प्रेमबाबू शर्मा
प्यार का पंचनामा की केवल आपकी जोड़ी ही ‘प्यार का पंचनामा २’ में भी हैं।अपनी कौन सी खूबी देख रहे हैं ?
‘प्यार का पंचनामा २’ में भी बने रहने का कारण ये हो सकता है की पार्ट १ में प्रेमबाबू शर्मा लगी थी।पहले पार्ट में मेरा एक लम्बा मोनोलॉग था , जिसे लोगों ने बहुत पसंद किया था। इस फिल्म में भी ऐसा कुछ है ,तो हो सकता है लव सर सोचें हों कि यही बंदा अच्छा रहेगा। इस तरह कई कारण हो सकते हैं , जिससे उनको लगा हो कि हमारी जोड़ी पार्ट २ को बढ़ावा देगी। उनकी दूसरी फिल्म ‘आकाशवाणी’ में भी हम थे। तो शायदबतौर कलाकार हमने उनका कुछ विश्वास हासिल कर लिया है। केवल एक -दो को छोड़कर बाकी पूरी टीम वही है।
‘प्यार का पंचनामा २’ को लेकर कितनी जिम्मेदारी महसूस कर रहे हैं ?
एक एक्टर के रूप में मैं अपनी हर फिल्म को पहली फिल्म की तरह लेता हूँ। ‘प्यार का पंचनामा २’ के नैरेशन के समय ये ख्याल आया था कि यार ये पहले वाली से कितनी अलग होगी या लोग इसमें पहले वालीकौन सी बात ढूंढेंगे। लेकिन उसी समय ये क्लीयर हो गया था कि यह रिपीट फिल्म नहीं है। जब आप किसी अच्छी फिल्म का हिस्सा होते हैं तो एक आत्मविश्वास आ जाता है और ऐसी सोच आ जाती है कि फिल्मकी कमाई का रिजल्ट चाहे जो हो मुझे ख़ुशी है कि मैंने अच्छी फिल्म की है। ऐसे में जिम्मेदारी या तनाव वाली कोई बात नहीं है। ट्रेलर से मिले रिस्पॉन्स से मुझे ऐसा लगा है कि लोगों में ‘प्यार का पंचनामा २’ देखनेकी इच्छा है।
आपका किरदार क्या है ? मुझे सब गोगो बुलाते हैं , असल नाम तो अंशुल है स्ट्रांग कैरेक्टर है। गोगो आत्मविश्वासी और स्पष्ट ख्यालात का मस्तीखोर है। तीन दोस्तों में ठाकुर जिम्मेदार है, तो गोगो को कुछ पड़ी नहीं है , वह अच्छा कमारहा है , उसके पास अच्छी गाड़ियां हैं। लेकिन जब वह एक रिलेशनशिप में पड़ता है.तो उसके साथ उस रिश्ते के कारण क्या -क्या अन्याय होता है। उसे दोस्तों के साथ मस्ती के लिए समय नहीं मिल रहा है औरउसकी गर्ल फ्रेंड क्या -क्या उसे सिखाती है। यही सब है।
बीटेक की पढाई के बीच अभिनय का निर्णय लेते समय दिल और दिमाग के बीच लड़ाई भी हुई होगी ?फिल्म लाइन से मेरा दूर -दूर तक नाता नहीं हैं। मेरे माता – पिता दोनों डॉक्टरहैं । मैं एक्टर की ज़िन्दगी के बारे में सोचा करता था कि वे कैसे रहते होंगे। १० वीं में था जब पहली बार एक्टर बनने का ख्याल आया।लेकिन किसी को बताया नहीं। मेरे लिए दो ही रास्ते थे डॉक्टर या इंजीयरिंग। क्योंकि मेरे दोनों भाई इसी लाइन में हैं। मैं इंजीयरिंग की तैयारी का कह कर दिल्ली आ गया और ऑडिशन भी ढूंढता रहा। मुंबई जाने कारास्ता बनाया और नवी मुंबई के एक कॉलेज में बी टेक में एडमिशन ले लिया। यहाँ एक्टिंग क्लासेस भी गया। फेसबुक पर मैंने एक कॉस्टिंग डायरेक्टर से संपर्क किया और ऑडिशन दिया और सेलेक्ट हो गया। उसकेबाद मैंने ये बात मम्मी को बताई तो कुमार जी के ऑफिस में मेरी मम्मी और मौसी के साथ मेरी मीटिंग हुई। वो लोग मम्मी को मेरा ऑडिशन दिखा गर्व करा रहे थे। लेकिन मम्मी और मौसी एक – दूसरे को देख रहीथीं। दोनों शॉक्ड थीं। फिर मम्मी ने कहा कि तेरी इच्छा है तो कर ले , लेकिन पढाई भी पूरी करना। मैंने कांची के समय बी टेक का लास्ट इयर कम्प्लीट किया।
कार्तिक ‘प्यार का पंचनामा २ ‘ युवाओं के आधुनिक रिश्ते की कहानी है। लड़का -लड़की संबंधों में एक परीक्षा घडी आती है प्रपोज़ करने की। ये पहल हमेशा लड़कों को ही क्यों करनी चाहिए ?
हाँ यार , वो बहुत बेचैनी की घडी होती है। मेरे ख्याल से इसकी पहल तो कोई कर सकता है। लेकिन जनरली लड़कियां चाहती हैं कि ये काम लडके ही करें। दूसरी तरफ वो क्वालिटी भी चाहती हैं। मैं पर्सनली बताऊँ तोकरनी ही पड़ी है। लेकिन मैं लड़कियों से कहना चाहूँगा कि यार हम भी शरमा जाते हैं और कभी – कभी तो डरते भी बहुत हैं कि कैसे कहें , कहीं दोस्ती ना टूट जाए। दूसरे ये आशंका भी बनी रहती है कि कहीं ये बातअपने सर्कल में ना कह दे , फिर मेरा क्या होगा ? इसमें एक गलती हमारी भी होती है कि हम अपने अंदर कुछ ज़्यादा ही डर पैदा कर लेते हैं। दूसरी तरफ लड़की तो सोच रही है कि मेरी नेल पॉलिश का कलर कैसा है और हम बेचारे सोचते हैं कि कहीं थप्पड़ ना मार दे और उसके नेल पॉलिश का कलर मेरे गाल पर न आजाय।
हाँ यार , वो बहुत बेचैनी की घडी होती है। मेरे ख्याल से इसकी पहल तो कोई कर सकता है। लेकिन जनरली लड़कियां चाहती हैं कि ये काम लडके ही करें। दूसरी तरफ वो क्वालिटी भी चाहती हैं। मैं पर्सनली बताऊँ तोकरनी ही पड़ी है। लेकिन मैं लड़कियों से कहना चाहूँगा कि यार हम भी शरमा जाते हैं और कभी – कभी तो डरते भी बहुत हैं कि कैसे कहें , कहीं दोस्ती ना टूट जाए। दूसरे ये आशंका भी बनी रहती है कि कहीं ये बातअपने सर्कल में ना कह दे , फिर मेरा क्या होगा ? इसमें एक गलती हमारी भी होती है कि हम अपने अंदर कुछ ज़्यादा ही डर पैदा कर लेते हैं। दूसरी तरफ लड़की तो सोच रही है कि मेरी नेल पॉलिश का कलर कैसा है और हम बेचारे सोचते हैं कि कहीं थप्पड़ ना मार दे और उसके नेल पॉलिश का कलर मेरे गाल पर न आजाय।