भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं उत्तर पूर्वी दिल्ली के सांसद श्री मनोज तिवारी ने महर्षि वाल्मीकि प्रकटोत्सव के उपलक्ष में आयोजित एक कार्यक्रम में 500 महिलाओं को साल पहनाकर सम्मानित किया एवं क्षेत्र के लोगों की समस्याएं सुनी और उनके निराकरण का आश्वासन दिया। कार्यक्रम का आयोजन श्री नरेन्द्र मोदी फैंस क्लब द्वारा किया गया था। जिसमें भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री श्री सिद्धार्थन, जिला अध्यक्ष श्री कैलाश जैन, पूर्व जिला अध्यक्ष डॉ अनिल गुप्ता, मीडिया विभाग के प्रदेश सह प्रभारी श्री नीलकांत बक्शी, सह-प्रमुख श्री आनंद त्रिवेदी, श्री सतीश गर्ग, श्री टी एस खन्ना, श्री प्रदीप त्यागी, श्री योगेश भट्टी, श्री देवकी नंदन, श्री रामपाल सिंह सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।
कार्यक्रम में उपस्थित महिलाओं, क्षेत्र निवासियों एवं कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए श्री मनोज तिवारी ने कहा कि अश्विन माह में पूर्णिमा का दिन महर्षि वाल्मीकि के प्रकट दिवस के रूप में मनाया जाता है। त्रेता युग में जन्मे महर्षि वाल्मीकि की याद में इस दिन को वाल्मीकि जयंती के रूप में मनाया जाता है। उनका जीवन सद्कर्मों और भक्ति की राह पर चलने का संदेश देता है। कठोर तपस्या के बाद महर्षि वाल्मीकि ने महर्षि पद प्राप्त किया। परमपिता ब्रह्मा के कहने पर उन्होंने भगवान श्रीराम के जीवन पर आधारित रामायण महाकाव्य की रचना की।
श्री तिवारी ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि को आदिकवि कहा गया है। उनका पूर्व नाम रत्नाकर था। नारद मुनि से मिलने के बाद उनके मन में वैराग्य उत्पन्न हो गया और वन में राम-राम जपने लगे। वर्षों तक कठोर तप के बाद उनके पूरे शरीर पर चींटियों ने बांबी बना ली, जिस कारण उनका नाम वाल्मीकि पड़ा। महर्षि वाल्मीकि ज्योतिष विद्या एवं खगोल विद्या के प्रकांड पंडित थे।
श्री मनोज तिवारी ने कहा कि वनवास के दौरान भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, माता सीता के साथ महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में आए थे। महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत में रामायण की रचना की और रामायण में चैबीस हजार श्लोक का निर्माण किया। लव-कुश को ज्ञान प्रदान करने वाले महर्षि वाल्मीकि ही थे।
श्री तिवारी ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि जीवनी हमें आदर्श जीवन जीने की राह सिखाती है और हमें उनसे प्रेरित होकर जीवन की कठिन से कठिन समस्या के समाधान की शक्ति और प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि के महान विचार हमारी ऐतिहासिक यात्रा के बीज तत्व हैं, जिस पर हमारी परंपरा और संस्कृति पुष्पित-पल्लवित होती रही है। सामाजिक न्याय के प्रकाश-स्तंभ रहे उनके संदेश हमेशा हम सबको प्रेरित करते रहेंगे।