प्रवीण कुमार शर्मा
सामाजिक कार्यकर्ता
बालों के बीच मे से झाकता है
एक चेहरा सूरज की तरह
अचानक छुप जाता है
एक चेहरा बादलो मे चाँद की तरह
एक चेहरा बादलो मे चाँद की तरह
एक चेहरा जो मासूम है
बारिश की पहली बूंद की तरह
एक चेहरा जो हसॅंता है
खिलते फूल की तरह
वो चेहरा किसका था।
एक चेहरा जो उदास है
और जी रहा है
जानवर की तरह
एक चेहरा जो रोता है
और पीटता है
कुत्ते की तरह
एक चेहरा जो हैरान है
और काम करता हैं
और काम करता हैं
गधे की तरह
एक चेहरा जो परेशान है
और भूखा-प्यासा,
कूडे के ढेर पर पड़ा है
हड्डी के ढाँचे की तरह
वो चेहरा किसका है
ये चेहरा किसका है।।