मेहनत बदले तकदीर : नजत बेल्कासेम

प्रत्येक व्यक्ति ज़िन्दगी में प्रगति  करना  चाहता है , आगे ही आगे बढ़ना चाहता है, भले ही वह कहीं का रहने वाला हो, किसी भी समाज से सम्बन्ध रखने वाला हो, हर कोई अपनी ज़िंदगी  बदलना चाहता है! और यह भी सच है बहुत कम लोग ही ऐसे होते हैं जिन्हें  उनके माँ बाप का ही कमाया हुआ अपार धन दौलत उन्हें तोहफ़े में ही मिल जाता है और ख़ुद  ज़्यादा हाड़तोड़ मेहनत करने की जरुरत नहीं पड़ती ! लेकिन यह भी एक कड़वी सच्चाई है की अपनी ख़ुद की मेहनत से कमाई हुई धन दौलत , बनाया हुआ घर और घूमने फिरने के लिए गाड़ी या बेहतर जिन्दगी  जीने के अनेक प्रकार की सुख सुविधाएं इत्यादि का एक अलग ही मज़ा होता है , अलग ही संतोष / आनंद होता है !   

आज मैं आपको  एक ऐसी ही लड़की की कहानी बताने जा रहा हूँ जिसने कि एक बिलकुल ही मामूली से परिवार में  जन्म लिया और अपनी मेहनत और अच्छी पढ़ाई लिखाई के दम पर दूसरे देश में जाकर वहाँ केवल खूब उन्नति ही नहीं की, बल्कि राजनीति में  भी दाखिल हो गई और जीतकर एक मंत्री पद तक पहुँच गई ! यह लड़की नजत बेल्कासेम, जोकि मोरक्को (उत्तरी अफ्रीका का एक देश) में  एक गाँव की रहने वाली है और उसकी माता का नाम मामा बेल्कासेम और पिता अहमद बेल्कासेम है ! नज़त का जन्म 4 अक्तूबर, 1977 को मोरक्को के एक गाँव नादौर में एक साधारण से मुसलमान परिवार में हुआ और वह अपने सात भाई बहनों  में से वह दूसरे नंबर पर है !  उसके पिता मामूली से पढ़े लिखे इन्सान थे और मजदूर का काम करते थे ! नज़त अपने भाई बहनों के साथ मिलकर वह सब काम करती थी जो उन जैसे कि परिवार में जो छोटे २ काम होते हैं जैसे कि – घर में साफ सफ़ाई  करनी और गाँव में  बने कुएँ से पानी भरके लाना, इत्यादि !  क्योंकि नजत के पिता अहमद की कम आमदनी से इतने बड़े परिवार का गुजारा होना मुश्किल था , इसलिए उसके माता पिता ने बहुत सारी भेड़ बकरियाँ पाल रखी थी, जिनको नजत भी अपने बड़े भाई के साथ चरवाहे का काम करते हुए जानवरों को चराने जाया करती थी और उन बकरियों का दूध बेचकर अपने घर के खर्चे में  सहयोग किया करती थी !  इसके बावजूद भी नज़त के पिता अपनी होने वाली कमाई से खुश नहीं थे , तो किसी ऐसे बेहतर अवसर की तलाश में थे कि किसी तरह वह दूसरे देश चले जाएं और अपने बड़े परिवार का थोड़ा अच्छे तरीके से पालन पोषण कर सके !

1982 में जब नजत अभी पाँच वर्ष की ही थी कि उसके पिता बढ़िया भविष्य की तलाश में फ्रांस के एक शहर अनिया चले गए और वहाँ उनको एक कंस्ट्रक्शन कम्पनी में मजदूर का काम मिल गया ! इस देश आकर उसकी कमाई भी थोड़ी बढ़  गई थी और एक वर्ष बाद ही उसने अपना घर और सब पालतू जानवर बेचकर बच्चों को भी फ्रांस ले आया ! फ्रांस आने के बाद नज़त को बहुत सी सांस्कृतिक समस्याओं का सामना करना पड़ा , क्योंकि वह एक कटड़पंथी मुसलमान परिवार से आई थी ! फ्रांस एक प्रगतिशील पश्चिमी सभ्यता वाला देश है यहाँ मोरक्को के मुकाबले खुलापन बहुत ज़्यादा  है ! वहाँ  के रहन सहन और महिलाओं के पहनावे में  जमीन आसमान का अंतर् था, जिसकी वजह से नज़त , उसकी माँ और उसकी बहनों को काफ़ी मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ता था , वह पश्चिमी कपड़ों में अपने आप को बहुत असहज अनुभव करती थी ! इसके इलावा वहाँ  उसे भाषा की बड़ी दिक्कत आ रही थी , लेकिन उसके पिता ने सब बच्चों को समझा दिया कि अब तो हमें यहीं रहना है और यह भाषा भी हम सबको सीखनी ही पड़ेगी ! सो इस तरह नजत ने कड़ी मेहनत और पूरी लगन से इस समस्या पर चार पाँच वर्ष में  काफी हद तक सफ़लता  हासिल कर ली !       

