प्रवीण कुमार शर्मा
होलिका नही जली
होलिका दहन
दामिनी बहन
आग की पवित्रता
बुराई से हार गई
होलिका नही जलीं।
तुम तो चली गई
पर होलिका नही जली।।
हर साल नही चाहती थी जलना
पर जल जाती
इस साल चाहती है जल जाना
पर नही जली
होलिका नही जली।
आग की लपटों में सिमटी रही
रात भर जलती रही
पर होलिका नही जली।।
विश्वास जला
पर राख नही
इन्सानीयत जली
पर मलाल नही
देश जला
पर सरकार नही
होलिका नही जली।
हर बेटी जली
हर शक्स जला
पर होलिका नही जली
होलिका नही जली।।