प्रेमबाबू शर्मा
परिणीता नेशनल अवॉर्ड हासिल कर चुकी हैं, उनका अप्रोच बेहद स्पष्ट है। वे बड़े बैनर के साथ-साथ अर्थपूर्ण फिल्में भी करना चाहती हैं। उनसे बातचीत।
पहले पॉपुलर कैटेगरी का अवार्ड और अब नेशनल अवार्ड मिला है। कैसा लगता है?
यह इत्तिफाक है। मैं क्या, इंडस्ट्री का कोई भी कलाकार यह सोचकर कोई फिल्म नहीं करता कि उसे इस काम के लिए अवार्ड जरूर मिलेगा। यह मेरे लिए गर्व की बात है कि महज दो फिल्में करके ही मुझे ढेर सारे अवार्ड मिले हैं। यह अच्छी बात है, लेकिन इसका खुमार मेरे सिर पर नहीं चढ़ा है। अवार्ड मिलने के बाद से मैं बड़ी जिम्मेदारी महसूस कर रही हूं। अब आगे ढेर सारी लेकिन अच्छी फिल्में ही करनी हैं।
उम्मीद थी कि आप राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल करने जा रही हैं?
बिल्कुल नहीं। ‘लेडील वर्सेज रिकी बहल’ के लिए मुझे सत्रह अवार्ड मिल जाएंगे, यह मैं नहीं सोचा था। ‘इशकजादे’ में मैंने बस अपना काम अच्छे से किया, जिसका फल मुझे मिला।
अवार्ड मिलने के बाद से यशराज कैंप की दूसरी अभिनेत्रियों के मुकाबले आपका कद ऊंचा हुआ है। आप क्या कहेंगी?
मैं ऐसा नहीं मानती। कई लोगों ने कहा है कि अवार्ड मिलने के बाद से परिणीति की ब्रांड वैल्यू में इजाफा हुआ है, लेकिन मेरी राय अलग है। मेरे ख्याल से अवॉर्ड से ज्यादा कहानी की मांग से किसी अभिनेत्री की मांग बढ़ती या घटती है। जिस रोल में मैं सूट कर सकती हूं, वहां दूसरी अभिनेत्री सूट नहीं करेगी। जहां दूसरी अभिनेत्री सूट करेगी, वहां मैं सूट नहीं करूंगी। इसलिए इस अवार्ड के बाद से मेरे करियर ग्राफ में बढ़ोतरी या कमी की कोई बात मायने नहीं रखती।
मैं सफलता की रैट रेस में बिल्कुल शामिल नहीं हूं। मैं अच्छा काम करने की ख्वाहिश रखती हूं और रोल को अच्छी तरह निभाती हूं। मैं बहुत ज्यादा प्रतिस्पर्धी मिजाज की नहीं हूं और न ही ऐसा बनना चाहती हूं। अब बात रही अनुष्का शर्मा की तो वे मेरी सबसे पसंदीदा हीरोइनों में से एक हैं। वे मुझसे सीनियर हैं, इसलिए उनके या इंडस्ट्री के किसी कलाकार के साथ मेरी प्रतिस्पर्धा नहीं है।
जोधपुर में मनीष शर्मा की एक अनाम फिल्म कर रही हॅू। इसके अलावा ‘दावत-ए-इश्क के प्रमोशन में व्यस्त हॅू।
इस बारे में बात करने के लिए प्रोडक्शन हाउसेज ने मेरे मुंह बंद कर दिए हैं। माफी चाहूंगी, लेकिन सभी किरदार दमदार हैं।
इतना तो बता सकती हैं कि ये सभी पिछली फिल्मों से अलग हैं?
बिल्कुल..। मैं अलग मिजाज की हूं। यही वजह है कि मैं किसी काम को लेकर बहुत जल्दी बोर हो जाती हूं। इसलिए सिर्फ एक ही जोनर की फिल्में लगातार नहीं कर सकती। जैसे ‘हंसी तो फंसी’ से लेकर ‘किल बिल’ और मनीष शर्मा की अनाम फिल्में बिल्कुल अलग-अलग जोनर की हैं।
आप महज पच्चीस साल की हैं। आगे फिल्मों में अपने से दोगुने उम्र के हीरो के साथ दिखेंगी। क्या रणनीति रहेगी आपकी?दोगुने उम्र का क्या होता है? मैं ऋषि कपूर के साथ भी फिल्म कर रही हूं। खुद से दोगुने उम्र के हीरो के साथ भी मेरा वही अप्रोच होगा, जो ऋषि सर के साथ होता है। कहने का मतलब यह है कि मुझे पर्दे पर परफॉर्म करना है। मेरे साथ काम करने वाले कलाकार को भी परफॉर्म ही करना है। ऐसे में वहां सब पेशेवर रवैया अपनाते हैं। दूसरी बात यह कि मैं स्टार का कद देखकर नर्वस नहीं होती।
आदित्य रॉय कपूर की फिल्म ‘ दावत-ए-इश्क’ के बारे में आप क्या कहेंगी?
जबरदस्त..। एक्टर है और उनके साथ काम करते हुए मजा भी आया ।
चर्चा है कि फिल्म के देरी रीलिज के लिए आपको जिम्मेदार ठहराया जा रहा है ?
फिल्म के फेरबदल के लिए मैं जिम्मेदार नही हॅू। यश राज फिल्म्स की मार्केटिंग टीम को एक जबर्दस्त मार्केटिंग आइडिया आया और उन्हें इस पर काम करने के लिए समय की जरूरत पड़ी।इसीलिए फिल्म की रीलिज देरी से हो रही है।