नज़त के माता पिता अहमद भले ही गरीब थे लेकिन ईमानदारी से दिल लगाकर काम करने वाले मेहनती इन्सान थे और ऐसे ही संस्कार उन्होंने अपने बच्चों में भी डाले , कि ईमानदारी से मेहनत  करोगे तो अल्ला भी बरकत अवश्य देगा ! उनको यह भी समझाया कि अगर आप कड़ी मेहनत से पढ़ाई करोगे तो अच्छी पढ़ाई लिखाई ही एक दिन तुम्हें बेहतर जिन्दगी दे सकेगी ! नज़त अपने पिता के समझाए हुए रास्ते पर चलती गई ! उसने बड़ी मेहनत और लगन से पढ़ाई की। उसने 2002 में पैरिस इंस्टिट्यूट ऑफ पॉलिटिकल स्टडीज से ग्रैजुएशन किया। ग्रैजुएशन के तत्काल बाद नजत ने वहाँ  की समाजवादी पार्टी जॉइन कर ली। इसके बाद वह नागरिक अधिकारों और सामाजिक भेदभाव मिटाने के लिए अपनी आवाज़  बुलंद करने लग गई । हमारे देश भारत की ही तरह वहाँ भी रंग और नसल के आधार पर गोरे लोग भेदभाव करते थे, नज़त ने सांवले / काले  लोगों को उनके नागरिक अधिकार दिलाने और गरीबों को थोड़ी कम कीमत पर घर दिलाने के लिए आंदोलन चलाया और संघर्ष करके काफी हद तक अपने काम में सफ़ल भी रही, क्योंकि उसकी पार्टी का भी उसको भरपूर समर्थन मिल रहा था !

27 अगस्त, 2005  को उसने अपनी समाजवादी पार्टी के ही एक नेता – बोरिस बलाउड के साथ शादी कर ली, जिसके साथ कॉलेज के दिनों से ही उसकी दोस्ती थी ! अब उनके दो बच्चे हैं !  नजत 2008 में रोन एल्पाइन नाम के एक शहर से काउंसिल मेंबर (पार्षद) चुनी गईं। उसके बाद से वह लगातार चुनाव जीतती आ रही हैं। चुनाव जीतने के बाद से नजत राजनीति में तेज गति से आगे बढ़ने लग गई । क्योंकि नजत कड़े परिश्रम करने से घबराने वाली लड़की नहीं है, वह अपने काम को पूरी लगन और योजनाबद्ध तरीके से करती हैं और आम जनता के बीच जाकर उनकी समस्याएं सुनती और यथासंभव उनका निवारण / समाधान भी करती है , वह दिन बदिन जनता में पॉपुलर होती जा रही थी ! यही देखकर उसकी पार्टी ने उसे 2012 में महिला अधिकार मंत्री की कमान सौंप दी । फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने उन्हें सरकार की प्रवक्ता भी नियुक्ति किया। अंततः 25 अगस्त, 2014 में नजत को शिक्षा मंत्री भी बनाया गया और महिलाओं की समस्याओं का कार्यभार भी उसे सौंप दिया ! सो इस तरह नजत फ्रांस की पहली महिला शिक्षा मंत्री बन गई ! 

