अशोक कुमार निर्भय
‘ अब तो मजहब कोई ऐसा भी चलाया जाये , जिसमे इंसान को इंसान बनाया जाए’. यह गीत सुप्रसिद्ध गीतकार गोपालदास ‘नीरज ‘ ने हिंदी अकादमी द्वारा फिरोजशाह कोटला नई दिल्ली में आयोजित गणतंत्र दिवस कवि – सम्मलेन की अध्यक्षता करते हुए अपने चिरपरिचित लयात्मक अंदाज में पढ़ा. उन्होंने अपने एक अन्य गीत में जागरूक लोगों की कर्त्तव्य के प्रति उदासीनता को लेकर व्यंग करते हुए पढ़ा – ‘अब उजालों को यहाँ बनवास ही रहना पड़ेगा सूर्य के बेटे अंधेरों का समर्थन कर रहे हैं’ . कवि सम्मलेन का संचालन वरिष्ट कवि बालकवि वैरागी द्वारा किया गया . कवि सम्मलेन का प्रारंभ करता हुए हिंदी अकादमी, दिल्ली के सचिव प्रोफेसर रविन्दर नाथ श्रीवास्तव ‘परिचय दास ‘ ने गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि कविता आजादी का दूसरा नाम है. कविता ही सबसे बड़ा लोकतंत्र है . उन्होंने अपनी ‘आजादी कि छूअन’ , धरी कि धरी और ‘स्मृति संकेतों’ पर कविताओं का पाठ भी किया.
कार्यक्रम कि मुख्य अतिथि दिल्ली कि भाषा मंत्री प्रो. किरण वालिया ने गणतंत्र दिवस कि शुभकामनायें देते हुए देशवासिओं से गणतंत्र को जिन्दा रखने कि अपील की. कवि सम्मलेन का समायोजन अकादमी के उपाध्यक्ष प्रो. अशोक चक्रधर द्वारा किया गया.
सारी रात चले इस कवि सम्मलेन में बालस्वरूप राही ने अपने एक शेर में कहा –
पहचान अगर बन न सकी तेरी तो क्या गम, कितने ही सितारों का नाम नहीं है
आकाश भी धरती की तरह घूम रहा है, दुनिया में किसी चीज़ को आराम नहीं है
भोपाल से पधारी कवयित्री अजुम रहबर ने पढ़ा –
ये किसी नाम का नहीं होता, ये किसी काम का नहीं होता
प्यार में जब तलक नहीं टूटे, दिल किसी काम का नहीं होता
इस कवी सम्मलेन में अर्जुन सिसोदिया, आलोक पुराणिक, उदय प्रताप सिंह, कुंवर जावेद, गिरीश मासूम, जमुना प्रसाद उपाध्याय, तेजनारायण शर्मा ‘बेचेन’, देवल आशीष, नंदलाल ‘रसिक’, नरेश गुप्ता, पुष्पा सिंह, मदन मोहन ‘समर’, मदन मार्तंड, ममता किरण, महेश शर्मा, यश मालवीय, वेड प्रकाश, रमेश शर्मा, सतपाल, सुरेश चंद यादव और सूर्य कुमार पाण्डे ने अपने काव्य पाठ में समाज के नवनिर्माण में यूग्दान देने के लिए अपनी प्रेरणादायी रचनाओं से काव्य प्रेमियों का आह्वाहन किया. कार्यक्रम के अंत में सचिव हिंदी अकादेमी ने धन्यवाद ज्ञापित किया.