अच्छा लग रहा है, क्योंकि धारावाहिक की पूरी कथावस्तु ही अम्माजी के इर्द गिर्द घूमती है। या यूं कहे कि पूरा ही शो मेरे लिए बना है। अम्माजी का किरदार बहुत ही भावुक और संवेदनशील है ।
बालिका वधू के बाद अचानक टीवी से गायब होने की कोई वजह या फिर आपको किसी खास रोल का इतंजार में था?
मैं टेलीविजन पर अपनी वापसी के लिए काफी अरसे से सोच रही थी लेकिन मुझे तलाश थी एक ऐसे किरदार की जिसके साथ मैं न्याय कर सकूं। अम्माजी की गली जैसे प्रभावशाली रोल को करते हुए मुझे फिल्म बावर्ची राजेश खन्ना के किरदार की याद आ जाती है।
एक ऐसी भूमिका जिसमें आप मुझे आमतौर पर नहीं देखेंगे. धारावाहिक अम्माजी की गली के निर्माता और निर्देशक से मिलने के बाद मुझे लगा कि मेरी तलाश की मंजिल यही है।
धारावाहिक की कहानी क्या है?
धारावाहिक की कहानी अम्माजी यानी फरीदा जलाल के आसपास ही घूमती है और इसमें उनका किरदार लकवे का शिकार हो चुकी एक ऐसी महिला का है जो देखने में तो निरीह और असहाय नजर आती है, लेकिन असल में पूरी गली की हर समस्या का निदान उनके ही द्वारा होता रहा है।
बालिका वधु की चंद कडियों के बाद, आपका अचानक गायब होने की कोई खास वजह ?
इस बारे में मुझ से बेहतर धारावाहिक के निर्माता निर्देशक ही बता सकते है। लेकिन जितना भी काम मुझे सौपा गया था उसे मैंने जिम्मेदारी से निभाया।
कही ऐसा तो नही था कि आपके आते ही अम्माजी का किरदार दब रहा हो ?
ऐसा नही है उसका किरदार घंमडी, उग्र किस्म की प्रौढा का था जबकि मेरा रोल ऐसी माहिला का जो परिवार को संगठित करने में विस्वास रखती है। दोनों ही किरदारों में कही समानता नही है वैसे सुलेखा सीकरी मुझसे काफी बडी हैं और वरिष्ठ भी। उनके साथ काम करने का अनुभव अच्छा ही रहा है।