क्योंकि नजत एक मोरक्कन मुस्लिम फ्रेंच मंत्री हैं और उसका बचपन एक चरवाहे के रूप में  बीता था और भेड़ों बकरियों के झुंड के साथ गुजरा हुआ है, और इसकी वजह से कभी २ उसको वहाँ  के गोरे लोग तंग नज़रिये से देखते हैं , उसकी पृष्ठ्भूमि , जन्म स्थान और मज़हब के कारण उस पर छींटाकसी करना विरोधी पार्टियों के लिए बड़ा आसान था। इनके खिलाफ कन्जर्वेटिव (रूढ़िवादी) पॉलिटिशन सेक्सिस्ट और नस्ली टिप्पणियाँ भी खूब करते थे, उस पर कई तरह के लांछन भी लगाए जाते थे। उसकी साधारण सी दिखने वाली ड्रेस को लेकर भी भद्दी २ टिप्पणी की जाती थी, लेकिन उसकी पार्टी के बड़े नेताओं ने उसे समझाया कि राजनीति में  ऐसी प्रस्थितियाँ  अकसर आती  ही रहती हैं और विरोधी पार्टियों की ऐसी टिप्पणियों या व्याख्यान वग़ैरह पर ज्यादा ध्यान मत दिया करो , बल्कि कोशिश किया करो कि ऐसी चीज़ों को ज़्यादा से ज़्यादा नज़रंअदाज़  करने की कला सीख लो, जैसे अगर किसी गाँव  में से कोई हाथी गुजर रहा हो, तो उसे देखकर वहाँ के कुत्ते भौंकने लग ही जाते हैं, लेकिन समझदार हाथी कुत्तों के भौंकने पर ध्यान ही नहीं देता, वह केवल अपनी धुन में अपनी मंज़िल  की तरफ़  बढ़ता ही रहता है ! पार्टी के बड़े नेताओं से सीख लेकर उसने यदाकदा आ रही ऐसी परिस्थियों से घबराई नहीं और ना ही विचलित हुई, बल्कि उनका डटकर मुकाबला किया। वह अपने आप को एक ‘नॉन प्रैक्टिसिंग मुस्लिम’ महिला बताती हैं , क्योंकि उसका मानना  है कि अगर आप उन्नति करना चाहते हो तो आपको घिसेपिटे तकियानुसी ख़्यालात छोड़ देने चाहिए और नई प्रगतिशील वैज्ञानिक सोच ही अपनानी चाहिए ! वरना आप आगे बढ़ती दुनियाँ  में  पिछड़ कर रह जाओगे !

