सूरज की रोशनी बिन
मिटती कोए रात नहीं
सूं धूल गुरु के चरणां की
मेरी कुछ औकात नहीं
नौ महीने तक संभाल गरब
जब मां मेरी नै जाया था
बापू नै करी करड़ी मेहनत
आंगली पकड़ चलाया था
पहले गुरु जन्म के दाता
होवै जीवन की शुरुआत नहीं
सूं धूल गुरू के चरणां की ….
थारा बालक इब थम्म जाणो
कहै मां बाबू नै सौंप दिया
था बालकपण नादान अवस्था
जब हाथ गुरु नै थाम लिया
लिखना पढ़ना खूब सिखाया
कदे दे सकै कोई मात नहीं
सूं धूल गुरू के चरणां की ….
हिंदी अंग्रेजी हिसाब किताब
सारे जीवन के सार दिए
संसार समंदर पार करणा सै
तरीके कईं हजार किए
ज्ञान का दीप जला मारग मै
कह्या चल डरने की बात नहीं
सूं धूल गुरू के चरणां की ….
सूरज की रोशनी बिन
मिटती कोए रात नहीं
सूं धूल गुरु के चरणां की
मेरी कुछ औकात नहीं ।
– दिनेश शर्मा