श्रीमती प्रीति शर्मा
उपाध्यक्ष, दिल्ली प्रदेश महिला कांग्रेस
सर्वश्रेष्ठ जनप्रतिनिधि वह है जिसके होने की भी खबर जनता को न हो और इससे कम श्रेष्ठ को जनता प्रेम देती है और प्रशंसा करती है, इससे कम श्रेष्ठ से वह डरती है और सबसे घटिया जनप्रतिनिधि की जनता निंदा करती है। जब जनप्रतिनिधि जनता कि श्रद्धा के पात्र नहीं रह जाते और जनता उनमे विश्वास नहीं करती तब ऐसे जनप्रतिनिधि शपथों का सहारा लेते है और हर काम के होने पर अपने नाम की तख्ती लगा कर उसका श्रेय लेने का प्रयाश करते है लेकिन जब श्रेष्ठ जनप्रतिनिधि का काम पूरा हो जाता है तब जनता कहती है ये काम हमने स्वयं किया है ।
दिल्ली में 4 दिसम्बर को वोट डाले जायेगें और दिल्ली की जनता को अगले पांच साल के लिए अपने जनप्रतिनिधि और दिल्ली की अपनी सरकार का चुनाव करने जा रही है। दिल्ली में अनेक राजनितिक दलों ने चुनावीं दंगल में ताल ठोकी है और दिल्ली की जनता को अपने विवेक से सही और गलत की पहचान करने का अवसर वोट के अधिकार के रूप में मिला है।
अगर किसी भी समाज में कोई भी क्रांति होती है तो वो बगैर किसी साहसपूर्ण कदम के नहीं हो सकती है। लोकतंत्र में भीड़ और प्रचार का बड़ा महत्व है लेकिन यह भी सत्य है कि भीड़ और प्रचार एक प्रकार का भ्रम पैदा कर देती है। और अगर भीड़ और प्रचार ही सही होती तो दुनिया दूसरी होती । भीड़ जो कहती है वो जनता मान लेती है ये भीड़ हमारे प्राणों को जकड़े हुए है ये जो भीड़ का मन है यह व्यक्ति को सत्य तक नहीं पहुचने देता है। और कई बार सही निर्णय करने में चुक हो जाती है और इस चुक का मूल कारण यह है कि दूसरे लोग बहुत होने कि वजह से सही होंगे और मैं कहीं अकेला होने की वजह से कहीं गलत न हो जाऊ । अब समय आ गया है निर्णय आपको खुद ही लेना है क्योकि ये अधिकार आपकाहै और आपको खुद पर विश्वास करना होगा। इसकी पहली शुरुआत भीड़ की सोच से मुक्ति है और स्वयं का व्यक्तित्व स्वतंत्र रखना है तो भीड़ और भ्रामक प्रचार की पकड़ से बाहर रहना होगा।