अगस्त 2014 में  जब उसे शिक्षा मंत्री बनाया गया और साथ में  महिलाओं के विभाग का काम भी सौंप दिया गया , शपथ ग्रहण समारोह के बाद उसकी पार्टी ने पत्रकारों की एक बैठक बुलाई और देश के सामने अपनी नई मंत्री का परिचय करवाया गया , तो पत्रकारों ने उससे  सवाल किया कि आप अफ्रीका के मोरक्को जैसे एक छोटे / आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए देश से आकर फ्रांस की राजनीति में कैसे और क्यों कदम रखा और यहाँ आकर आपको कैसा लग रहा है ? इसके जवाब में उसने उत्तर दिया कि यह  सच है कि  मेरा जन्म मोरक्को के एक छोटे से गांव में  हुआ और मैं  एक बेहद गरीब परिवार से आई हूँ ! अपना देश , अपने लोग , अपना समाज, अपनी संस्कृति, अपनी जड़ें भूल पाना कोई आसान काम नहीं होता , और न ही यह सब मैं भूल सकती हूँ ! लेकिन अब तो मैं बहुत वर्षों से फ्रांस में  ही रहती हूँ , यही पढ़ी लिखी हूँ , और अब यही  मेरा देश और समाज है ! आपने मुझे जिताया है और मेरी पार्टी ने मुझे मंत्री पद के काबिल समझा , इसके लिए धन्यवाद् ! दूसरी बात मेरे प्रोफेशन को लेकर आपका सवाल – बनने को तो मैं  किसी कॉलेज की प्रोफेसर / डॉक्टर या फिर इंजीनियर भी बन सकती थी , लेकिन मैंने अपने कॉलेज के दिनों में ही यह अच्छी तरह समझ लिया था कि बाकी सभी कामकाज आम जनता जनार्दन को बहुत सीमित स्केल तक ही प्रभावित करते हैं , हम अगर चाहें भी बहुत थोड़ी मात्रा में  और बहुत कम लोगों के बारे में  ही सोच सकते हैं, उनके कल्याण के लिए काम कर सकते हैं ; लेकिन यह केवल राजनीति ही एक मात्र ऐसा साधन है जिसमें आकर हम पूरे देश को प्रभावित कर सकते हैं ! हमारा एक एक फैसला पूरे समाज की जिन्दगी बदल सकता है , सो यही सोचकर मैं राजनीति में आई हूँ और अब मैं पूरे समाज के लिए काम करती हूँ ! एक और पत्रकार ने उससे दसूरा सवाल किया , “आप अभी जवान हैं, आपको जिताने  में  नौजवानों से बहुत बड़ा योगदान और समर्थन मिला हैं , तो आप इस नौजवान पीढ़ी के लिए क्या सन्देश देना चाहती हो ?” नजत ने इसका उत्तर भी बड़े अच्छे सलीके से दिया , “सबसे पहले तो सभी नौजवानों  को यह बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए कि बड़े होने पर आप किसी भी प्रोफेशन में जाएं , आप डॉक्टर / इंजीनियर / चार्टेड अकउंटेंट / बिल्डर बनना चाहते हो , कोई और कारोबार करना चाहते हो या आपके पास अगर धन की कमी है तो फ़िर आप  कोई छोटे दुकानदार भी बन सकते हो , लेकिन कम से कम सभी लोग ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई अवश्य करें , क्योंकि पढ़ाई लिखाई ही हमें एक अच्छा इन्सान बनने में सहायता करती है, हमें मानसिक तौर पे परिपक़्व बनाती है, दूसरी बात यह कभी यह मत सोचो कि  मैंने तो अपनी जीविका चलाने के लिए अपना ही कोई और काम करना है , तो मुझे देश की राजनीति से क्या लेना देना ?  नहीं – यह सोच ग़लत है , देश के प्रत्येक व्यक्ति का राजनीति से सीधा सम्बन्ध है , जो पार्टी सत्ता में आती है , उसकी नीतियाँ , उसकी आर्थिक योजनाएं  हम सबको प्रभावित करती हैं ; इसलिए मेरा यह पक्का विश्वास है कि  हर नागरिक को अलग – २ पार्टियों की राजनीति पर कड़ी नज़र रखनी चाहिए / राजनैतिक दृष्टि में  हमें हमेशा सचेत रहना चाहिए और केवल उसी पार्टी को वोट और समर्थन देना चाहिए जो दिल से आम जनता के लिए काम करती हो , उनके कल्याण के लिए योजनाएं नेताओं की केवल जुबान पर ही नहीं , दिल में भी होनी चाहिए और यह सभी बातें धरातल पर हकीकत में  प्रवर्तित होती भी नज़र आनी  चाहिए !  केवल राजनैतिक तौर पर सूझवान और  सचेत नागरिक ही एक अच्छे समाज का निर्माण करते हैं , क्योंकि यही वह लोग हैं जो समय – २ देश के नेताओं को आईना दिखाते  हैं और देश को आर्थिक रूप में  एक सुदृढ़ राष्ट्र बनाने में  मार्ग दर्शक का काम भी करते हैं !   

कितना अच्छा होता अगर हमारे देश के नेतागण भी आम जनता जनार्दन के लिए ऐसा ही सोचते उनके दुःख तकलीफ़ को ढंग से समझ पाते, हर वर्ष अपनी पढ़ाई मुक्कमल करके कॉलेजों से निकलकर आने वाले लाखों नौजवानों के लिए अच्छे – २ रोज़गार के साधन पैदा करते, यहाँ  की मीडिया भी अपना कर्त्तव्य ईमानदारी से निभाते हुए जनता और नेताओं को निरंतर सचेत करते हुए सरकार की कारगुजारियों पर कड़ी नज़र रखते हुए समय २ पर उनका मूल्यांकन व विश्लेषण करते रहते और देश के निक्कमे / लोगों की समस्याओं के प्रति उदासीन रहने वाले और घोटालेबाज़ नेताओं को केवल बाहर  का रास्ता ही नहीं दिखाते , बल्कि उनको सलाखों के पीछे धकेलने में  एक मुख्य भूमिका भी निभाते !

तब हमारा देश भी आज़ादी के इतने दशकों बाद एक प्रगतिशील और विकासशील देश बन चुका होता ! और फ़िर, करोड़ों  लोगों के रोज़ग़ार  छीनने की बजाये उनको बढ़िया रोज़गार  के अवसर प्रदान करते !

द्वारा :  आर डी भारद्वाज  नूरपुरी ,