-प्रेमबाबू शर्मा
सी मोम प्रतिकृतियां बनाने के लिए दुनिया में अपनी अलग पहचान रखने वाला मैडम तुसाद संग्रहालय दिल्ली में खुलने जा रहा। विश्व के 22 देशों में लोकप्रियता की बुलंदिया छूने के बाद भारत में दर्शकों को अपनी जादुई दुनिया से रूबरू कराने के लिए, संग्रहालय इस साल जून तक राजधानी के कनॉट प्लेस में खुलेगा।
मैडम तुसाद संग्रहालय ब्रिटेन की इंटरनेमेंट कंपनी मर्लिन एंटरटेनमेंट का सबसे मशहूर ब्रांड है। भारत में कंपनी का यह 23वां संग्रहालय होगा। कंपनी की भारतीय इकाई के महाप्रबंधक और निदेशक अंशलु जैन ने बताया कि भारत मनोरंजन उद्योग का बड़ा बाजार है। इसे ध्यान में रखते हुए ही कंपनी ने इसे संग्रहालय बनाने के लिए चुना। उन्होंने कहा कि संग्रहालय में लगाई जाने वाली मोम की प्रतिकृतियों में से यहां फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन, लेडी गागा और मैडम तुसाद की प्रतिकृतियां मीडिया के लिए प्रदर्शित की गईं। संग्रहालय में एक समय में करीब 500 दर्शक प्रवेश ले सकेंगे। टिकट की विभिन्न दरें होंगी।
कंपनी के विपणन निदेशक मार्सेल क्लूस ने कहा, ‘मैडम तुसाद संग्रहालय का भारत जैसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध देश में लाना वाकई दिलचस्प अनुभव होगा। यह भारत की जनता के लिए मनोरंजन के नए विकल्प लेकर रहा है जो उन्हें अपने सितारों की दुनिया से मिलने का अनुभव कराएगा।’
कड़ी मेहनत और कलाकारी से बनती है प्रतिकृति
जैन ने बताया कि इन मोम प्रतिकृतियों को जीवंत दिखाने के लिए कड़ी मेहनत और कलाकारी की आवश्यकता पड़ती है। जिस जीवित शख्सियत की मोम प्रतिकृति तैयार की जाती है उसके शरीर का विभिन्न कोणों से करीब डेढ़ सौ से ज्यादा माप ली जाती हैं। और सिर पर असली बाल एक-एक कर लगाए जाते हैं। इसके साथ ही शरीर के स्किन का सही रंग लाने के लिए इन पर रंगों की अनगिनत परतें और शेड्स लगाए जाते हैं।
जैन ने बताया कि इन मोम प्रतिकृतियों को जीवंत दिखाने के लिए कड़ी मेहनत और कलाकारी की आवश्यकता पड़ती है। जिस जीवित शख्सियत की मोम प्रतिकृति तैयार की जाती है उसके शरीर का विभिन्न कोणों से करीब डेढ़ सौ से ज्यादा माप ली जाती हैं। और सिर पर असली बाल एक-एक कर लगाए जाते हैं। इसके साथ ही शरीर के स्किन का सही रंग लाने के लिए इन पर रंगों की अनगिनत परतें और शेड्स लगाए जाते हैं।
दिल्ली के संग्रहालय में शुरुआती तौर पर इतिहास, खेलकूद, संगीत, फिल्म और टेलीविजन के क्षेत्र की 50 से अधिक प्रभावशाली शख्सियतों की मोम प्रतिकृतियां प्रदर्शित की जाएंगी। इनमें 60 प्रतिशत भारतीय शख्सियतें होंगी