मुंशी प्रेमचंद की 138 वीं जयंती पर ” प्रेमचंद के साहित्य की प्रासंगिकता ” विषयक राष्ट्रीय परिचर्चा का आयोजन


अखिल भारतीय स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखक संघ के तत्वावधान में आज संघ के उत्तर पश्चिम दिल्ली के रोहिणी सेक्टर-36 स्थित मुख्यालय बरवाला में संघ के राष्ट्रीय महासचिव दयानंद वत्स की अध्यक्षता में हिंदी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की 138वीं जयंती के अवसर पर श्री दयानंद वत्स ने प्रेमचंद के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें कृतज्ञ राष्ट्र.की ओर से अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर प्रेमचंद के साहित्य की प्रासंगिकता विषयक राष्ट्रीय परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा में बोलते हुए श्री दयानंद वत्स ने कहा कि प्रेमचंद के साहित्य के सभी पात्र आज भी समाज में जीवंत है। प्रेमचंद के लाखों होरी आज देश कई राज्यों में आई बाढ की विभीषिका से जूझ रहे हैं। उनकी फसलें चौपट हो चुकी हैं। प्रकृति का कहर कभी सूखा तो कभी बाढ के रुप में किसानों पर कहर बनकर टूट रहा है। आजादी के सत्तर सालों के बाद भी किसानों और मजदूरों की बदहाल स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। पूंजीपतियों और साहूकारों के शोषण और दमन का सिलसिला बदस्तूर जारी है। ऐसे में मुंशी प्रेमचंद का समूचा साहित्य आज भी प्रासंगिक है। वरिष्ठ लेखक श्री प्रदीप श्रीवास्तव और श्री सुभाष वर्मा ने एक स्वर से मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं के सामाजिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रेमचंद भारत के 130 करोड लोगों में कहीं न कहीं परिलक्षित हो ही जाते हैंं।