शक्ति सूर्य जल उठा
भूगर्भ में उबल उठा
थर्राया था पोकरण
विश्व था दहल उठा
राष्ट्रीय मार्ग थे खुले
बच्चे पढ़ने को चले
निकले सुलह के रास्ते
इंसानियत के वास्ते
अटल बड़े महान थे
स्वयं में सविंधान थे
ग्रहों में वे ब्रम्हाण्ड थे
शिखर के पायदान थे
सूर्य का प्रकाश थे
शब्दों के मधुमास थे
शुचित राजनीति के
वे पहले ‘प्रियप्रवास’ थे
संकटो में धैर्य धर
शक्ति को समेट कर
जीत को पचा गये
हार को स्वीकार कर
वेदनाओं में जीये
कर्म निर्भीक हो किये
दुःख ज्वार तुम उठा गए
शून्य में समा गए
राष्ट्र अग्रदूत थे
सच्चे तुम सपूत थे
अनाथ तुम बना गए
काल में समा गए।