यहां आने से पहले मुझे यही चिंता सता रही थी कि यदि इस इलाके के हिंदु लोगो को खुश करने के लिये मंदिरों में जाता हॅू तो सिख भाई नाराज हो जायेगे। अगर इन दोनो को किसी तरह से खुश कर भी लेता हॅू तो मुसलमान मतदाता मेरा साथ छोड़ जायेगे। जबकि मैं सच्चे दिल से आप सभी की सेवा करना चाहता हॅू। आज आपके इस गुलदस्ते ने यह साबित कर दिया है कि यदि हम लोग अपनी जात-पात, रंग-भेद, छोटे-बड़े के फर्क को भूल कर एक हो जाये तो हम अपने समाज में वो चमत्कार कर सकते है जिसे देख कर सारी दुनिया को हैरानगी होगी!  अंत में एक बात पूर्ण विश्वास के साथ कह सकता हॅू कि जब कभी हम नेक राह पर चलना शुरू करते है तो कुदरत भी हमारा साथ देती है। मुख्यमंत्री जी के विचार सुनकर जौली अंकल कुछ भी सीख देने की बजाए केवल इतना कहते है कि यदि हमारी सोच सकारात्मक हो तो फिर एक गुलदस्ता भी हमारे मन के सभी संदेह मिटा कर हमारे जीवन के हर पहलू को प्यार की महक से महका सकता है।——-

अच्छे समाज की कल्पना करना अच्छी बात है, लेकिन उससे भी अच्छी बात यह है कि अच्छे समाज के निर्माण के लिए प्रयास किये जाए!

जौली  अंकल

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