प्रेमबाबू शर्मा
नदियां किसी भी राष्ट्र की जीवन रेखा हैं और भारत को इस बात का गौरव है कि पूरे देश में नदियां कलरव करती हुई बहती है । अपने उदगम और अपने मार्ग के बारे में हर नदी की अपनी अलग कहानी है। हर नदी के गुणगान करने वाले उपाख्यान हैं तो उसकी विनाशकारी शक्तियों के बारे में आख्यान है। नदियों की महत्ता को प्रदर्शित करने के लिये इंडिया हैबिटेट सेंटर की ओर से इस साल आयोजित होने वाले लोक संगीत सम्मेलन में नदियों के धुन गूंजेंगे। इंडिया हैबिटेट सेंटर के स्टीन सभागार में 22 और 23 अगस्त को आयोजित होने वाले इस महोत्सव का मुख्य विषय हैं ‘‘नदियों के धुन।’’
दिल्ली से सुधा रघुरामन, कश्मीर से गुलजार अहमद गैनी, असम से नजरूल इस्लाम, बंगाल से रितुपर्णा बनर्जी और कुमाऊं से बसंती देवी जैसे लोक गायक एवं लोक कलाकार इस साल के लोक संगीत सम्मेलन में गंगा, ब्रह्मपुत्र, नर्मदा, पेश कृष्णा कावेरी तथा भारत के अन्य नदियों की गाथा को गीतों के जरिये पेश करेंगे।
इस संगीतमय प्रयास की वर्शों की निरंतरता तथा संगीत के प्रति प्यार के कारण न केवल देश भर में बल्कि विदशों में भी लोक परम्पराओं की लोकप्रियता बढ़ी है और उसकी सराहना हुयी है। इस समारोह के मुख्य आकर्षणों में असम और गढ़वाल के गीत तथा नर्मदा नदी तथा कष्मीर की नदियों पर लिखे गये गीत एवं कवितायें षामिल होंगे।