चन्द्रकांत शर्मा
बंगाल का सिनेमा और उनसे जुड़े कलाकार अपनी सशक्त अभिनय प्रतिभा के लिए जाने जाते हैं। बंगाली सिनेमा ने देश को कई बड़े आर्टिस्ट दिए हैं जिनका अभिनय सिर्फ बंगाल तक ही सीमित नहीं रहा। हालांकि ऐसा भी नहीं है कि बंगाल की फिल्मों में सिर्फ वहीं के लोगों ने धाक जमाई हो। नाॅन बंगाली आर्टिस्ट भी रीजनल बंगाली सिनेमा में अपनी पाॅवरपैक्ड परफाॅरमेंस दिखा चुके हैं जिनमें एक नाम सुब्रत दत्ता का भी है। करीब 13 बंगाली फिल्मों में उन्होंने यादगार अभिनय किया और अब हिंदी फिल्मों में उनके खतरनाक तेवर नज़र आ रहे हैं।
खतरनाक इसलिए कि उनको मिलने वाला हर कैरेक्टर इतना वज़नदार है कि उनके को-स्टार्स भी ये सोचकर खतरे में पड़ जाते हैं कि यह एक्टर तो उनके रोल को भी खा जाएगा लेकिन सुब्रत ऐसी मंशा नहीं रखते कि उनके अभिनय से किसी और कलाकार या कहें कि प्रतिद्वंद्वी को खतरा हो। वह तो अपने डायरेक्टर्स को बैस्ट देना चाहते हैं। तेवर के डायरेक्टर अमित शर्मा को उनसे जितनी उम्मीदें थीं, उन्होंने उससे ज्यादा ही दिया। फिल्म में उनका काकड़ी कैरेक्टर है जो रंग बदलने में माहिर है।
सुब्रत कहते हैं कि काफला को तो गोल्डन लोटस अवार्ड भी मिल चुका है। वह कहते हैं कि हीरो के रूप में वह अब तक 9 फिल्में कर चुके हैं, पर सिनेमा में गिनती के कोई मायने नहीं हैं। एक अच्छा काम 9 तो क्या, 100 पर भी भारी पड़ सकता है और मैं दर्शकों को ऐसा ही काम दिखाना चाहता हूं। सुब्रत एनएसडी के लिए लगातार तीन साल काम कर चुके हैं। एक दिन में तीन-तीन शोज़ करने वाला यह अभिनेता सचमुच दमखम दिखाने का दम रखता है।