नई दिल्ली में 7 दिसंबर को होगा देशव्यापी प्रदर्शन

नेशनल यूनियन आॅफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) की अगुवाई में आगामी 7 दिसंबर को पत्रकार सुरक्षा अधिनियम की गठन की मांग को लेकर देशभर के पत्रकार संसद का घेराव करेंगे। सोमवार 2 नंवबर, 2015 को एनयूजे के जंतर मंतर स्थित कार्यालय में आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में यह घोषणा की गई। इस मौके पर प्रस्तावित घेराव का पहल पोस्टर भी जारी किया गया। इंटरनेशनल फैडरेशन आफ जर्नलिस्ट्स (ब्रूसेल्स) के अंतराष्ट्रीय कार्यक्रम ‘‘यून डे टू एंड-ईम्पयून्टिी एगेस्ट जर्नलिस्ट्स‘‘ के लिए प्रतिबद्धता जताते हुए बैठक में निर्णय लिया गया 2 नवंबर से 23 नवंबर, 2015 तक एनयूजेआई की सभी राज्य इकाईयां प्रदेश तथा जिला स्तर पर ज्ञापन देकर पत्रकारों की हत्याओं, शोषण और छंटनी के खिलाफ आवाज बुलंद करेगी। इस कड़ी में आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को ज्ञापन दिया गया।

बैठक में एनयूजे के राष्ट्रीय अध्यक्ष रासविहारी, महासचिव रतन दीक्षित, कोषाध्यक्ष दधिबल यादव, भारत सरकार की प्रेस एसोसिएशन के सचिव मनोज वर्मा, दिल्ली जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के महासचिव आनंद राणा,एनयूजे कार्यकारिणी के सदस्य मनोज मिश्र, प्रमोद मजूमदार, मनोहर सिंह, के अलावा वरिष्ठ पत्रकार राकेश आर्य, अशोक किंकर, संजीव सिन्हा, पवन भार्गव ने अपने विचार रखे।

राष्ट्रीय अध्यक्ष रासविहारी ने पत्रकार सुरक्षा अधिनियम के गठन को अत्यंत आवश्यक बताते हुए कहा कि आज देश भर में पत्रकारों की हत्या और जानलेवा हमलों की वारदाते बेतहाशा बढ़ती जा रही हैं। पत्रकारों में असुरक्षा का महौल व्याप्त है। उन्होंने कहा कि मीडिया काउंसिल और मीडिया कमीशन की मांग भी संसद घेराव के दौरान पुरजोर ढंग से उठाई जाएगी। महासचिव रतन दीक्षित ने कहा कि इस प्रर्दशन में देशभर से करीब दो हजार पत्रकार हिस्सा लेगें। उन्होंने ‘‘एंड-ईम्पयून्टिी‘‘ में एनयूजे आई की भागीदारी का खाका पेश करते हुए बताया कि सभी राज्य इकाइयां संबंधित राज्यपाल और मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर पत्रकार सुरक्षा के लिए आवाज बुलंद करेंगी। ज्ञापन जिला स्तर पर भी दिया जाएगा। डीजेए महासचिव आनंद राणा ने संसद के घेराव और ‘‘यून डे टू एंड-ईम्पयून्टिी एगेस्ट जर्नलिस्ट्स‘‘ कार्यक्रम को लेकर चलाए जा रहे राष्ट्रव्यापी सोशल मीडिया कंपैन की प्रगति पर रिपोर्ट बैठक में रखी। बैठक में निर्णय लिया गया की आगामी एक महीने के दौरान राजनैतिक दलों, सांसदों और सामाजिक और श्रमिक संगठनों को पत्रकारों से जुड़ी समस्याओं से अवगत कराया जाएगा।